जब से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी है पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव नेताओं और कार्यकर्ताओं को सीख देते रहते हैं. परेशानी की बात यह है कि सपा के लोगों पर मुलायम की ‘क्लास’ का असर नजर नहीं आता है. मुलायम सिंह खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. समाजवादी पार्टी बनाने के बाद मुलायम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना मजबूत जनाधार बनाया. प्रदेश में मुलायम के जनाधार का प्रभाव इसी से दिखता है कि आज संसद से लेकर विधानसभा तक केवल उनके परिवार का बोलबाला है. देश का सबसे बड़ा राजनैतिक परिवार मुलायम सिंह यादव का है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुलायम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. मुलायम अपने कार्यकर्ताओं की बात सबसे ज्यादा सुनते हैं. कार्यकर्ता उन तक अपनी पंहुच रखता है. मुलायम अपने लोगों को चेहरे और नाम दोनो से पहचानते हैं. मुलायम यह अपेक्षायें अखिलेश यादव से भी रखते हैं. यहां मुलायम यह भूल जाते है कि उनके और अखिलेश के बीच एक ‘जनरेशन गैप’ है. आज के कार्यकर्ता भी पहले की तरह पार्टी, समाज और प्रदेश की परवाह नहीं करते.
तमाम लोगों के लिये, राजनीति सेवा नहीं बिजनेस बन गई है. अखिलेश यादव को यह पता है कि ऐसे कार्यकर्ता पार्टी के लिये कुछ नहीं करते. ऐसे में वह कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखते हैं. यह लोग मुलायम को समझाने की कोशिश करते हैं कि उनकी उपेक्षा हो रही है. मुलायम नई पीढ़ी के नेताओं से तालमेल बैठाने की कोशिश करते हैं.
मुलायम की चिंता राजनीति में आई गिरावट को लेकर है. वह मंत्रियों और विधायकों को बारबार चेतावनी दे चुके हैं. इसके बाद भी ऐसे लोगों में कोई सुधार नहीं दिख रहा है. मुलायम को पता है कि समाजवादी पार्टी के आधे विधायक अपनी सीट जीतने की हालत में नहीं है. पार्टी की मजबूरी है कि वह इतनी बड़ी तादाद में अपने विधायकों के टिकट काट नहीं सकती है. ऐसे में सरकार बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है.
मुलायम बारबार यह बात करते है कि खराब लोगों को पार्टी का टिकट नहीं मिलेगा. परेशानी की बात यह है कि पार्टी में बहुत सारे ‘पावर शेल्टर’ हैं. जो ऐसे नेताओं के लिये कवच का काम करते है. ठेकेदारी, कमीशनखोरी और दंबगई करने वाले नेताओं को यह संरक्षित करते हैं. पार्टी के छोटे नेताओं और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सीख देने से ज्यादा जरूरी है कि खुद मुलायम ऐसे पावर शेल्टर देने वाले नेताओं की क्लास लें.
यह नेता ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छवि को खराब करने का काम करते हैं. यह सच है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 5 साल में जो प्रभाव बना लेना चाहिये था वह नहीं बना पाये हैं. यही चिंता पार्टी प्रमुख मुलायम को परेशान करती है. वह अखिलेश की तुलना खुद से करने लगते हैं. मुलायम को समझना चाहिये कि जनरेशन गैप हालात, विचार और व्यवहार सभी में होता है. ऐसे में एक से दूसरे की तुलना सही नहीं है.
मुलायम की चिंता जायज है पर केवल क्लास लेने से काम नहीं चलने वाला. अब एक्शन लेने का समय है. मुलायम के पावर शेल्टर का लाभ लेने वाले भी पार्टी की छवि को खराब करते है. ऐसे में इनके खिलाफ मुलायम को खुद भी एक्शन लेना चाहिये. तभी उनकी क्लास का सही रिजल्ट निकलेगा.