पंजाबी फिल्मों से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री माही गिल ने फिल्म ‘देव डी’ से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था. अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित मौडर्न देवदास की इस कहानी में माही ने पारो की भूमिका निभाई थी जिसे दर्शकों और आलोचकों ने काफी सराहा. इस के बाद वे ‘साहेब, बीवी और गैंगस्टर’, ‘पानसिंह तोमर’ आदि फिल्मों में नजर आईं. वे एक आत्मनिर्भर महिला हैं और एक 3 वर्षीया बेटी की मां हैं. स्वभाव से विनम्र और खूबसूरत माही अब वैब सीरीज ‘फिक्सर’ में मुख्य भूमिका निभा रही हैं.

माही से बातचीत के दौरान जब यह पूछा गया कि इस वैब सीरीज को करने की खास वजह क्या है, तो इस पर उन्होंने बताया, ‘‘यह एक अलग तरह की मनोरंजक कहानी है. असल में हम जीवन में हर चीज को फिक्स करते रहते हैं. मसलन, चौकलेट ला कर दोगे तो यह काम कर दूंगा या ड्रामा करना, कुछ लिए बिना मैं कोई काम नहीं कर सकता आदि होता है. मुझे याद आता है कि कालेज के जमाने में हम ट्रिपल राइडिंग कर फ्रैंड्स के साथ जाते थे और चालान होने पर ट्रैफिक पुलिस को अपना जन्मदिन कह कर छूट जाते थे.

‘‘इस सीरीज की कहानी भी हर व्यक्ति के जीवन में फिक्स को दिखाते हुए मनोरंजक तरीके से लिखी गई है. इस की स्क्रिप्ट मुझे बहुत पसंद आई. इस के पहले मैं ने काफी सीरियस फिल्में की हैं और अब कुछ हलकीफुलकी फिल्म करना चाह रही थी.’’

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वैब सीरीज में डरावनी कहानियां, सैक्स और गालीगलौज अधिक होता है जिसे सब लोग देख नहीं सकते. क्या निर्माता, निर्देशक को इस बात का ध्यान रखना जरूरी नहीं कि वे ऐसी वैब सीरीज बनाएं जिन का असर समाज पर अच्छा हो? वे सर्टिफिकेशन न होने की आजादी का गलत फायदा न उठाएं? इस सवाल पर माही कहती हैं, ‘‘यह सही है, लेकिन आजकल औनलाइन सबकुछ मिलता है. आप जो चाहें वह देख सकते हैं. हर तरह की फिल्में और वैब सीरीज आज बन रही हैं. कई बार मुझे भी लगता है कि आजादी मिलने की वजह से सैक्स और आइटम सौंग बिना जरूरत के भी दिखा दिए जाते हैं. उस पर रोक लगाने की जरूरत है. इस का दायित्व निर्मातानिर्देशक को अवश्य लेना चाहिए.’’

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