मॉरिशस के बाद अब साइप्रस से आने वाले निवेश पर भारत सरकार कैपिटल गेन टैक्स लगा सकेगी. ये नियम अगले साल पहली अप्रैल या उसके बाद होने वाले निवेश पर ही लागू होगा. दूसरे शब्दों में 31 मार्च तक किए हुए निवेश को पहले की तरह रियायत मिलती रहेगी.

कैबिनेट ने भारत और साइप्रस के बीच संशोधित कर समझौते को मंजूरी दे दी है. उम्मीद की जा रही है कि इसकी बदौलत देश का पैसा साइप्रस के रास्ते यहां वापस आने पर पर लगाम लगेगी. तकनीकी भाषा में इसे राउंड ट्रिपिंग कहते हैं और इसे काले धन का बड़ा जरिया भी माना जाता है. ये भी आरोप लगते रहे कि शेयर बाजार में बड़े निवेश का यही माध्यम है. नए समझौते के बाद साइप्रस भारत सरकार की काली सूची से भी बाहर निकल गया है और ये पहली नवम्बर 2013 से मान्य होगा. वित्तीय जानकारी नहीं साझा करने की वजह से साइप्रस को पिछली सरकार ने नवम्बर 2013 में काली सूची मे डाल दिया था.

कर समझौते में फेरबदल मोदी सरकार की काले धन पर लगाम की मुहिम का एक हिस्सा है. सरकार मॉरिशस के बाद अब सिंगापुर के साथ समझौते को नयी शक्ल देने की तैयारी में है जिससे समझौते के दुरुपयोग, कर की चोरी और यहीं का पैसा विदेश के रास्ते यहां शेयर बाजार में लगाने यानी राउंड ट्रिपिंग पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. मॉरिशस, सिंगापुर और साइप्रस जैसे देश कर चोरी के लिए महफूज जगह माने जाते हैं और इन्हे ‘टैक्स हेवेन (Tax Heaven)’ भी कहा जाता है.

मॉरिशस के रास्ते कर चोरी पर लगाम

इसके पहले मई में भारत को बड़ी कामयाबी मिली जब मॉरिशस के साथ कर समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे जिसके बाद भारत को मॉरिशस के रास्ते आए निवेश पर कैपिटल गेन टैक्स लगाने का अधिकार मिला. नयी व्यवस्था के तहत मॉरिशस में रजिस्टर्ड निवेशक अगर किसी भी भारतीय कंपनी में 1 अप्रैल 2017 के बाद शेयर खरीद कर बेचता है तो उससे हुए मुनाफे पर मौजूदा दर के आधे के हिसाब से कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.

मतलब यदि कैपिटेल गेन टैक्स की दर 10 फीसदी है तो मॉरिशस के रास्ते आए निवेशक को 5% की दर से टैक्स देना होगा. समझौते में ये भी तय हुआ है कि 1 अप्रैल 2019 या उसके बाद शेयरों की बिक्री से हुए मुनाफे पर टैक्स की पूरी दर लगेगी. अभी तक की व्यवस्था में जिन 2 देशों में जहां टैक्स की दर कम होती थी, वहीं के हिसाब से टैक्स देना होता है. चूंकि भारत में टैक्स की दर 10% और मॉरिशस में 0% है, लिहाजा मॉरिशस के रास्ते आए निवेशक को एक पैसा भी टैक्स नहीं देना होता है. 0% टैक्स की वजह से मॉरिशस में रजिस्टर्ड कंपनियों के रास्ते सबसे ज्यादा विदेशी निवेश भारत में आता था.

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