तनहाई में मिलनामिलाना

अजब सी बात हो गई

हम को पता न चला

दिन कब रात हो गई

इक चेहरा तेरा उस पर

गजब की कशिश

आंखों की आंखों से

होंठों की होंठों से बात हो गई

हुई जब से मुहब्बत खुद पर

नाज करते हैं हम

ऐसा लगता है जैसे बांहों में

कायनात हो गई

तेरे रूप के उजाले से

दिन निकलता है अंगड़ाई के साथ

गेसुओं को इस तरह झटका तुम ने

कि रात हो गई

मेरी आरजू को इस तरह

गुदगुदाया है तुम ने

अरमान जाग उठे दिल में

रिमझिम बरसात हो गई.

       – वीना कपू

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