10जुलाई, 2019 का सवेरा था. उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के चिली गांव के कुछ लोग खेतों की तरफ जा रहे थे. जैसे ही वे लोग राजवीर शर्मा के बाग की पगडंडी पर पहुंचे तो
उन में शामिल रामप्रसाद की नजर आम के एक पेड़ के नीचे पड़ी लाश पर गई.
रामप्रसाद ने अपने साथ वाले लोगों को इस बारे में बताया तो सभी उत्सुकतावश लाश के नजदीक पहुंच गए. लाश को देख कर वे सभी चौंक गए. क्योंकि लाश उसी गांव के रहने वाले प्रवीण कुमार की थी.
लाश की खबर मिलते ही उधर से गुजरने वाले लोग भी वहां जमा होने लगे. सभी इस बात पर अचरज में थे कि इतने भले इंसान की पता नहीं किस ने हत्या कर दी. कुछ ही देर में गांव में खबर फैली तो लोगों का वहां मजमा लगना शुरू हो गया.
उसी दौरान किसी ने मृतक के छोटे भाई नवीन तथा मृतक की पत्नी रानी को उस के कत्ल की जानकारी दे दी. पति की हत्या की खबर सुनते ही रानी छाती पीटपीट कर रोने लगी. नवीन ने उसे समझायाबुझाया. वह देवर के साथ बिलखती हुई उस जगह पहुंची जहां पति की रक्तरंजित लाश पड़ी थी.
उसी दौरान किसी ने इस की सूचना फोन कर के थाना डकोर को दे दी. थोड़ी देर में थानाप्रभारी विनोद मिश्रा, एसआई त्रिलोकी नाथ और 4 सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए.
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घटनास्थल पर पहुंच कर विनोद मिश्रा और त्रिलोकी नाथ मौकामुआयना करने में लग गए. प्रवीण का शव खेत के किनारे आम के पेड़ के नीचे पड़ा था. उस के चेहरे और गरदन पर कटने के गहरे घाव थे. लगता था उस पर किसी धारदार हथियार से वार किया गया था.
प्रवीण की उम्र यही कोई 50 वर्ष के आसपास थी, वह शरीर से हृष्टपुष्ट था. देखने से ऐसा लगता था कि उस की हत्या कहीं और कर के शव वहां फेंका गया था.
थानाप्रभारी विनोद मिश्रा ने मृतक के भाई नवीन से पूछताछ की तो उस ने बताया कि प्रवीण ज्यादातर खेत पर ही सोता था. वहां उस ने छप्पर डाल रखा था. उसी के नीचे चारपाई डाल कर सोता था. वह नशे का आदी था. प्रवीण की लाश जहां पड़ी थी, उस से 10 खेत दूर ही उस का खेत था.
थानाप्रभारी वहां पहुंचे तो यह देख कर दंग रह गए कि वहां न प्रवीण की चारपाई थी और न ही बिस्तर. यहां, शराब की 2 खाली बोतलें तथा डिसपोजेबल गिलास जरूर पड़े थे. छप्पर के नीचे जमीन पर खून भी पड़ा था.
यह देख कर थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि प्रवीण की हत्या इसी स्थान पर की गई थी और शव वहां ले जा कर फेंक दिया. सबूत मिटाने के लिए हत्यारों ने मृतक की चारपाई तथा बिस्तर भी गायब कर दिया था. उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि हत्यारे प्रवीण के परिचित ही होंगे क्योंकि उस ने उन के साथ शराब पी होगी. पुलिस ने वहां मिले सबूत जब्त कर लिए.
थानाप्रभारी ने गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला प्रवीण कुमार निहायत शरीफ और नेक चालचलन का था. गांव में या बाहर उस की किसी से रंजिश या दुश्मनी नहीं थी. कुछ सालों से उस में एक बुराई घर कर गई थी कि वह शराब पीने लगा था. इसी वजह से उस का पत्नी से विवाद रहता था, जिस से वह खेतों पर सोने लगा था.
इसी बीच सूचना मिलने पर एसपी स्वामी प्रसाद एएसपी अवधेश सिंह और डीएसपी संतोष कुमार भी वहां आ गए. इन पुलिस अधिकारियों ने भी मौकामुआयना किया. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.
मामले की जांच का भार विनोद मिश्रा ने अपने ही हाथों में रखा. उन्होंने मृतक प्रवीण कुमार की पत्नी रानी से बात की. प्रवीण के भाई नवीन ने उस के कुशल व्यवहार की तो तारीफ की लेकिन शराब की लत को बुरा बताया. उस ने यह भी बताया कि प्रवीण भैया कुछ समय से किसी बात को ले कर परेशान रहते थे. परेशानी की वजह क्या थी, यह उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया था.
पत्नी रानी ने बताया कि नीलगाय वगैरह फसल को नुकसान पहुंचाती थीं, इसलिए उन्होंने खेत पर छप्पर डाल लिया था. वह रात को वहीं सोते थे. कभीकभी जब वह यारदोस्तों के साथ ज्यादा शराब पी लेते थे तो घर पर भी नहीं आते थे. कल रात भी वह खाना खाने नहीं आए थे. देवरभाभी दोनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस को ऐसा कोई क्लू नहीं मिला, जिस से जांच आगे बढ़ाई जा सके.
पुलिस को मृतक की पत्नी रानी और भाई नवीन पर शक हो रहा था. लिहाजा थानाप्रभारी ने मुखबिरों को लगा दिया. 13 जुलाई, 2019 को एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को बताया कि मृतक की पत्नी रानी और बबलू के बीच चक्कर चल रहा था और 9 जुलाई की रात को बबलू रानी के घर आया था. कुछ देर वहां रुकने के बाद वह चला गया था.
बबलू का नाम सुनते ही थानाप्रभारी विनोद मिश्रा चौंके. क्योंकि बबलू पेशेवर अपराधी था. थाना डकोर के अलावा भी उस के खिलाफ कई थानों में मुकदमे दर्ज थे. मामले की तह में जाने के लिए थानाप्रभारी ने उसी दिन दोपहर के समय रानी को पूछताछ के लिए थाने बुलवाया.
रानी ने थाने में पहले वाला बयान ही दोहरा दिया. उन्होंने उस से 2 घंटे तक पूछताछ की लेकिन वह टस से मस नहीं हुई. तब उन्होंने 2 महिला कांस्टेबलों को बुला लिया. महिला पुलिस ने रानी से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सच उगल दिया. उस ने स्वीकार किया कि उस ने ही प्रेमी से पति की हत्या बबलू व उस के साथी लाखन की मदद से कराई थी.
रानी द्वारा पति की हत्या का जुर्म कबूल करने के बाद थानाप्रभारी विनोद मिश्रा ने बबलू तथा उस के साथी लाखन को डकोर बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. दोनों कहीं फरार होने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे.
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थाने में जब उन से प्रवीण की हत्या के संबंध में पूछा गया तो दोनों साफ मुकर गए. लेकिन जब थाने में उन का सामना रानी से कराया तो लाखन और बबलू का चेहरा लटक गया. फिर उन दोनों ने भी सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी बरामद कर ली. वह उन्होंने कुल्हाड़ी एक सूखे कुएं में फेंक दी थी. उसी कुएं से पुलिस ने मृतक की चारपाई तथा खून सना बिस्तर भी बरामद कर लिया. यही नहीं, कातिलों ने वह ट्रैक्टर ट्रौली भी बरामद करा दी, जिस पर रख कर वह लाश, बिस्तर व चारपाई लाद कर ले गए थे.
हत्यारोपियों के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने उन के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. केस का खुलासा व अभियुक्तों को गिरफ्तार करने की जानकारी थानाप्रभारी ने एसपी स्वामी प्रसाद को दे दी थी.
एसपी ने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता कर के अभियुक्तों को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. पुलिस पूछताछ में एक ऐसी औरत की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने जिस्म की भूख के लिए अपना सुहाग मिटा दिया.
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले का एक बड़ा कस्बा उरई है. यहां बड़े पैमाने पर गल्ले का व्यापार होता है. जालौन में आवागमन के साधन कम होने से सभी सरकारी काम उरई में ही संपन्न होते हैं. यहां तक कि जिला न्यायालय भी उरई में ही है. अत: यहां हर रोज चहलपहल रहती है. इसी उरई कस्बे में स्टेशन रोड पर अरविंद कुमार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रामवती के अलावा 3 बेटियां थीं, जिस में रानी तीसरे नंबर की थी. अरविंद कुमार की स्टेशन रोड पर चाय की दुकान थी.
रानी अपनी अन्य बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी. उस का स्वभाव भी चंचल था. 20 साल की उम्र पार करते ही अरविंद कुमार ने रानी का विवाह जालौन के डकोर थाना क्षेत्र के गांव चिली निवासी बिंदा प्रसाद के बड़े बेटे प्रवीण कुमार के साथ कर दिया. प्रवीण कुमार पिता के साथ खेतीकिसानी करता था. उस का छोटा भाई नवीन पढ़ रहा था. घर में संपन्नता थी.
रानी जब अपनी ससुराल पहुंची तो उस का वहां मन नहीं लगा. क्योंकि वह शहर में पलीबढ़ी थी, इसलिए उसे गांव का माहौल पसंद नहीं आया. उस ने पति पर दबाव डाला कि वह गांव छोड़ कर शहर चले. वहां कोई नौकरी या व्यवसाय करे. लेकिन प्रवीण ने पत्नी के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और शहर जाने से साफ मना कर दिया. उस के बाद रानी मन मार कर रह गई.
रानी गांव में रह तो गई लेकिन उस ने धीरेधीरे पति को अपनी अंगुलियों पर नचाना शुरू कर दिया था. प्रवीण रानी को खुश रखने के लिए हरसंभव प्रयास करता था लेकिन तुनकमिजाज रानी खुश नहीं रहती थी. कभी वह खर्चा न मिलने का रोना रोती तो कभी अपने भाग्य को कोसती.
समय बीतते परिवार का खर्च बढ़ा और खेती की उपज से दोनों भाइयों का गुजारा होना मुश्किल हो गया. घर में कलह शुरू हो गई. रानी वैसे भी सासससुर और देवर को पसंद नहीं करती थी. वह उन से झगड़ा करती रहती थी. अत: बिंदा प्रसाद ने दोनों बेटों का बंटवारा कर दिया.
बंटवारे के बाद प्रवीण रानी के साथ अलग मकान में रहने लगा. अलग रहने पर रानी स्वच्छंद हो गई. जब उस का मन करता, मायके चली जाती और जब मन करता वापस आ जाती. उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था.
कालांतर में रानी 2 बच्चों एक बेटे और एक बेटी की मां बनी. बच्चों के बाद घर में खुशियां बढ़ गईं. वे दोनों बच्चों को बेहद प्यार करते थे और उन्हें खुश रखने का हर प्रयास करते थे. रानी खुद तो ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी लेकिन वह बच्चों को खूब पढ़ाना चाहती थी.
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गांव में प्राथमिक शिक्षा के बाद रानी ने दोनों बच्चों को अपने मायके उरई भेज दिया. प्रवीण बच्चों को अपने से दूर नहीं भेजना चाहता था, लेकिन पत्नी के आगे उस की एक न चली. लिहाजा बच्चे ननिहाल में रह कर पढ़ने लगे.
प्रवीण की जैसेजैसे उम्र बढ़ती जा रही थी, वह पत्नी से दूर होता जा रहा था. अब वह पत्नी का उतना ध्यान नहीं रखता था, जिस से रानी के पैर देहरी लांघने के लिए उतारू हो गए.
क्रमश:
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित