देहरादून में जन्मी और रुद्रप्रयाग से पुश्तैनी संबंध रखने वाली  हिमानी ने अपने अभिनय का परचम तब लहराया जब परिवार में मनोरंजन के नाम पर सिर्फ राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन का ही बोलबाला था. हिमानी ने अपने टीवी कैरियर की शुरुआत दूरदर्शन के शो ‘हमराही’ से की थी. इस शो का निर्देशन कुंवर सिन्हा ने किया था. शो के किरदार ‘देवकी भौजाई’ ने उन्हें घरघर में पहुंचा दिया था. दून स्कूल, देहरादून से पढ़ाई करने वाली हिमानी स्कूली दिनों से ही अभिनय की दीवानी थीं. अभिनय के प्रति दीवानगी की वजह से ही उन्होंने नई दिल्ली के नैशनल स्कूल औफ ड्रामा  यानी एनएसडी में दाखिला ले कर ग्रेजुएशन किया और कई सालों तक एनएसडी के नाटकों से जुड़ी रहीं. उन्हें हिंदी सिनेमा में पहला मौका पंकज पाराशर की फिल्म ‘अब आएगा मजा’ से मिला. इस के बाद उन्होंने श्याम बेनेगल की ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ और ‘मम्मो’ फिल्म भी की.

हिंदी सिनेमा में उन्हें सब से बड़ा ब्रेक वर्ष 1999 में सूरज बड़जात्या की फिल्म ‘हम आप के हैं कौन’ से मिला. वे हिंदी की कई सुपरहिट फिल्मों ‘कुछकुछ होता है’, ‘परदेस’, ‘दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे’, ‘अंजाम’, ‘कोयला’ में बतौर सहायक अभिनेत्री नजर आ चुकीं हैं. अभिनेता ज्ञान शिवपुरी से उन की शादी हुई थी जिन से उन का एक बेटा भी है. पति की जल्दी मृत्यु के बाद हिमानी ने अकेले ही बेटे की परवरिश और अपने कैरियर दोनों को संभाला. कई वर्षों तक यशराज बैनर, धर्मा प्रोडक्शंस, राजश्री प्रोडक्शंस की सुपरहिट फिल्मों में सहायक अभिनेत्री की भूमिकाएं अदा कीं. एक शो के इवैंट पर हिमानी से कुछ रोचक बातचीत हुई. पेश हैं खास अंश :

आप ने श्याम बेनेगल से ले कर सूरज बड़जात्या व यश चौपड़ा जैसे बड़े निर्देशकों के साथ काम किया है, सब से अच्छा अनुभव किस के साथ रहा है?

श्याम बाबू के साथ मैं ने ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ फिल्म की थी. वह मेरी पहली फिल्म थी, मैं ऐसा मानती हूं. क्योंकि इस से पहले 1984 में ‘अब आएगा मजा’ और उस के बाद एक अंगरेजी टीवी सीरीज में मैं ने काम किया था. दोनों ही में मेरा सामान्य किरदार था पर धर्मवीर भारती की कृति ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ में श्याम बाबू ने मुझे अपने अभिनय को उभारने का भरपूर मौका दिया था. उन के साथ काम करने का मेरा सपना तब से था जब मैं एनएसडी में पढ़ती थी. मैं ने सब से ज्यादा फिल्में डेविड धवन के साथ की हैं. मुझे कमर्शियल फिल्मों में लाने का श्रेय सूरज बड़जात्या को जाता है. उन की फिल्म ‘हम आप के हैं कौन’ ने मेरे कैरियर को नई दिशा दी.

अभी भी थिएटर से जुड़ी हुई हैं?

अपनी पिछली फिल्म ‘वेडिंग पुलाव’ के बाद डेढ़ साल के ब्रेक के दौरान मैं ने थिएटर ही किए हैं. कई मराठी, गुजराती प्ले कर रही हूं. मुझे थिएटर के लिए संगीत नाटक अकादमी की ओर से 2015-2016 का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.

उत्तर भारत में थिएटर का क्या भविष्य दिखता है?

यही तो दुख की बात है कि हमारे यहां थिएटर देखने की प्रवृत्ति नहीं है. लोग रामलीला देखने तो जाते हैं पर थिएटर के लिए आज भी दर्शकों का अभाव है. दर्शकों की इसी कमी ने थिएटर करने वालों का उत्साह कम कर दिया है. एक फिल्म के लिए मल्टीप्लैक्स में हजार रुपए खर्च करने वाला थिएटर में 100 रुपए खर्च करने से दूर भागता है. दर्शकों की इस कमी का एक और कारण है और वह है, यहां नई कहानियों का अभाव. अभी भी लोग कई सालों से पुरानी कहानियों का बारबार मंचन करते हैं. मुझे लगता है मोहन राकेश के बाद कोई नया राइटर थिएटर में आया ही नहीं. जबकि गुजरात और महाराष्ट्र इस में काफी आगे हैं. वहां के लोग थिएटर की इज्जत करते हैं. वहां समसामयिक नई कहानियों पर थिएटर किए जाते हैं. मेरा तो यही मानना है कि यहां एनएसडी होते हुए भी थिएटर का भविष्य उज्जवल नहीं है क्योंकि आज की महंगाई में जहां औडिटोरियम का किराया ही लाखों रुपए में हो, वहां फ्री में थिएटर दिखाना संभव नहीं है.

आज के नए कलाकारों में क्या अलग देखा है?

किसी के बारे में तो मैं बात नहीं करूंगी, अपने बारे में ही कहती हूं कि बिना मेहनत और सीखे बिना आप लंबी रेस की दौड़ में यहां शामिल नहीं हो सकते. यहां तो जो भी आता है, सुपरस्टार बनना चाहता है. सभी के आने का मकसद पैसा कमाना होता है और वे उस में सफल भी हो जाते हैं. 1-2 एंडोर्समैंट कर के लाखों रुपए कमा लेते हैं. उन का ऐक्ंिटग से कोई लेनादेना नहीं होता. मैं तो ऐसे भी नए कलाकारों से मिली हूं जिन को सही से डायलौग बोलना भी नहीं आता लेकिन एटीट्यूड के मामले में अपने को किसी स्टार से कम नहीं समझते.

उत्तराखंड की क्षेत्रीय कला को प्रोत्साहित करने के लिए आप कुछ कर रही हैं?

एनएसडी से निकलने के बाद मैं ने देहरादून जा कर वर्कशौप किया और वहां 2 नाटक किए. सहारनपुर में भी मैं ने कई स्कूली बच्चों को थिएटर की वर्कशौप दी है और जब से मेरे पिता की मृत्यु हुई है, मैं हर सितंबर महीने में अपने घर जाती हूं और अपने पापा की लिखी हुई कहानियों पर नाटक करवाती हूं. कई सारे छात्र, जो अभिनय के क्षेत्र में आना चाहते हैं, हर साल मेरे पास सीखने आते हैं.

आप ने टीवी सीरियल ‘हमराही’ में देवकी भौजाई का जो किरदार निभाया था, क्या फिर दोबारा वैसा किरदार लोगों को देखने को मिलेगा?

आप ने मेरे दिल की बात कह दी है. ‘हमराही’ शो मेरे कैरियर का माइलस्टोन था. उस शो से जो मुझे ख्याति मिली, आज तक वह दोबारा नहीं मिली. देखिए, किसी करैक्टर को गढ़ना तो राइटर के हाथ में होता है, अगर वैसा कोई रोल सामने आता है तो मैं अवश्य करूंगी. मेरा तो मानना है कि दूरदर्शन में जो क्वालिटी थी वह आज के सैटेलाइट चैनलों में नहीं है. आज के सभी चैनल्स भेड़चाल की तरह चलते हैं. एक चैनल में अगर नागनागिन शो हिट है तो सभी चैनलों में नागिन या फिर डायन वाले शो देखने को मिल जाएंगे. कभीकभी तो हम लोगों को भी हंसी आती है कि अब मुझे अगले एपिसोड में मक्खी बनना पड़ सकता है. दरअसल सालोंसाल चलने वाले इन सीरियलों में कहानी को इतना घुमाया जाता है कि कभी तो यह गले से नीचे नहीं उतरती. आजकल के किसी भी शो की सारी कहानी एपिसोड के साथसाथ ही लिखी जाती है और निर्देशक के दिमाग में कब, क्या आ जाए, आप सोच भी नहीं सकते हैं.

फिल्म ‘वेडिंग पुलाव’ में बिकनी वाली क्या बात हो गई थी?

चिंटूजी (ऋषि कपूर) के साथ मेरी पहली रोमांटिक फिल्म थी जिस में एक गाना बीच में शूट किया गया था. अब बीच पर सीन है तो पूरे कपड़ों के साथ तो वह शूट किया नहीं जा सकता. पहली बार मैं ने किसी फिल्म में बिकनी पहनी थी क्योंकि इस तरह के कौस्ट्यूम में मुझ को देखना मेरे बेटे को पसंद नहीं था. बेटे की सहमति होने पर ही मैं ने उस सीन के लिए हां किया था. इस फिल्म के लिए हम लोगों ने मेहनत बहुत की थी पर वह ज्यादा चली नहीं.

आप भी और लोगों की तरह प्रोडक्शन के क्षेत्र में आना चाहती हैं?

अभी तो ऐसा कोई विचार नहीं है पर बेटे के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा. अगर बेटा प्रोडक्शन हाउस खोलना चाहेगा तो जरूर उस की पूरी मदद करूंगी. एक समय के बाद खुद को व्यस्त रखने और पैसे के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा.

आजकल टैलीविजन या फिल्मों में कौमेडी के नाम पर फूहड़ता परोसी जा रही है, इस पर आप क्या कहेंगी?

बहुत कठिन काम है. आज के समय में किसी को रुलाना तो आसान है क्योंकि हर व्यक्ति जिंदगी के किसी कोने में दुखी है. पर काम की आपाधापी में व्यस्त हुए इंसान के चेहरे पर मुसकराहट लाना सब से कठिन काम है. लेकिन आज जो कौमेडी के नाम पर सैक्स कौमेडी परोसी जा रही है वह मैं कभी नहीं कर सकती. मैं मानती हूं सैक्स जीवन का अहम हिस्सा है लेकिन इसे सलीके से पेश करना चाहिए, फूहड़ता के साथ नहीं.

आप चूंकि उत्तराखंड से संबंध रखती हैं, अगर आप को राजनीति में मौका मिले तो?

अगर मौका मिलता है तो जरूर आना चाहूंगी, क्योंकि अपने लोगों के लिए अगर राजनीति में आ कर कुछ अच्छा विकास कार्य कर पाऊं इस से अच्छी बात मेरे और मेरे राज्य के लोगों के लिए क्या होगी. उत्तराखंड में चुनाव भी आने वाले हैं, अगर किसी दल को लगता है मैं उस के साथ आ कर अच्छी तरह काम कर सकती हूं तो मैं उस दल का हिस्सा जरूर बनूंगी.

एक अच्छी ब्लौकबस्टर फिल्म के लिए क्या जरूरी होता है?

आज का ट्रैंड यह हो गया है कि हीरो ही स्टोरी है. फिल्म के हीरो को देख कर स्टोरी लिखी जाती है. दूसरा है फिल्म का प्रोमोशन. अगर फिल्म बहुत अच्छी बनी है लेकिन उस का प्रचारप्रसार सही ढंग से नहीं किया गया तो वह नहीं चलेगी. ‘तलवार’ फिल्म को ही देखिए, फिल्म अच्छी थी पर सीमित प्रचार के कारण वह दर्शकों को नहीं जुटा पाई. अगर रिलीज के पहले किसी फिल्म में कंट्रोवर्सी हो जाए तो उस फिल्म को मुफ्त में ही अच्छीखासी पब्लिसिटी मिल जाती है.                                                      

विवादों में रहीं हिमानी

हिमानी पर इंदौर के निर्माता मोहम्मद अली ने धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाया है. अली का कहना है कि 5 लाख रुपए लेने के बाद भी हिमानी ने उन की फिल्म में काम नहीं किया और न ही पैसे लौटाए हैं. कोर्ट में अनुपस्थित रहने पर फरियादी ने हिमानी के पासपोर्ट को जब्त किए जाने की मांग भी की थी.

– जेएनयू आंदोलन के समय कन्हैया कुमार पर देश विरोधी नारे लगाने के आरोप लगाए जाने के बावजूद हिमानी ने उसे छोड़ दिए जाने का सुझाव दे डाला, जिस पर काफी विवाद हुआ था.

स्विमिंग सूट से परहेज क्यों

हिमानी शिवपुरी ने जब से फिल्मों में अपना कैरियर शुरू किया, कभी भी स्विमिंग सूट नहीं पहना. इस के पीछे एक खास वजह यह भी रही कि हिमानी के बेटे कात्यायन को यह पसंद नहीं था. हिमानी ने बताया कि जब वह 10 साल का था तो वे उसे ले कर गोआ घूमने गई थीं. वे बारबार बेटे से समंदर में चलने को कहती रहीं लेकिन वह मना करता रहा. आखिरकार हिमानी ने बेटे से प्यार से वजह पूछी तो उस ने बता दिया कि ठीक है मैं समंदर में जाऊंगा लेकिन आप स्विमिंग सूट नहीं पहनेंगी.

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