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मेरे पूरे चेहरे पर बाल उग आए हैं, मैं क्या करूं?

सवाल
मैं 34 वर्षीय महिला हूं और 1 साल पहले तक मेरी त्वचा बहुत साफ थी. थोड़े दिनों पहले मैं ने नोटिस किया कि मेरे चेहरे पर एकदो बाल हैं और अब तो पूरे चेहरे पर बाल उग आए हैं जिस से अब मुझे न तो अपने चेहरे पर हाथ लगाना अच्छा लगता है और न ही शीशे में चेहरा देखना. धीरेधीरे मेरा कौन्फिडैंस भी खत्म होता जा रहा है. आप मुझे इस का सही ट्रीटमैंट बताएं?

जवाब
कहते हैं चेहरे की खूबसूरती पर ही पहली नजर आ कर टिकती है और आप का उसी चेहरे पर बालों की ग्रोथ के होने से परेशान होना लाजिमी है. ऐसे में आप उन्हें निकलवाने के लिए वैक्स वगैरह का सहारा बिलकुल न लें, क्योंकि उस से ग्रोथ और बढ़ती है.

आप स्त्री विशेषज्ञ को दिखाएं क्योंकि ऐसा अकसर हार्मोंस का बैलेंस बिगड़ने से होता है और वे जरूरी टैस्ट के जरिए दवाइयों के माध्यम से उन्हें बैलेंस करने की कोशिश करेंगी जिस से धीरधीरे बालों की ग्रोथ अपनेआप कम होने लगेगी.

दूसरा रास्ता है कि आप लेजर ट्रीटमैंट भी करवा सकती हैं. इस से आप का खोया कौन्फिडैंस वापस लौट सकेगा. लेकिन यह सब डाक्टर की सलाह के अनुसार ही करें.

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यूं हटाएं चेहरे से अनचाहे बाल

क्या आपके चेहरे पर भी बहुत अधिक बाल हैं? ऐसे बाल जो आपके चेहरे की खूबसूरती को कम कर देते हैं? अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है. ज्यादातर लड़कियों को चेहरे पर बालों की समस्या होती है और कई बार यह समस्या उनके आत्मविश्वास को कम कर देती है. अक्सर ऐसा तनाव की वजह से होता है, तो कई बार अनुवांशिक या हॉर्मोनल असंतुलन के चलते भी चेहरे पर बाल निकल आते हैं.

हर बार चेहरे पर ब्लीच कराने से चेहरे की रौनक चली जाती है और बार-बार वैक्सिंग कराना भी इस समास्या का सही समाधान नहीं है. पर अगर चेहरे पर मौजूद बालों का रंग हल्का हो जाए तो? ऐसे कई घरेलू उपाय हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने चेहरे के बालों का रंग हल्का कर सकती हैं. रंग हल्का हो जाने की वजह से वे कम नजर आएंगे और उतने बुरे भी नहीं लगेंगे.

1. संतरे के छिलके और दही का पेस्ट

संतरे का छिलका त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. इसके इस्तेमाल से चेहरे पर निखार आता है. साथ ही चेहरे पर मौजूद बाल भी हल्के हो जाते हैं. अगर आपको और बेहतर परिणम चाहिए तो संतरे के छिलके में थोड़ी दही और नींबू के रस की कुछ बूंदें मिला लीजिए. इस पेस्ट को हर रोज लगाने से चेहरे पर निखार आएगा, कील-मुंहासों की समस्या दूर हो जाएगी और सबसे बड़ी बात, चेहरे पर मौजूद बालों का रंग हल्का हो जाएगा.

2. पपीते और हल्दी का पेस्ट

पपीता एक नेचुरल ब्लीच है जो चेहरे की रंगत साफ करने के साथ ही चेहरे पर मौजूद बालों को भी हल्का करता है. आप चाहें तो पपीते में चुटकीभर हल्दी भी मिला सकते हैं. इस पेस्ट से हर रोज कुछ देर मसाज करें और फिर 20 मिनट के लिए यूं ही छोड़ दें. फिर चेहरा साफ कर लें. कुछ ही दिनों में चेहरे पर मौजूद बाल हल्के हो जाएंगे.

3. नींबू का रस और शहद

अगर आपको अपने चेहरे पर मौजूद बालों का रंग हल्का करना है और रंगत निखारनी है तो शहद और नींबू के रस को मिलाकर लगाने का उपाय आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा. हर रोज इस मिश्रण को चेहरे पर लगाकर 10 मिनट के लिए छोड़ दें. कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आने लगेगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

दूसरा पिता: क्या कमलकांत को दूसरा पिता मान सकी कल्पना

शायद बर्फ पिघल जाए- भाग 3

विजय के हाथ से मैँ ने मिठाई का डब्बा और कार्ड ले लिया. पल्लवी को पुकारा. वह भी भागी चली आई और दोनों को प्रणाम किया.

‘‘जीती रहो, बेटी,’’ निशा ने पल्लवी का माथा चूमा और अपने गले से माला उतार कर पल्लवी को पहना दी.

मीना ने मना किया तो निशा ने यह कहते हुए टोक दिया कि पहली बार देखा है इसे दीदी, क्या अपनी बहू को खाली हाथ देखूंगी.

मूक रह गई मीना. दीपक भी योजना के अनुसार कुछ फल और मिठाई ले कर घर चला आया, बहाना बना दिया कि किसी मित्र ने मंगाई है और वह उस के घर उत्सव पर जाने के लिए कपड़े बदलने आया है.

‘‘अब मित्र का उत्सव रहने दो बेटा,’’ विजय बोला, ‘‘चलो चाचा के घर और बहन की डोली सजाओ.’’

दीपक चाचा से लिपट फूटफूट कर रो पड़ा. एक बहन की कमी सदा खलती थी दीपक को. मुन्नी के प्रति सहज स्नेह बरसों से उस ने भी दबा रखा था. दीपक का माथा चूम लिया निशा ने.

क्याक्या दबा रखा था सब ने अपने अंदर. ढेर सारा स्नेह, ढेर सारा प्यार, मात्र मीना की जिद का फल था जिसे सब ने इतने साल भोगा था.

‘‘बहन की शादी के काम में हाथ बंटाएगा न दीपक?’’

निशा के प्रश्न पर फट पड़ी मीना, ‘‘आज जरूरत पड़ी तो मेरा बेटा और मेरा पति याद आ गए तुझे…कोई नहीं आएगा तेरे घर पर.’’

अवाक् रह गए सब. पल्लवी और दीपक आंखें फाड़फाड़ कर मेरा मुंह देखने लगे. विजय और निशा भी पत्थर से जड़ हो गए.

‘‘तुम्हारा पति और तुम्हारा बेटा क्या तुम्हारे ही सबकुछ हैं किसी और के कुछ नहीं लगते. और तुम क्या सोचती हो हम नहीं जाएंगे तो विजय का काम रुक जाएगा? भुलावे में मत रहो, मीना, जो हो गया उसे हम ने सह लिया. बस, हमारी सहनशीलता इतनी ही थी. मेरा भाई चल कर मेरे घर आया है इसलिए तुम्हें उस का सम्मान करना होगा. अगर नहीं तो अपने भाई के घर चली जाओ जिन की तुम धौंस सारी उम्र्र मुझ पर जमाती रही हो.’’

‘‘भैया, आप भाभी को ऐसा मत कहें.’’

विजय ने मुझे टोका तब न जाने कैसे मेरे भीतर का सारा लावा निकल पड़ा.

‘‘क्या मैं पेड़ पर उगा था और मीना ने मुझे तोड़ लिया था जो मेरामेरा करती रही सारी उम्र. कोई भी इनसान सिर्फ किसी एक का ही कैसे हो सकता है. क्या पल्लवी ने कभी कहा कि दीपक सिर्फ उस का है, तुम्हारा कुछ नहीं लगता? यह निशा कैसे विजय का हाथ पकड़ कर हमें बुलाने चली आई? क्या इस ने सोचा, विजय सिर्फ इस का पति है, मेरा भाई नहीं लगता.’’

मीना ने क्रोध में मुंह खोला मगर मैं ने टोक दिया, ‘‘बस, मीना, मेरे भाई और मेरी भाभी का अपमान मेरे घर पर मत करना, समझीं. मेरी भतीजी की शादी है और मेरा बेटा, मेरी बहू उस में अवश्य शामिल होंगे, सुना तुम ने. तुम राजीखुशी चलोगी तो हम सभी को खुशी होगी, अगर नहीं तो तुम्हारी इच्छा…तुम रहना अकेली, समझीं न.’’

चीखचीख कर रोने लगी मीना. सभी अवाक् थे. यह उस का सदा का नाटक था. मैं ने उसे सुनाने के लिए जोर से कहा, ‘‘विजय, तुम खुशीखुशी जाओ और शादी के काम करो. दीपक 3 दिन की छुट्टी ले लेगा. हम तुम्हारे साथ हैं. यहां की चिंता मत करना.’’

‘‘लेकिन भाभी?’’

‘‘भाभी नहीं होगी तो क्या हमें भी नहीं आने दोगे?’’

चुप था विजय. निशा के साथ चुपचाप लौट गया. शाम तक पल्लवी भी वहां चली गई. मैं भी 3-4 चक्कर लगा आया. शादी का दिन भी आ गया और दूल्हादुलहन आशीर्वाद पाने के लिए अपनीअपनी कुरसी पर भी सज गए.

मीना अपने कोपभवन से बाहर नहीं आई. पल्लवी, दीपक और मैं विदाई तक उस का रास्ता देखते रहे. आधीअधूरी ही सही मुझे बेटी के ब्याह की खुशी तो मिली. विजय बेटी की विदाई के बाद बेहाल सा हो गया. इकलौती संतान की विदाई के बाद उभरा खालीपन आंखों से टपकने लगा. तब दीपक ने यह कह कर उबार लिया, ‘‘चाचा, आंसू पोंछ लें. मुन्नी को तो जाना ही था अपने घर… हम हैं न आप के पास, यह पल्लवी है न.’’

मैं विजय की चौखट पर बैठा सोचता रहा कि मुझ से तो दीपक ही अच्छा है जिसे अपने को अपना बनाना आता है. कितने अधिकार से उस ने चाचा से कह दिया था, ‘हम हैं न आप के पास.’ और बरसों से जमी बर्फ पिघल गई थी. बस, एक ही शिला थी जिस तक अभी स्नेह की ऊष्मा नहीं पहुंच पाई थी. आधीअधूरी ही सही, एक आस है मन में, शायद एक दिन वह भी पिघल जाए.

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