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बोझिल सैक्स, बोझिल रिश्ता

हर काम युवा जल्दबाजी में करना चाहते हैं. युवा ऊर्जा और जोश की यह खासीयत भी है कि गरम खून और उत्साह से भरी यह पीढ़ी हर काम को खुद करना जानती है. प्रेम भी युवा खुल कर करते हैं. समाज की सीमाओं से परे इन के रिश्ते दकियानूसी दौर को पार कर चुके हैं और सैक्स संबंधों के लिए किसी से परमिशन नहीं लेनी पड़ती. एक शोध में पाया गया कि शारीरिक संसर्ग की गुणवत्ता बोझिल होने से रिश्ते बोझ लगने लगते हैं और युवा भूल जाते हैं कि असल रोमांस क्या है. आजकल युवाओं में बढ़ती थकान, दबाव या निराशा के कारण अपनी गर्लफ्रैंड के साथ सैक्सुअल रिलेशन बोझिल होते जा रहे हैं, जिस का नकारात्मक असर उन के रिश्ते पर भी दिखता है.

युवकयुवती के बीच अगर सैक्स संबंधों में मधुरता है तो दोनों के रिश्तों में नई ऊर्जा का भी संचार होता है, लेकिन अगर सैक्स संबंध ही बोझिल हो चुके हैं तो रिश्ता भी बोझिल हुआ समझो. आइए, जानते हैं कि सैक्स संबंधों की बोझिलता दूर कर किस तरह युवा अपने रिलेशन में नई जान फूंक सकते हैं :

खुल कर करें इजहार

डौन युवाओं के बीच अगर सैक्स में डिजायर्स नहीं है तो रिश्ते में भी ऊष्मा नहीं आएगी. ज्यादातर युवतियां अपने साथी से संकोचवश सैक्स के बारे में अपनी फीलिंग्स छिपाती हैं, जिस के चलते उन्हें उस तरह का सैक्सुअल प्लेजर नहीं मिल पाता जिस की उन्हें चाहत होती है. मन की बात मन में ही रह जाती है. पार्टनर के सामने खुल न पाने के चलते सैक्स संबंध बोझिल लगने लगते हैं. अगर आप चाहते हैं कि रिश्तों में रोमांस का तड़का लगा रहे तो अपनी डिजायर्स पार्टनर से शेयर करें, जो अच्छा लग रहा है, उसे बताएं और बुरी फीलिंग्स को भी छिपाएं नहीं. अपने साथी के साथ हर बात शेयर करें और सैक्सुअल रिलेशन बनाते समय संकोच को किनारे कर उस का पूरा आनंद लें, आप पाएंगे कि रिश्तों की खोई ऊष्मा वापस आ रही है.

जराजरा टचमी… टचमी…

स्पर्श प्रेम और सैक्स का सब से अहम टूल होता है. एक स्पर्श अंगअंग में गुदगुदी भर सकता है जबकि गलत तरीके से किया गया स्पर्श मन को घृणा से भर देता है. सैक्स संबंध बनाते समय अगर अपने साथी को स्पर्श करने की कला आप को आती है तो सैक्स का आनंद कई गुणा बढ़ जाता है. सैक्स ऐक्सपर्ट मानते हैं कि स्पर्श का प्यार और सैक्स से गहरा रिश्ता है. इस के पीछे वजह है कि स्किनटूस्किन कौंटैक्ट से आप का औक्सिटोसिन लैवल बढ़ेगा. इस से आप रिलैक्स महसूस करेंगी और अपने पार्टनर के और करीब जाएंगी. थोड़ा तन से छेड़छाड़ और तन से तन का स्पर्श ही कामइच्छा को जागृत करता है. स्पर्श से कामइच्छा में इजाफा होता है और संबंधों में प्रगाढ़ता आती है. पार्टनर को प्रेमस्पर्श देना सब से कारगर तरीका है. पार्टनर का मूड बनाने के लिए कान के पीछे, आंखों पर किस भी कर सकते हैं.

शरारती बातें और चाइनीज फुसफुस

सैक्स एक कला है और इस में जितने प्रयोग किए जाएं यह उतनी निखरती है. इसलिए जब भी आप सैक्स संबंध बनाएं नए प्रयोग आजमाने से हिचकें नहीं. जब भी आप को मौका मिले पार्टनर को फोन मिलाएं और रोमांटिक तथा शरारत भरी बातें करें साथ ही उन्हें हिंट दें कि शाम को जब आप दोनों की मुलाकात होगी, तो क्या सरप्राइज मिलने वाला है. इशारा सैक्स को ले कर हो तो ज्यादा मजेदार होगा. अगर और प्लेजर खोज रहे हैं तो कान में फुसफुस वाला गेम भी खेल सकते हैं. इसे चाइनीजविस्पर गेम कहा जाता है. इस खेल को कइयों ने बचपन में खेला होगा. इस में नौटी बातों का तड़का लगा कर खेलेंगे तो मजा दोगुना हो जाएगा. जब अपने पार्टनर के साथ यह खेल खेलें तो उस के कानों में कुछ सिडक्टिव बातें कहें.

माहौल हो खुशनुमा

सैक्स कहीं भी और कभी भी करने वाली क्रिया नहीं है. जिस तरह खाना बिना भूख और स्वाद के गले नहीं उतरता, बेस्वाद लगने लगता है, ठीक उसी तरह सैक्स भी जबरन या गलत मूड और माहौल में करने से बेहद नीरस लगने लगता है. जिस से कई बार रिश्ते बोझिल लगने लगते हैं. सैक्स में माहौल और मूड जरूरी फैक्टर्स हैं. पुराने समय में तरहतरह के इत्र का इस्तेमाल होता था, क्योंकि सुगंध का सैक्स से रोचक रिश्ता है. महकता बदन और मदहोश करने वाली सुगंध से सैक्स की डिजायर और बढ़ जाती है. इसलिए अपने कमरे या जहां भी सैक्स करते हैं, वहां का माहौल खुशनुमा बना लें, कमरा सजाएं. कमरे का इंटीरियर बदलें. कमरे की लाइट डिम हो और रोमांटिक म्यूजिक चला हो, फिर दिनभर की थकान दूर करने के लिए पार्टनर की मसाज करें.

रोल प्ले और साथ में बाथ

रोजरोज एक ही काम करने से उस में बोझिलता आना स्वाभाविक है. हर रिश्ता कुछ नया और एडवैंचर्स की मांग करता है. कई बार उस के लिए खुद को बदलना भी पड़ता है. सैक्सुअल रिलेशन में इसी काम को रोल प्ले भी कहते हैं. इस में कुछ फिक्शन और नौन फिक्शन किरदारों को मिला कर एक किरदार बना लें और अपने साथी के साथ सैक्स के दौरान उस किरदार में रहें. आप पाएंगे कि आप को सैक्स की कुछ अलग अनुभूति हो रही है और नया रोमांचकारी अनुभव भी मिलेगा. पार्टनर के साथ एक रोमांटिक कहानी बनाएं, दोनों रोल बांट लें और बैडरूम में रोल प्ले करें या फिर रोल निभाएं, जो आप निभाना चाहते हैं. एकदूसरे के करीब आने का यह क्रिएटिव तरीका है. साथ ही अपनी सैक्स अपील उभारने के लिए ट्रांसपेरैंट ड्रैसेज और इरोटिक लिंजरी का सहारा लेने से भी सैक्स में तड़का लगता है. सैक्स ड्राइव बढ़ाने के लिए यह भी एक नायाब तरीका हो सकता है. बाथरूम में अच्छा परफ्यूम स्प्रे करें. बाथटब में एकसाथ बाथ लें.

स्ट्रैसफ्री सैक्स, पोर्न की लत और हैल्दी फूड

युवाओं में काम की टैंशन, नौकरी का तनाव और थकान सैक्स को बेमजा करते हैं. लिहाजा, रिश्ते भी अपना आकर्षण खोने लगते हैं. इसलिए किसी भी तरह खुद को रिलैक्स करिए तभी स्वस्थ सैक्स का मजा ले सकेंगे. जब स्ट्रैसफ्री रहेंगे तभी अपने साथी की डिजायर समझेंगे और उसे सैक्स का पूरा आनंद दे सकेंगे वरना सैक्स तो होता है, लेकिन एकतरफा और अधूरा सा रहता है, जिस में एक साथी असंतुष्ट रहता है. जिस का गुस्सा उस रिश्ते को खराब भी कर सकता है. सैक्स का स्वस्थ खाने और हैल्थ से भी कनैक्शन है. वैसे तो स्वास्थ्य के लिहाज से भी यही सलाह दी जाती है. यहां भी हम यही सुझाव देंगे. यदि आप सैक्स करना चाहते हैं तो कम खाना खाएं या फिर घंटेभर पहले खाना खा लें. इस से बैड पर आप को आलस नहीं आएगा.

पोर्न की लत को ले कर सैक्स ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि एक सीमा तक पोर्न देखना रिलेशनशिप के लिए अच्छा है. लेकिन शोध बताते हैं कि सैक्स में आती बोझिलता के चलते रिश्तों की गर्माहट खत्म हो रही है, जिस के नतीजे ब्रेकअप के रूप में सामने आ रहे हैं.

VIDEO : कलरफुल स्ट्रिप्स नेल आर्ट

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बाल यौन शोषण की अंधेरी दुनिया का दस्तावेज है “अमोली”

बच्चों के कमर्शियल यौन शौषण के बदसूरत व्यवसाय के बारे में चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा करने आ रही है “अमोली : प्राइसलेस”. कल्चर मशीन द्वारा बनाई गई इस डौक्यूमेंट्री में बच्चों के यौन शोषण के उस तरीके को सामने लाया गया है, जो बच्चों के खिलाफ हिंसा के सबसे खराब रूपों में से एक है. यह फिल्म 7 मई को रिलीज होगी.

इस फिल्म को 4 अध्यायों में बांटा गया है. मोल, माया, मंथन और मुक्ति. हर भाग दर्शकों को एक यात्रा पर ले जाता है, जो बाल यौन शोषण की अंधेरी दुनिया में गहराई से गुजरता है.

अगर हम आंकड़ों की बात करें तो भारत में चाइल्ड ट्रैफिकिंग यानि बाल तस्करी के 9,034 केस दर्ज हैं. मानव तस्करी के 60 फीसदी मामलों में पीड़ित नाबालिग होते हैं. महाराष्ट्र में बाल तस्करी के 172 केस, पश्चिम बंगाल में 3,113 केस, कर्नाटक में 332, आंध्र प्रदेश में 239 और तमिलनाडु में 434 केस दर्ज हैं. नेशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो (2016 की रिपोर्ट) से स्पष्ट है कि बाल तस्करी के सभी मामलों के लिए सजा की दर केवल 27.8% थी.

“अमोली” इन मासूम बच्चों की सच्ची कहानियों को जानने और समझने का एक प्रयास है, जो हमें ऐसे लोगों से सतर्क रहने के लिए भी प्रेरित करती है, जिन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े बाल तस्करी बाजारों में से एक बना दिया है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाल तस्करी का व्यापार 32 बिलियन डौलर का है. “अमोली” के माध्यम से ऐसे पुरुषों के लिए कठोर सजा की मांग की गई है, जो सेक्स के लिए बच्चों की मांग करते हैं. जब ऐसे लोगों को सजा का डर होगा तभी बाल तस्करी यह आपराधिक गठबंधन टूट सकता है. नेशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में वाणिज्यिक यौन शोषण के 3 मिलियन पीड़ितों में से 40 फीसदी बच्चे हैं.

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“अमोली” के बारे में कल्चर मशीन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ और सह-संस्थापक समीर पिटलवाला का कहना है कि हमारी इस फिल्म का मुख्य उद्देशय मूल रूप से पुरुषों को सेक्स के लिए बच्चों को खरीदने से रोकना है. हम मानते हैं कि हमारा यह उद्देशय केवल स्पष्ट राजनीतिक प्रतिबद्धता, सक्रिय कानून प्रवर्तन और सख्त एवं त्वरित न्याय के माध्यम से ही पूरा हो सकता है. हम “अमोली” के माध्यम से इस मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाना चाहते हैं. और इसके साथ ही हम चाहते हैं कि आम जनता इस मुद्दे को हल करने के लिए पुलिस, न्यायपालिका और सरकार से मांग करे.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डौक्यूमेंट्री फिल्ममेकर जैस्मीन कौर रौय और अविनाश कौर द्वारा निर्देशित और ताजदार जुनैद द्वारा संगीतबद्ध इस 30 मिनट की फिल्म का उद्देशय लोगों के बीच इस विषय पर जागरुकता बनाए रखना है.

“अमोली” को हिंदी में शूट किया गया है, लेकिन यह फिल्म छह अन्य भाषाओं – तमिल, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्नड़ और अंग्रेजी, में भी रिलीज होगी.

समीर पिटलवाला और वेंकट प्रसाद द्वारा 2013 में स्थापित, कल्चर मशीन प्राइवेट लिमिटेड ने इस फिल्म को निर्माण किया है. यह एक डिजिटल मीडिया कंपनी है जिसका उद्देशय स्टोरीटेलिंग और मीडिया ब्रांड का निर्माण करने में तकनीक का उपयोग करना तथा अच्छे कंटेट के साथ अत्याधुनिक तकनीक का संयोजन करना है. सिंगापुर स्थित पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी The Aleph Group, की सहायक कंपनी कल्चर मशीन, के कार्यालय भारत के प्रमुख शहरों (मुंबई, पुणे, दिल्ली, चेन्नई और हैदराबाद) में स्थापित हैं तथा इसका एक कार्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका (डेलावेयर) में भी है.

‘अवेंजर्स : इन्फीनिटी वार’ ने तोड़े सारे रिकार्ड

पांच छह दिन पहले हमने हौलीवुड फिल्म ‘‘अवेंजर्स : इन्फीनिटी वार’’ की समीक्षा लिखते समय ही आगाह किया था कि यह फिल्म हर किसी के दिलों पर अपना कब्जा जमा लेगी. और चार दिन में ही यह बात सही साबित हो गई. 27 अप्रैल को भारतीय सिनेमाघरों में पहुंची रौबर्ट डाउनी जूनियर, क्रिस इंवास, क्रिस हेम्सवर्थ स्कारलेट जौनसन्स जैसे हौलीवुड कलाकारों के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘अवेंजर्स : इन्फीनिटी वार’’ ने पहले ही दिन 31 करोड़ 30 लाख रूपए कमाकर नया रिकार्ड बना डाला था.

किसी भी भारतीय फिल्म को पहले दिन इतनी बड़ी ओपनिंग नही मिली. उसके बाद वीकेंड यानी कि पहले तीन दिन में इस फिल्म ने 94 करोड़ तीस लाख रूपए कमा लिए थे. चौथे दिन, सोमवार, 30 अप्रैल को इस फिल्म ने 24 करोड़ कमा लिए. इस तरह ‘अवेंजर्स : इन्फीनिटी वार’ ने महज चार दिन में 118 करोड़ रूपए से अधिक कमाए. जबकि अपने आपको सुपर स्टार कहलाने वाले मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘मिसिंग’ की पूरी कमाई एक करोड़ रूपए भी नही पहुंची.

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इतना ही नही ‘बागी 2’ को सफलतम फिल्म बताया जा रहा है, पर ‘बागी 2’ की कमाई के आंकड़े, ‘अवेजर्स : इन्फीनिटी वार’ से काफी पीछे हैं. यहां तक कि आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ व ‘पीके’ और सलमान खान की ‘बजरंगी भाईजान’ भी काफी पीछे हो गई हैं. यह हालात तब हैं, जब ‘अवेंजर्स : इन्फीनिटी वार’ महज दो हजार स्क्रीन में ही प्रदर्शित हुई है. जबकि बौलीवुड के सुपर स्टारों की फिल्में एक साथ चार से पांच हजार स्क्रीन्स में प्रदर्शित होती है.

अब मंगलवार, एक मई को छुट्टी की वजह से ‘अवेंजर्स : इन्फीनिटी वार’ की कमाई के बढ़ने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं. यदि यही हाल रहा तो इस सप्ताह की समाप्ति तक ‘अवेंजर्स : इन्फीनिटी वार’ के 180 करोड़ के करीब कमा लेने के आसार नजर आ रहे हैं.

इसकी मूल वजह यह भी है कि इस वक्त सिनेमाघरों में चल रही ‘अक्टूबर’, ‘मिंसिंग’, ‘नानू की जानू’, ‘दास देव’, ‘इश्क तेरा’ जैसी बौलीवुड फिल्मों को दर्शक देखना ही नहीं चाहता.

वरूण धवन की 13 अप्रैल को प्रदर्शित फिल्म ‘अक्टूबर’ अब तक सिर्फ 39 करोड़ रूपए ही कमा सकी है. ‘दास देव’ ने चार दिन में महज 65 लाख रूपए, ‘नानू की जानू’ चार करोड़, ‘मिसिंग’ 85 लाख तथा इरफान खान की फिल्म ‘‘ब्लैकमेल’’ की पूरी कमाई बीस करोड़ रूपए ही है.

‘अवेजर्स : इनफीनिटी वार’ ने जिस तरह से भारतीय बौक्स आफिस पर कमाई की है, उससे बौलीवुड के आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान खान सहित सभी सुपरस्टारों की नींद हराम हो गई है. इनकी फिल्मों ने अब तक कभी इतनी कमाई नहीं की. अब सलमान खान को अपनी फिल्म ‘रेस 3’ के बौक्स औफिस की चिंता सताने लगी है. तो वहीं आमिर खान अपनी फिल्म ‘‘ठग्स आफ हिंदुस्तान’’ को लेकर चिंतित है. उधर शाहरुख खान और आनंद एल राय को भी अब अपनी फिल्म ‘जीरो’ के बौक्स औफिस की चिंता सताने लगी है.

सवाल यही है कि आखिर बौलीवुड के कलाकार व फिल्मकार कब अच्छी फिल्म बनाने के बारे में सोचेंगे?

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चुनावों के वक्त आखिर क्यों नहीं बढ़ते पेट्रोल के दाम

क्रूड के दाम में तेजी के बावजूद तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को 16 से 19 अप्रैल के बीच स्थिर रखा और फिर 24 से 29 अप्रैल के बीच भी यही स्थिति रही यानि मंगलवार से रविवार के बीच दिल्‍ली में पेट्रोल 74.63 रुपए प्रति लीटर और डीजल 65.93 रुपए प्रति लीटर पर स्थिर रहा. हालांकि पेट्रो उत्‍पादों की कीमतें रोज तय होती हैं. लेकिन इस कार्रवाई पर अचानक ब्रेक का कारण क्‍या है?

विश्‍लेषकों की मानें तो इंडियन औयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्‍दुस्‍तान पेट्रोलियम, जिनका 90 फीसदी ईंधन रिटेलिंग पर नियंत्रण है, के शेयरों में 11 अप्रैल तक 9 से 16 फीसदी की गिरावट तक दर्ज की गई क्‍योंकि इस दौरान तेल कीमतों में आग लगी हुई थी. मीडिया रिपोर्टों में दावा है कि कीमतों में संशोधन सरकार के कहने पर रोका गया. हालांकि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इसका खंडन कर चुके हैं. उनका कहना था कि कर्नाटक चुनाव को लेकर सरकार की ओर से पेट्रोल उत्‍पादों की कीमतों में संशोधन को रोकने के लिए कोई निर्देश नहीं जारी किया गया है. कर्नाटक में 12 मई को मतदान है.

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चार महानगरों में नहीं बढ़े दाम

एक रिपोर्ट के मुताबिक 24 से 29 अप्रैल के बीच दिल्‍ली में पेट्रोल 74.63 रुपए प्रति लीटर और डीजल 65.93 रुपए प्रति लीटर था. वहीं कोलकाता में यह क्रमश: 77.32 और 68.63 रुपए प्रति लीटर, मुंबई में 82.48 और 70.2 रुपए प्रति लीटर और चेन्‍नै में 77.43 व 69.56 रुपए प्रति लीटर था. पेट्रोल और डीजल पर से सरकारी नियंत्रण काफी पहले हट गया था लेकिन माना जा रहा है कि सरकार चुनाव के वक्‍त सरकारी कंपनियों से कीमतों में मामूली बढ़ोतरी के लिए ही कहती है. कंपनियां उस दौरान हुए घाटे की भरपाई मतदान के बाद कीमतें बढ़ाकर करती हैं. सरकारी तेल कंपनियों की कीमतों को देखकर ही रिलायंस, एस्‍सार जैसी प्राइवेट तेल कंपनियां अपनी कीमतें तय करती हैं.

गुजरात चुनाव के वक्‍त भी स्थिर हो गई थी कीमतें

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोजाना संशोधन का नियम है, यानि दाम क्रूड के स्‍तर को देखकर तय होते हैं. एक खबर के मुताबिक गुजरात में विधानसभा चुनाव दिसंबर 2017 में हुए थे. दिसंबर के पहले 15 दिन इंडियन औयल ने रोजाना सिर्फ एक से तीन पैसे तक ईंधन के दाम बढ़ाए लेकिन 14 दिसंबर को मतदान के बाद कीमतें बेतहाशा बढ़ीं. तब यह कयास लगे थे सरकार के कहने पर कंपनियों ने कीमतें नहीं बढ़ाईं. हालांकि पेट्रोलियम मंत्री प्रधान ने तुरंत इसका खंडन किया था. उन्‍होंने कहा था कि हमारी तरफ से ऐसा कोई निर्देश नहीं है. उस समय कंपनियों को एक रुपए प्रति लिटर का घाटा सहना पड़ा था. आईओसी के चेयरमैन संजीव सिंह ने भी कहा था कि हमें सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला है.

आठ साल पहले सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गया था पेट्रोल

पेट्रोल जून 2010 से सरकारी नियंत्रण से बाहर हैं. इसके बाद अक्‍टूबर 2014 में डीजल को भी इस व्‍यवस्‍था के तहत लाया गया. उसके बाद माह में दो बार कीमतों में संशोधन होने लगा था. लेकिन तेल कंपनियों ने बीते एक साल से रोजाना कीमतों में संशोधन की व्‍यवस्‍था शुरू कर दी.

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विराट ने अनुष्का को इस अंदाज में कहा हैप्पी बर्थडे

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की पत्नी और बौलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा आज यानि 1 मई को शादी के बाद अपना पहला जन्मदिन सेलिब्रेट कर रही हैं. 1 मई 1988 को जन्मी अनुष्का शर्मा 30 साल की हो गई हैं. अनुष्का शर्मा ने शाहरुख खान के साथ 2008 में फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ से बौलीवुड में कदम रखा था. उत्तरप्रदेश के अयोध्या में जन्मी और पली-बढ़ी अनुष्का शर्मा ने 2007 में फैशन डिजाइनर वेंडेल रौड्रिक्स के लिए एक मौडल के रूप में उन्हें पहला ब्रेक मिला और मौडलिंग में करियर बनाने के लिए वह मुंबई आ गई थीं.

विराट-अनुष्का की लव स्टोरी 2013 में एक विज्ञापन की शूटिंग के दौरान शुरू हुई थी, जो 2017 में शादी के साथ किसी परियों की कहानी की तरह पूरी हुई. 2013 में विराट कोहली और अनुष्का एक शैंपू का विज्ञापन कर रहे थे. शादी से पहले एक इंटरव्यू के दौरान विराट ने इस बात को स्वीकार भी किया था कि अनुष्का को पहली बारी स्क्रीन से अलग देखना एक सपने जैसा था. विराट ने बताया कि पहली बार उन्हें देखकर बस वह देखते ही रह गए थे.

विराट और अनुष्का की लव स्टोरी में भी कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले. 2014-15 में जहां इन दोनों की मोहब्बत की खबरें सुर्खियां बनी हुई थीं तो वहीं 2016 में इन दोनों के ब्रेकअप की खबरें भी आने लगी थीं, लेकिन अक्टूबर 2016 में विराट-अनुष्का ने युवराज सिंह शादी में एक साथ पहुंचकर ब्रेकअप की अफवाहों पर विराम लगा दिया था.

विराट कोहली ने पहली बार सोशल मीडिया पर अनुष्का शर्मा को जन्मदिन की बधाई दी है. विराट ने अनुष्का को केक खिलाते हुए एक तस्वीर शेयर की है. इस तस्वीर को शेयर करते हुए विराट ने लिखा है- हैप्पी बर्थडे माय लव… द मोस्ट पौजीटिव एंड औनेस्ट पर्सन आई नो. लव यू.

बता दें कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली 11 दिसंबर को बौलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ विवाह बंधन में बंधे थे. विराट और अनुष्का ने परिजनों और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में इटली में सात फेरे लिए थे. शादी के बाद विराट कोहली ने ट्वीट करके अपनी और अनुष्का की शादी की पुष्टि की थी.

विराट कोहली ने अपने ट्वीट के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा था, “आज हमने एक दूसरे के प्यार में हमेशा के लिए खो जाने का वादा किया.” कोहली ने आगे लिखा, “हम यह खबर आपसे साझा करना चाहते हैं. दोस्तों, परिजनों और प्रशंसकों की दुआओं के कारण यह दिन और भी खास बन गया. हमारे सफर का अहम हिस्सा बने रहने के लिए धन्यवाद.”

जल्द ही लौन्च होने वाला है एंड्रौयड इलेक्ट्रिक स्कूटर

भारत में इलेक्ट्रिक कारों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स को भी बढ़ावा मिल रहा है. दरअसल अब इलेक्ट्रिक वाहन बदल रहे हैं. वह स्पीड और स्टाइल के मामले में फ्यूल से चलने वाले वाहनों के साथ आते जा रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियां भी इस पर अच्छा खासा ध्यान दे रही हैं और इसी का नतीजा है कि लोग अब इन्हें पसंद कर रहे है.

एक भारतीय स्टार्टअप भारत में अपना एक नया स्कूटर लौन्च करने जा रहा है. इस स्कूटर की सबसे खास बात है कि इसमें जो मीटर मिलेगा वो कोई आम मीटर नहीं होगा बल्कि एक टचस्क्रीन मीटर होगा. मतलब मीटर पूरी तरह से डिजिटल होगा. इसके साथ ही इसके मीटर में मैप भी मिलेगा.

यह स्टार्टअप बेंगलुरू का है. इसका नाम अथर एनर्जी है. यह स्टार्टअप अपना स्कूटर Ather S340 लौन्च करने की तैयारी कर रहा है. इस स्कूटर में एंड्रौयड आधारित टच स्क्रीन मिलेगी. इसके अलावा इसमें पुश नेविगेशन भी मिलेगा. इस स्कूटर के साथ वाटरप्रूफ चार्जर और पार्किंग असिस्ट भी मिलेगा. इस स्कूटर में एलईडी लाइट्स के अलावा मल्टिपल राइडिंग मोड्स भी मिलेंगे.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक एथर S340 की बुकिंग जून में होगी शुरू होगी. इसे इस साल के आखिर तक लौन्च किया जा सकता है. इसकी कीमत 75 हजार रुपये के करीब हो सकती है. इस स्कूटर को कंपनी ने औटो एक्सपो 2016 में पेश किया था.

S340 को पावर देने के लिए इसमें लिथियम-आयन बैटरी पैक दिया जाएगा. यह एक बार फुल चार्ज करने पर 60 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. इसकी टौप स्पीड 72 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. इसकी सबसे खास बात कि सिर्फ 50 मिनट में इसे 80 फीसदी तक चार्ज किया जा सकेगा और इसकी बैटरी लाइफ 50,000 किलोमीटर तक बताई जा रही है. भारत में अथर S340 का मुकाबला ट्वेंटी टू मोटर्स के फ्लो से होगा. यह स्कूटर 2 घंटे में फुल चार्ज हो जाता है. एक बार फुल चार्ज होने के बाद फ्लो ई-स्कूटर को 80 किलोमीचर तक चलाया जा सकता है. इसकी टौप स्पीड 60 किलोमीटर प्रति घंटा की है.

ट्वेंटी टू मोटर्स ने औटो एक्सपो के दौरान अपना पहला इलेक्ट्रिक स्कूटर फ्लो लौन्च किया था जिसकी कीमत 74,740 रुपये रखी थी. इस स्कूटर में 2.1 किलोवाट इलेक्ट्रिक मोटर दी गई है, जो 90 न्यूटन मीटर का टौर्क जनरेट करती है.

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सैक्स महंगा है

सोशल बैवसाइट सर्वे करने वाली एक आईटी कंपनी की हालिया रिपोर्ट चौंकाती है, जिस में पोर्न बेस्ड सर्वे के आधार पर ये आंकड़े दिए गए हैं कि देश में 22 से 34 आयुवर्ग के युवा पोर्नोग्राफी, पेड सैक्स, बैव सैक्स चैट के जरिए अपनी पौकेट ढीली कर रहे हैं. उन की कमाई का लगभग 20 से 30त्न हिस्सा पेड सैक्स के लिए जा रहा है. माध्यम चाहे जो भी हो, सैक्स के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है यानी सैक्स अब सस्ता व सुलभ नहीं, बल्कि महंगा और अनअफोर्डेबल है. पेड सैक्स की बढ़ती लोकप्रियता व चलन ने सैक्स को आम लोगों की पहुंच से दूर कर दिया है. अब यह पैसे वालों का शौक बन गया है. सैक्स की बढ़ती मांग और आपूर्र्ति के बीच गड़बड़ाए तालमेल ने सैक्स बाज़ार के रेट आसमान पर पहुंचा दिए हैं. इस का दूसरा बड़ा कारण है मोटी जेब वालों की सैक्स तक आसान पहुंच. जहां जैसी जरूरत हो, मोटी रकम दे कर सैक्स बाज़ार से सैक्स खरीद लिया, नो बारगेनिंग, नो पचड़ा. इस का नतीजा हाई रेट्स पेड सैक्स के रूप में सामने आया. सैक्स वर्कर्स ने भी मांग के आधार पर अपनी दरें ऊंची कर लीं.

क्या है पेड सैक्स

सैक्स के लिए जो रकम अदा की जाती है उसे पेड सैक्स कहा जाता है. इस के कई रूप हो सकते हैं. वर्चुअल सैक्स से ले कर लाइव फिजिकल सैक्स तक. औनलाइन सैक्स मसलन, पोर्न वीडियो, पोर्नोग्राफी, औनलाइन पेड फ्रैंडशिप, वीडियो सैक्स, वैब औरिएंटेड सैक्स. औफलाइन सैक्स मसलन, ब्रोथल पिकअप सैक्स, कौलगर्ल औन डिमांड आदि. सैक्स के इन तमाम माध्यमों में कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पैसे इनवैस्ट किए जाते हैं. सैक्स के तमाम माध्यमों में सीधे इनवैस्टमैंट को पेड सैक्स कहते हैं.

सैक्स की राह नहीं आसान

कुछ दशक पहले तक सैक्स तक आम लोगों की आसान पहुंच थी. छोटीमोटी रकम अदा कर के यौनसुख का आनंद उठाया जा सकता था, पर सैक्स के विभिन्न मौडल सामने आने के बाद उस की दरों में कई गुणा वृद्धि हुई है.

क्या है इन की कैटेगरी व प्रचलित दरें

–       औनलाइन पेड सैक्स : प्रति मिनट डेटा चार्जेज.

–      फोन फ्रैंडशिप : 2 से 3 हजार रुपए प्रतिमाह सदस्यता.

–       कौलगर्ल औन डिमांड : 2 से 10 हजार रुपए प्रति घंटा.

–       स्कौर्ट सर्विस (श्रेणी एबीसी ) शुरुआती दर.

–       ब्रोथल सैक्स : 500 से 1,500 रुपए तक नाइट/आवर.

–       हाउस सर्विस : पर शौट (हाउसवाइफ, कालेज/वर्किंग वूमन)  3 से 5 हजार रुपए पर शौट.

मार्केट में चल रही इन दरों को देख कर आसानी से यह कहा जा सकता है कि ऐक्स्ट्रा मैरिटल सैक्स की चाह रखने वालों को अब मनी कैपेबिलिटी भी ऊंची रखनी होगी. यौनतृप्ति की राह आसान नहीं है. सैक्स के बाजार ने एक बड़ा रूप ले लिया है, जहां जिस की जितनी हैसियत है उस हिसाब से यौन संतुष्टि पा सकता है. आम व सामान्य लोगों के लिए यौनलिप्सा के दरवाजे लगभग बंद होते प्रतीत हो रहे हैं. कौलगर्ल रिचा चंद्रा बताती हैं, ‘‘वर्षों से (लगभग 11 साल पहले) जब वे इस पेशे में आई थीं, तब उन के पास ठीक से खाने व ब्रोथल की मैडम को रैंट चुकाने तक के पैसे नहीं थे, क्योंकि तब ग्राहकों की पेइंग कैपेसिटी बहुत कम थी और मार्केट में सप्लाई ज्यादा. इसलिए औनेपौने रेट पर भी वे ग्राहक पटा लेती थीं, तब न तो इतने बड़े और ग्लैमरस तरीके से उन्हें प्रोजैक्ट किया जाता था और न ही इंटरनैट के जरिए विज्ञापन व प्रचारप्रसार था.

‘‘अब स्थिति बिलकुल उलट है. ऐडवर्ल्ड व सोशल मीडिया की आसान पहुंच ने सबकुछ बदल दिया है. अब वे विज्ञापन के जरिए अपना बेस प्राइस भी तय कर सकती हैं और अपनी सर्विस के लिए बारगेनिंग भी. साथ ही ग्लैमरस प्रोजैक्शन ने मार्केट में उन की प्राइस वैल्यू औैर बढ़ा दी है. ‘‘इस तरह जहां वे पहले वननाइट सर्विस के लिए 200 से 500 रुपए तक ही कमा पाती थीं आज वह बढ़ कर 2 से 5 हजार रुपए तक हो गया है. रिचा आगे बताती हैं कि विवाह से इतर सैक्स की चाह ने भी बाज़ार में क्लाइंट की संख्या में खासा इजाफा किया है. इंटरनैट पर बढ़ते सैक्स के प्रोजैक्शन ने युवाओं में लाइव सैक्स की चाह को बढ़ाया है.’’ चाहे जो हो, सैक्स का बाज़ार महंगाई के प्रभाव से अछूता है. जब तक लोगों की जेबें गरम रहेंगी, बिस्तर भी गरम होता रहेगा. हैसियत और ओहदे के हिसाब से बेहतर सेवाएं भी मिलती रहेंगी. पैसे वालों के लिए अल्ट्रामौडर्न स्कौर्ट्स सर्विस तो आम लोगों के लिए साधारण ब्रोथल सर्विस.

मांग है तो आपूर्त्ति भी लगातार बनी रहेगी, तो पैसा फेंकिए और तमाशा देखिए. इस में हर्ज ही क्या है?

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प्रेग्नेंसी है कैजुअलिटी, इश्यू नहीं

हमारा समाज भी बड़ा अजीब है न? उसे अपने से ज्यादा दूसरों के मामले में तांकने झांकने में ज्यादा इंटरेस्ट होता है. एक  सामान्य सा उदाहरण ही लीजिये, जैसे ही किसी लड़की की विवाह की उम्र होने लगती है, वह  उससे यह पूछ पूछ कर उसका दिमाग ख़राब कर देता है कि शादी कब कर रही हो? सेटल कब हो रही हो? किसी तरह इन के सवालों से पीछा छुड़ाने के लिए शादी कर लो, तो नया राग अलापना शुरू कर देते हैं, खुशखबरी कब सुना रही हो? अरे भाई थोड़ा तो सांस लेने दीजिये, हमें अपनी ज़िन्दगी अपने तरह से जीने का कोई तो मौका दीजिये. आपकी अपनी जिंदगी में अपने लिए सोचने लायक क्या कुछ भी नहीं है, जो हमारे फटे में अपनी टांग घुसाते रहते है और चलो अगर हमने उनके कहे अनुसार सो कॉल्ड सेटल होने का डिसीजन ले भी लिया और उनकी भेदती आँखों और जासूसी निगाहों ने भांप लिया कि विवाह के बाद हम दो से तीन होने वाले हैं तो सच मानिए वे अपनी नसीहतों का पुलिंदा दे देकर आपको पूरी तरह पका देंगे और अच्छे भले इंसान को बीमार बना देंगे. हम बात कर रहे हैं गर्भावस्था के दौरान मिलने वाली एक्सपर्ट एडवाईजेज की.

अरे भई, गर्भावस्था कोई बीमारी  थोड़े न  है जो  आप लोग बिना मांगे अपनी एक्सपर्ट हिदायतें देकर अच्छी भली महिला को जिसके लिए मातृत्व एक सुखद अनुभव होना चाहिए, आप उसे बीमार बना देते हैं. आम लोगों के साथ तो ऐसा होता ही रहता है लेकिन जब ऐसा ही कुछ फिल्म अभिनेत्री करीना कपूर के साथ हुआ और बार बार अपनी प्रेग्नेंसी पर मीडिया के अटेंशन के कारण जब उनके बर्दाश्त की सीमा खत्म हो गयी तो  उन्होंने जमकर अपनी  भड़ास निकाली  और गुजारिश  की कि मीडिया उनकी प्रेग्नेंसी को नेशनल कैजुअलिटी इश्यू न बनाए.

दरअसल, करीना इन दिनों  प्रेग्नेंसी के बावजूद रिया कपूर की फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ की शूटिंग कर रही हैं. इस बात पर जब उनसे पूछा गया था कि वे मेटरनिटी लीव क्यों नहीं ले रहीं? तो सवाल सुनते ही करीना को गुस्सा आ गया  जो वाजिब भी था और  वे भड़क उठीं. और बोलीं, “मैं प्रेग्नेंट हुई हूं, मरी नहीं हूं. और किस बात की मेटरनिटी लीव? बच्चा पैदा करना धरती पर नॉर्मल सी बात है. और हां, मुझे उससे अलग दिखाना बंद करें, जैसी मैं पहले थी. जिसे परेशानी है, वह मेरे साथ काम न करे. लेकिन मेरा काम हमेशा की तरह चलता रहेगा. हम 2016 में जी रहे हैं, 1800 में नहीं. करीना ने यह भी कहा कि मैं लोगों से तंग आ चुकी हूं, जो प्रेग्नेंसी को किसी तरह की डेथ बना रहे हैं. इन फैक्ट, लोगों के लिए मेरा मैसेज है कि शादी करना या फैमिली बनाना, मेरे करियर के आड़े नहीं आ सकता.” वाह करीना जी आखिर आपने एक आम महिला की समस्या को समझा और उसका मुंहतोड़ जवाब भी दिया जिसके लिए समाज उसे बार बार परेशान करता रहता है.

आपको बता दें जिस तरह करीना कपूर ने अपनी अपकमिंग फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ की शूटिंग को जारी रखने का फैसला किया है, उसी तरह फिल्म इंडस्ट्री में अनेक एक्ट्रेसेस हैं जिन्होंने अपनी प्रेगनेंसी के दौरान  बेबी बंप के साथ  अपना काम जारी रखा था. जैसे काजोल ने ‘वी आर फैमिली’ की शूटिंग प्रेग्नेंसी के दौरान की थी. जूही चावला  फिल्म ‘झंकार’ की शूटिंग के दौरान 7 महीने की गर्भवती थीं. नंदिता दास जिस समय निर्माता ओनीर की फिल्म ‘आई एम’ की शूटिंग आकर रहीं थी, वे पांच महीने की गर्भवती थीं. अभिनेत्री जया बच्चन फिल्म ‘शोले’ की शूटिंग दौरान तीन महीने की गर्भवती थीं.

साथ ही उन लोगों की जानकारी के लिए भी बता दें जो गर्भावस्था को  कैजुअलिटी इश्यू बना देते हैं कि गर्भावस्था कोई बीमारी नहीं है यह एक सुखद एहसास है और इस अवधि में एक महिला को खुश और फिट रहना चाहिए न कि खुद को बीमार मानकर सारे कामकाज छोड़कर बैठ जाना चाहिए और बेवजह की शंकाओं से खुद को डिप्रेस करना चाहिए क्योंकि आने वाले बच्चे का स्वास्थ्य व भावनात्मक स्थिति गर्भवती महिला के स्वास्थ्य व मूड पर निर्भर करता है.

गर्भावस्था किसी भी महिला के शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह के  परिवर्तनों कारण बनता है, और कोई भी महिला (किसी भी स्थिति में) इन बदलावों के लिए अच्छी तरह से तैयार होती है. अपने बच्चे के बारे में एक मां से बेहतर ओर कोई नहीं सोच नहीं सकता लेकिन जैसे ही कोई महिला गर्भवती होती है, लोग सलाह या नसीहतें देना शुरू कर देते हैं. ऐसे नहीं बैठो ,ये खाओ, ये नहीं नहीं खाओ, ज्यादा काम नहीं करो ,आराम करो आदि आदि…ऐसे में गर्भवती महिला को भी समझ नहीं आता कि वह इन बातों को माने या नहीं, क्योंकि कई बार ये सलाह अटपटी या उलझन पैदा करने वाली भी होती हैं.

गर्भवती महिला को इन दिनों में तनाव से दूर रहना चाहिए लेकिन बार-बार की रोक-टोक उसे चिंता में डाल देती है.. सच्चाई तो ये है कि इन सलाह और नसीहतों में से ज्यादातर सुनी-सुनाई बातों पर या अंधविश्वासों पर आधारित होती हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता.कुछ लोग तो महिला की चालढाल और उसके खाने पीने की आदतों को देखकर यह भी अनुमान लगाना शुरू कर देते हैं  कि होने वाला बच्चा लड़का होगा या लड़की? जहाँ तक गर्भावस्था में अधिक से अधिक आराम करना चाहिए वाली जो सोच है यह बिलकुल गलत है .अमेरिका में हुई एक स्टडी के अनुसार गर्भावस्था के दौरान सक्रिय रहने वाली महिलाओं में बैचेनी की शिकायत कम होती है और उन्हें प्रसव के दौरान भी कम परेशानी का सामना करना पड़ता है .

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रियालिटी शो स्क्रिप्टेड नहीं होते : पलक मुछाल

इन दिनों टीवी इंडस्ट्री में इस बात की काफी चर्चा होने लगी है कि सेटेलाइट चैनलों पर प्रसारित होने वाले हर रियालिटी शो में जज के साथ प्रतियोगियों को भी पहले से लिखी गई यानी कि स्क्रिप्टेड संवाद ही बोलने होते हैं. इस मुद्दे पर लोग खुलकर बात नहीं करते. मगर ‘एंड टीवी’ पर प्रसारित संगीत रियालिटी शो ‘‘द वौयस इंडिया किड्स’’ में हिमेश रेशमिया, पपौन और शान के साथ जज व मेंटोर रह चुकीं गायिका पलक मुछाल की राय में सब कुछ गलत प्रचारित किया जाता है.

वह कहती हैं – ‘‘मैं उस शो की बात करती हूं, जहां मैंने जज किया. वहां ऐसा कुछ नही था. मैं निजी स्तर पर अपने दिल की सुनकर कमेंट करती रही. हमारे शो में ऐसा कुछ नही था. यहां तक कि कुमार सानू जी थे, सब लोग अपने अपने खुद के कमेंन्ट्स देना पसंद करते थे.’’

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वह आगे कहती हैं – ‘‘जज के रूप में मेरा अनुभव बहुत उत्साहजनक रहा. मैं जिस शो में जज थी, उसके बच्चे बहुत प्रतिभाशाली थे. जिन दिग्गजों के साथ मैं जज कर रही थी, वह भी बहुत बड़ा प्लेटफार्म था. देखिए, बच्चों को तो आप जज नहीं कर सकते. मेरी कोशिश होती है कि मैंने अपने गुरूओं से जो कुछ सीखा है, वह बच्चों को दे सकूं.’’

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मिसाल हैं ये शादियां

विवाह शब्द का अर्थ है जिम्मेदारी उठाना, लेकिन लोग इसे समझने के बजाय विवाह की परंपरा को निभाने और जरूरत से ज्यादा खर्च कर वाहवाही बटोरने में जुटे रहते हैं. ऐसा नहीं है कि मंगलसूत्र बांधने पर ही स्त्रीपुरुष के बीच पतिपत्नी का रिश्ता बनता है. यह भी नहीं कि वरवधू का संबंध लाखों खर्च करने पर ही गहरा होता है. लेकिन आज विवाह में पानी की तरह पैसा बहाना और परंपराओं को एक से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाना फैशन जैसा हो गया है.

आइए, आप को कुछ ऐसे कपल्स के बारे में बताते हैं, जिन्होंने हिंदू रीतिरिवाज को नकार कर विवाह का दूसरा विकल्प अपनाया है और कम से कम खर्च कर सामाजिक उपदेश दिया है:

किसानों और विद्यार्थियों की जिंदगी संवारी

अभय देवरे और प्रीति कुंभारे: अभय देवरे और प्रीति कुंभारे इन दिनों मीडिया में छाए वे नाम हैं जिन की शादी में सगेसंबंधी और सहकर्मी नहीं, बल्कि गरीब किसान और पढ़ाई से वंचित मासूम बच्चे शामिल हुए. ज्यादातर लोग धूमधाम से शादी करना चाहते हैं, पर पैसों की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते. लेकिन अमरावती (महाराष्ट्र) के सहायक आयकर आयुक्त अभय देवरे और आईडीबीआई बैंक में सहायक प्रबंधक प्रीति कुंभारे ने पैसा होते हुए भी सामान्य तरीके से शादी की. ये दोनों शादी की ठाटबाट से अपना मानसम्मान नहीं बढ़ाना चाहते थे, बल्कि इन की इच्छा उन्हीं पैसों से दूसरों का जीवन संवारने की थी. इसलिए इस जोड़े ने अपने विवाह में होने वाला संभावित खर्च (करीब क्व3 लाख) गरीब किसानों और विद्यार्थियों के नाम कर दिया. दोनों ने महाराष्ट्र के यवतमाल और अमरावती जिलों में आत्महत्या करने वाले 10 किसानों को 20-20 हजार और जरूरतमंद विद्यार्थियों को 20 हजार का सहयोग और ग्राम पुस्तकालयों को 52 हजार दिए ताकि वे विद्यार्थियों के लिए किताबें आदि खरीद सकें.

असमानता का विरोध किया

कुंदा प्रमिला नीलकंठ और अनिल सावंत: आज भले कई महिलाएं फैशन के नाम पर मंगलसूत्र और सिंदूर नहीं लगाती हैं, लेकिन 59 वर्षीय डा. कुंदा प्रमिला एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने 34 साल पहले गुलामी का प्रतीक कह कर इस का त्याग कर दिया था, जिस से उन के अपनों ने उन का जम कर विरोध किया. 1987 में अनिल सावंत से कोर्ट मैरिज करने वाली कुंदा कहती हैं, ‘‘शुरू से सोशल मूवमैंट से जुड़ी थी. मेरे अनुसार सुहागन के सोलहशृंगार जैसे मंगलसूत्र, सिंदूर, बिछिया आदि असमानता का प्रतीक रहे हैं. अगर स्त्रीपुरुष दोनों समान हैं तो शादी होने के बाद ये प्रतीक सिर्फमहिलाओं के हिस्से ही क्यों आते हैं, पुरुष इन्हें क्यों नहीं मानते? इसी तरह हिंदू परंपरा के अनुसार शादी के दिन लाल जोड़ा और पीले (सोने) रंग का गहना पहनना जरूरी है, लेकिन मैं ने इस का पालन न करते हुए शादी के दिन सफेद रंग की साधारण सी कौटन की साड़ी पहनी थी. आज हमारी शादी को कई साल हो गए हैं. हम दोनों अपने वैवाहिक जीवन से काफी खुश हैं. अगर वाकई में शादी की परंपराओं को निभाना जरूरी होता है तो आज हम एकदूसरे के साथ न होते.’’

सत्यशोधक पद्धति से शादी की

डा. भारत पाटणकर और गेल आमवडट: 1976 में विदेशी महिला गेल आमवडट के साथ सत्यशोधक पद्धति से विवाह करने वाले डा. भारत पाटणकर कहते हैं, ‘‘मेरे अनुसार हिंदू विवाह पद्धति कई असमानताओं और आर्थिक शोषण पर आधरित है, इसलिए मैं ने अपनी शादी महात्मा जोतिबा फुले द्वारा बताई गई सत्यशोधक पद्धति से की, जिस में बहुत ही सरल तरीके, कम खर्च और बिना किसी बिचौलिए (पंडित, पुरोहित, मौलवी) के शादी हो जाती है. शादी के दौरान स्त्रीपुरुष असमानता को दूर करने के लिए वरवधू के पक्ष से समानता का गीत गाया जाता है. जैसे- स्त्री गाते हुए कहती है कि हमारे समाज में स्त्रियों को कोई हक नहीं दिया जाता, अगर तुम मुझे अपनी पत्नी बनाना चाहते हो, तो कहो कि तुम मुझे मेरा हक दोगे. फिर पुरुष गीत के माध्यम से कहता है कि मैं विश्वास दिलाता हूं कि ऐसा ही होगा. इस तरह बिना किसी खर्च और रस्मों के सिर्फ एकदूसरे के वादे के आधार पर शादी संपन्न हो जाती है.’’

शादी में सही जगह खर्च

तुषार नरेश शिंदे और नंदना: अंधश्रद्वा निर्मूलन समिति से जुड़े 29 वर्षीय तुषार नरेश शिंदे कहते हैं, ‘‘मुझे लगता है कि हिंदू परंपरा की विवाह पद्धति महिलाओं के साथ अन्याय करती है. इस पद्धति में मंगलसूत्र, सिंदूर जैसे वैवाहिक चिन्ह स्त्रियों के लिए बंधन हैं, जबकि पुरुष इन से मुक्त रहते हैं. इस के साथ ही विवाह में रिश्तेदारों को भेंटस्वरूप सामान देने का रिवाज भी है, जो मेरे अनुसार फुजूलखर्ची है. इसलिए मैं ने अपनी शादी सत्यशोधक पद्धति से की और भेंटस्वरूप खर्च होने वाले क्व50 हजार 2 संस्थाओं में दान दे दिए, जो अनाथ और मंदबुद्धि महिलाओं के लिए काम करती हैं.’’

अपनी पत्नी नंदना के बारे में तुषार कहते हैं, ‘‘मैं जब उस से मिला था, तब मुझे उस की जातिधर्म आदि की जानकारी नहीं थी, लेकिन मेरे लिए यह बात माने नहीं रखती थी, क्योंकि मैं जाति,धर्म, वर्ण को शादी का आधार नहीं मानता था. मैं ऐसे इनसान को अपनी जीवनसंगिनी बनाना चाहता था, जिसे मेरी जरूरत हो.’’

विधवाएं रहीं विवाह की विशेष मेहमान

रवि और मोनाली: कोई भी किसी शुभ मौके पर विधवा महिलाओं को अपने आसपास नहीं फटकने देता, लेकिन गुजरात के जीतूभाई पटेल के बेटे रवि की शादी में विधवा महिलाएं विशेष मेहमान रहीं. जीतूभाई की माने तो उन की यह दिली ख्वाहिश थी कि उन के बेटे की शादी में विधवाएं आएं और उन्हें आशीर्वाद दें. इसलिए उन्होंने 18 हजार से भी अधिक विधवा महिलाओं को आमंत्रित किया, जो गुजरात के 5 अलगअलग जिलों से विवाहस्थल पर उपस्थित हुईं. शादी में आई इन सारी विधवाओं को भेंटस्वरूप कंबल दिए गए. इन में से 500 विधवाओं को गाएं भी दी गईं ताकि दूध बेच कर वे अपना जीवनयापन कर सकें. जीतूभाई ऐसा कर लोगों तक यह संदेश पहुंचाना चाहते थे कि विधवा महिलाएं अशुभ नहीं होतीं, यह केवल लोगों का भ्रम है.

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