भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 7,718.17 करोड़ रुपये का एकल शुद्ध घाटा हुआ है. वसूली में फंसे कर्जों (NPA) के लिए नुकसान के ऊंचे प्रावधान करने के कारण इतना बड़ा घाटा हुआ. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में देश के इस सबसे बड़े बैंक ने 2,814.82 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था. दिसंबर 2017 को समाप्त तीसरी तिमाही में बैंक को 2,416.37 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. बैंक की तरफ से मंगलवार को शेयर बाजार में बताया गया कि जनवरी- मार्च तिमाही में उस की कुल आय बढ़कर 68,436.06 करोड़ रुपये पर पहुंच गई.

पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 57,720.07 करोड़ रुपये थी. इस अवधि में बैंक का सकल एनपीए बढ़कर कर्ज के 10.91 प्रतिशत के बराबर हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 6.90 प्रतिशत था. इस दौरान बैंक का शुद्ध एनपीए बढ़कर 5.73 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो एक साल पहले समान तिमाही में 3.71 प्रतिशत था. बैंक के अनुसार विभिन्न शुल्कों से कमाई वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के 7,434 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 की चौथी तिमाही में 8,430 करोड़ रुपये हो गई.

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एसबीआई की तरफ से जनवरी से मार्च 2018 की तिमाही में हुए घाटे के तीन बड़े कारण बताए हैं. बैंक के अनुसार ट्रेडिंग से कम आमदनी और बौन्ड यील्ड्स के बढ़ने के कारण मार्केट टू मार्केट में बड़े घाटे ने उसे तिमाही में शुद्ध घाटे की तरफ धकेला. बैंक की तरफ से यह भी बताया गया कि वेतन वृद्धि एवं ग्रेच्युटी की लिमिट बढ़ने से भी इन मदों में ज्यादा प्रावधान करने पड़े. चौथी तिमाही में एसबीआई का एनपीए 1.99 लाख करोड़ से बढ़कर 2.2 लाख करोड़ रुपये हो गया.

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