धनिया भारतीय रसोई का खास मसाला है और इस की खासीयत से सभी वाकिफ हैं. धनिया बीज में बहुत अधिक औषधीय गुण होने के कारण इस का दवाओं से ले कर खाने तक में इस्तेमाल होता है और इस की पत्तियों की महकती खूशबू का तो जवाब नहीं. सूखा व ठंडा मौसम इस का अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिए माकूल होता है. बीजों के अंकुरण के लिए 25 से 26 सेंटीग्रेड तापमान अच्छा होता है. धनिया की फसल के लिए पाला बहुत नुकसानदायक होता है. धनिया की अच्छी क्वालिटी के लिए ठंडी आबोहवा और खुली धूप की जरूरत होती है. धनिया की सिंचित फसल के लिए पानी निकलने वाली अच्छी दोमट मिट्टी सब से सही होती है और असिंचित फसल के लिए काली भारी मिट्टी अच्छी होती है. इस के साथ ही अच्छी उपजाऊ ताकत वाली दोमट या मटियार दोमट मिट्टी भी धनिया की खेती के लिए अच्छी होती है.

धनिया की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए. सिंचित इलाकें में अगर जुताई के समय मिट्टी में पानी की कमी हो, तो पलेवा दे कर मिट्टी को तैयार करना चाहिए. ऐसा करने से जुताई के समय ढेले भी नहीं बनेंगे और खरपतवार के बीज अंकुरित होने के बाद जुताई के समय नष्ट हो जाएंगे. बारानी फसल के लिए खरीफ फसल की कटाई के बाद 2 बार आड़ीखड़ी जुताई कर के फौरन पाटा लगा देना चाहिए.

बोआई का समय : धनिया की फसल रबी मौसम में बोई जाती है. उत्तरी राज्यों में धनिया बोने का सब से सही समय 15 अक्तूबर से 15 नवंबर के बीच होता है. धनिया की समय से बोआई फायदेमंद होती है. बढि़या दानों के लिए धनिया की बोआई का सही समय नवंबर पर पहला पखवाड़ा होता है. हरे पत्तों के लिए इस की बोआई का समय अक्तूबर से दिसंबर महीने के बीच होता है. लेकिन पाले से बचाव के लिए धनिया की बोआई नवंबर के दूसरे हफ्ते में करना ठीक होता है. दक्षिण राज्यों में इस की खेती दोनों मौसमों में की जाती है.

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