कहा जाता है हर बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है क्योंकि वो वही सीखता है जो उसे घर में सिखाया जाता है. जैसा वो अपने घर में देखता है वो ही बातें उसके जहन में शुरू से ही बस जाती है. अच्छी परवरिश उनको बेहतर इंसान बनाती हैं. दादा दादी का साथ रहना एक अनोखा एहसास होता हैं और उससे बहुत  कुछ सीखने को मिलता है क्योंकि दादा दादी और बच्चों के बीच में एक रिश्ता और होता है और वो है दोस्ती का…

जहां हर छोटी से छोटी और बड़ी बातें जिन्हे हम माता पिता से कहने में संकोच करते हैं, उन्ही बातों को हम बड़ी सहजता से अपने दादा दादी से कह देते हैं तो हुआ न दोस्ती का रिश्ता. हर बचपन को इनकी जरूरत होती है. तो चलिए जानते हैं इस प्यारे से रिश्ते की गहरी और इस से मिलने वाले ज्ञान के बारे में.

संस्कारों का पिटारा है इनके पास

सभी अच्छी बातें हम किताबों से नहीं सीखते इसमें सबसे अहम हाथ होता है घर परिवार के सदस्यों का .ऐसी ही कुछ बातें हैं जैसे भगवान के आगे हाथ जोडना, बड़ों का सम्मान, छोटो से प्यार सब बातें, उनके बड़े ही उनको सीखाते हैं. इतना ही नहीं अपने रीति-रिवाजों और संस्कृति का ज्ञान और जिंदगी में मिलने वाले हर सबक को  दादा दादी व नाना नानी  हमें अपने तजुर्बे के साथ अच्छे से समझा देते हैं.

सुरक्षित हाथों में होता है आपके बच्चे का हाथ

जौब पर जाने वाले मां-बाप या वर्किंग पैरेंट्स के लिए उनके मां-बाप का साथ रहना, उनके बच्चों की परवरिश के लिए पर्याप्त होता है. क्योंकि आपके पैरेंट्स आपके बच्चों की आपसे अच्छी देखभाल कर सकते हैं.  इसके अलावा आज के वक्त में जब आप अपने बच्चों को किसी के साथ अकेला नहीं छोड़ सकते, ऐसे में अपने मां-बाप पर आप आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं.

अपनों से जुड़ते हैं बच्चे

जब बच्चे अपने परिवार के इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और अपने दादा दादी की भावनात्मक बातें समझा करते हैं, तो इस तरह बच्चों में किसी से भी जुड़ाव रखने की भावना को प्रबलता मिलती है. बच्चे कई बार उन रिश्तेदारों के बारे में भी जान जाते हैं जो कभी घर पर भी नहीं ए होते बल्कि कभी पेरेंट्स उनके बारे में जिक्र भी नहीं करते ऐसे में वो दादा दादी से बातों ही बातों में उनके बारे में भी जान जाते हैं बल्कि उनमें स्नेह, आदर और सेवा जैसे मानवीय गुण विकसित होते हैं. जिससे, बच्चे काफी लचीले और परिस्थिति अनुसार रहना सीख जाते हैं. साथ ही ऐसे बच्चों का दिमाग भी तेज होता है. वे दूसरों की तुलना में अधिक स्मार्ट और परिपक्व दिखाई देते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब वे अपने परिवार के इतिहास और कठिनाई के बारे में जानते हैं, तो वे उससे सीखते हैं कि कैसे मुश्किलों में भी आगे बढ़कर, अपनी लड़ाई लड़ी जाती है.

कहानियों का पिटारा होता है उनके पास

भले ही आज इंटरनेट पर दादी-नानी की कहानियां उपलब्ध हैं, लेकिन असली मजा दादा दादी की गोद में बैठकर ही सुनने से आता है. आज के मौर्डन समय में बच्चों की सोच और उनका बड़ो के प्रति प्यार कहीं खोता जा रहा है लेकिन इसके पीछे के जिम्मेदार हम लोग ही है. अगर आप बच्चों के सिर पर संस्कारों और विचारों की गठरी बांध कर रख देंगे तो जाहिर है बच्चे इनको सहन नहीं कर पाएंगे. इसलिए थोड़ा सा बदलते हुए आज की लाइफस्टाइल को दादा दादी को भी अपना कर अपने पोते पोती को अपने संस्कार सिखाएं तो वो आसानी से आपके साथ जुड़े रहेंगे.

माता पिता भी रहते हैं खुश

ग्रैंड पेरेंट्स का बच्चो के साथ रहना न सिर्फ बच्चों को ही खुश रखता है बल्कि आपके माता पिता भी खुश रहते हैं और सेहतमंद भी उनके साथ खेलना हसंना ये सब उनको अच्छा महसूस करता है और मानसिक तनाव भी दूर करता है इस बात को मैंने अपने घर में देखा और जाना है जब हमारे घर में मेरा बेटा आया तब से मेरे ससुर जी की तबियत ठीक रहने लगी उसके साथ खेलना और हंसना उनकी  सेहत के लिये अच्छा साबित हुआ और आज वो मेरे दोनों बच्चों के साथ खुशी से रहते हैं और उनका वक्त भी आराम से कट जाता है.

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