टीम इंडिया वेस्टइंडीज के दौरे पर है और वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला टेस्ट मैच भी हो चुका है. दोनों टीमों के बीच 68 साल के क्रिकेट रिश्ते में कई ऐसे रिकॉर्ड बने हैं जिसके बारे में चर्चा होती रहती है और आगे भी होती रहेगी.
1948 में दोनों टीमों के बीच जब पहला टेस्ट मैच खेला गया तब इस टेस्ट मैच में भी ऐसे कई रिकॉर्ड बन गए थे जो क्रिकेट के पन्नों पर अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखे हैं. इस मैच में सर क्लाइड वालकॉट ने जब 154 रन की शानदार पारी खेली तब उन्होंने वेस्टइंडीज खिलाड़ी के रूप में भारत के खिलाफ पहला टेस्ट शतक मारने का रिकॉर्ड दर्ज किया था.
सी आर रंगचारी ने जब पहले विकेट के रूप में वेस्टइंडीज के एलन रय को आउट किया तब उन्होंने भी टीम इंडिया की तरफ से वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला विकेट लेने का गौरव हासिल किया. हेमचंद्र अधिकारी ने जब भारत के लिए शतक लगाया तब वे भी वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने.
जरा सोचिए इस मैच में जो भी हुआ वह सब रिकॉर्ड में दर्ज हो गया, जो पहला कैच पकड़ा, जो पहला रन आउट किया, जिसने पहला ओवर गेंदबाज़ी की, जो टॉस जीता वगेरा-वगेरा.
दोनों टीमों के बीच इस मैच में और एक शानदार रिकॉर्ड भी कायम हुआ जो आज तक नहीं टूट पाया. यह एक पारी में सबसे ज्यादा शतक मारने का रिकॉर्ड है. वेस्टइंडीज के चार बल्लेबाजों ने अपनी पहली पारी में शतक लगाए थे जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है और आज तक दोनों टीमों के बीच यह रिकॉर्ड नहीं टूट पाया है.
चलिए अब असली मुद्दे पर आते है. जैसे हम जानते हैं 60-70 के दशक में वेस्टइंडीज टीम दुनिया की सबसे शानदार टीम मानी जाती थी. वेस्टइंडीज टीम कितनी शानदार थी वह रिकॉर्ड ही बयां करते हैं.
1961 से लेकर 1967 के बीच वेस्टइंडीज ने अलग-अलग टीमों के खिलाफ लगातार पांच टेस्ट सीरीज जीती थी. विदेशी मैदानों पर भी वेस्टइंडीज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कई टीमों को हराया था. अगर भारत और वेस्टइंडीज के बीच हुए सीरीज की बात की जाए तो 1948 से लेकर 1971 के बीच भारत वेस्टइंडीज के खिलाफ एक भी टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाया था.
यह 1974 की बात है, टीम इंडिया ने चार टेस्ट सीरीज खेलने के लिए वेस्टइंडीज का दौरा किया था. ब्रिजटाउन में खेले गये पहले टेस्ट मैच को वेस्टइंडीज ने एक पारी और 97 रन से जीता. दूसरा टेस्ट मैच ड्रा रहा.
इसी तरह पोर्ट ऑफ स्पेन में जब तीसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ तब सब यही सोच रहे थे कि तीसरे टेस्ट में भी वेस्टइंडीज की जीत होगी. टॉस जीतने के बाद वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया और अपनी पहली पारी में 359 रन बनाए. भारत अपनी पहली पारी में सिर्फ 228 रन बनाए. इस तरह वेस्टइंडीज को पहली पारी के हिसाब से 131 रन की बढ़त मिल गई. वेस्टइंडीज ने अपनी दूसरी पारी 271 रन पर घोषित कर दी, इस तरह भारत के सामने 403 रन का एक विशाल लक्ष्य रखा.
भारत को इतना बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच जीतना मुश्किल लग रहा था. इसे पहले दुनिया की कोई भी टीम इतने बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच नहीं जीत पाई थी. वेस्टइंडीज की टीम में कई शानदार गेंदबाज़ थे. उनका सामना करना भारत के बल्लेबाज़ों के लिए आसान नहीं था.
लेकिन भारत की किस्मत में कुछ और लिखा हुआ था. इस मैच में टीम इंडिया को जीत मिली थी और टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज के खिलाफ रिकॉर्ड भी कायम किया था.
इस जीत के हीरो थे सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ. विश्वनाथ, गावस्कर के जीजा हैं. जीजा-साले दोनों ने मिलकर वेस्टइंडीज के गेंदबाज़ों की काफी धुलाई की थी. इन दोनों छोटे कद के बल्लेबाज़ों के सामने वेस्टइंडीज के लंबे-लंबे गेंदबाज़ घुटने टेकते हुए नज़र आए थे.
सलामी बल्लेबाज के रूप में सुनील गावस्कर ने 102 रन की शानदार पारी खेली, विश्वनाथ कमाल की बल्लेबाजी करते हुए 112 रन पर नॉट-आउट रहे और भारत को जीत दिलवाई. महेंद्र अमरनाथ ने भी 85 रन की पारी खेली थी. इतिहास में यह पहली बार हुआ था जब कोई भी टीम 400 से भी ज्यादा रन का लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच जीती थी. हालांकि बाद में यह रिकॉर्ड ज़रूर टूटा लेकिन दोनों टीमों के बीच यह रिकॉर्ड अभी-तक कायम है.