बागबानी हो, खेती हो या फिर पशुपालन कारोबार की संभावनाओं के साथ अगर तकनीक को शामिल कर लिया जाए तो निश्चित ही अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है. राजस्थान के दौसा जिले के मितरवाड़ी गांव के बाशिंदे रामजीलाल ऐसे किसान हैं, जिन्होंने परस्पर एकदूसरे से संबंध रखने वाले खेती, बागबानी और पशुपालन में कारोबार के मौकों को जाना, एकीकृत प्रणाली को अपनाया और अपनी खास पहचान बनाई.

आज रामजीलाल जैविक खेती, जैविक खाद बनाने और पशुपालन के 4 अगलअलग क्षेत्रों में एकसाथ कामयाबी हासिल कर पूरे इलाके में आदर्श किसान के रूप में पहचान बना चुके हैं.

किसान रामजीलाल ने कहा कि उन्होंने सरकार की ओर से दी जाने वाली ट्रेनिंग, सहूलियतें और अनुदान का भरपूर फायदा लिया और कारोबार को आगे बढ़ाया. आज वे लाखों रुपए का मुनाफा हासिल कर रहे हैं. उन के नवाचार के चलते ही उन्हें खेती महकमे की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है.

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ऐसे बनी जैविक खाद

किसान रामजीलाल ने बताया कि उन्होंने साल 2007 में 4,000 वर्गफुट को पक्का करा कर वर्मी कंपोस्ट की तैयारी शुरू की. इजरायल आइसेनिया फेटिडा किस्म के केंचुओं का इस्तेमाल कर उन्होंने वर्मी हेचरी तैयार की. अब इस हेचरी से सालाना 200 टन जैविक खाद तैयार हो रही है.

शुरुआती कामयाबी मिली तो एक फर्म रजिस्टर्ड करा कर उन्होंने 5 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से जैविक खाद बाजार में बेचनी शुरू की. अब 5, 10, 20 व 50 किलोग्राम के बैगों को किसान उन के फार्महाउस से सीधे ही ले जाते?हैं.

 ऐसे करें जैविक खेती

रामजीलाल तकरीबन 15 बीघा जमीन पर पिछले 10 सालों से रबी व खरीफ की जैविक फसल तैयार कर रहे हैं. वे अनाज, फलसब्जी की जैविक खेती करते हैं.

वे बताते हैं कि जैविक खाद से जमीन की संरचना के साथसाथ मिट्टी में पानी सोखने की क्षमता विकसित होती है. नतीजतन, उत्पादन भी अच्छा होता है. इस के अलावा फसलों को कीट व रोगों से बचाने के लिए उन्होंने कीट नियंत्रण यंत्र भी लगा रखे हैं. इस यंत्र को शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक चालू करने पर कीट इस यंत्र में इकट्ठा हो जाते?हैं.

उन्होंने सिंचाई के लिए ट्यूबवैल के साथसाथ सोलर प्लांट लगा कर एक पक्की सीमेंट से खेत तलाई को भी बना रखा है.

बागबानी से आमदनी

रामजीलाल ने अपने कृषि फार्महाउस पर मौसमी, बील, नीबू व पपीते का बगीचा भी लगाया हुआ है. वे सालाना तकरीबन एक लाख रुपए की मौसमी, 80,000 रुपए के बील, सवा लाख रुपए के नीबू व 80-90 हजार रुपए के पपीता बेच देते हैं.

खास बात यह है कि मौसमी के हरेक बाग के बीच में नीबू, बील व पपीता के बाग भी लगाए हुए हैं.

करें पशुपालन

रामजीलाल ने पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए अजोला घास को उपजाना शुरू किया. रोजाना 150 ग्राम अजोला प्रति मवेशी की दर से खिलाने पर दूध उत्पादन 25 फीसदी और दूध में वसा की मात्रा बढ़ गई. वे 15 मवेशियों से रोजाना 150 लिटर दूध ले रहे हैं.

उन्होंने अब खुद का मिल्क कलैक्शन सैंटर भी खोल लिया है, जिस से उन्हें मोटा मुनाफा मिल रहा है. पशुपालन में नईनई तकनीक का इस्तेमाल करने से वे जिला लैवल पर तमाम पुरस्कार हासिल कर चुके हैं.

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