कोई भी व्यक्ति अथवा समाज कितना सुसंस्कृत है? इस सवाल का जवाब, उसका नारी के प्रति किए जाने वाले व्यवहार में खोजा जा सकता है. महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार हमारी सभ्यता और संस्कृति पर सवालिया निशान लगाता है. नारी के प्रति अपराध, संस्कृति पर आघात है. इनमें दिन-पर-दिन हो वाली बढ़ोत्तरी ने समूचे सांस्कृतिक अस्तित्व को संकट में डाल दिया है.

रात का समय, मूसलाधार बारिश. भीगती हुई बस स्टेंड पर आती है एक लड़की तीन आदमी पहले से ही वहां मौजूद थे. लड़की को अकेला पाकर वो चांस मारने की कोशिश करते हैं. लड़की डर जाती है. वो कुछ नहीं कर पाती, लड़के उसकी तरफ गंदी निगाहों से घूरते हैं लेकिन फिर आता है ट्विस्ट…

कानून में क्या है प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 509 में महिलाओं के शील व सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले शब्द, संकेत या हरकत को दंडनीय माना गया है. जिसके लिए जुर्माना व जेल दोनों हो सकती हैं. इसी तरह धारा 354 डी में ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी तरह से पीछा करना यानी स्टॉकिंग को अपराध माना है. हालांकि ऑनलाइन हमलों के मामलों में कई बार किसी एक की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल होता है. खासकर सोशल मीडिया ने ऐसे लोगों को एक मंच दे दिया है, जिन्हें दूसरों को तंग करना, उकसाना, अनावश्यक बहस करना अच्छा लगता है. भले ही आप किसी को जानते हैं या नहीं. ऑनलाइन ट्रोलिंग एक तरह से इस साइबर अपराध को छोटा व सामान्य बना देने की शब्दावली है. ऐसे में क्या महिलाओं को सोशल मीडिया से दूर रहना चाहिए? बिल्कुल नहीं. नजरअंदाज न करें, पर हर किसी पर चीखना-चिल्लाना भी जरूरी नहीं. जहां जरूरी हैं वहां प्रतिक्रिया भी दें और जरूरत पड़ने पर कानून की सहायता भी लें. आप साइबर सेल और पुलिस की मदद ले सकती हैं.

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