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टेसू के फूल
वह घटनाक्रम जिस ने चारु और मधुकर को हर बार नए मोड़ पर ला खड़ा किया आज उसी घटनाक्रम ने दोनों को एक बार फिर पुराने रिश्तों पर नए संबंधों की मुहर लगाने का मौका दिया था.
भाग - 1
कनखियों से निहारा था उस ने मधुकर को. मधुकर के प्रश्न से एक बार फिर चौंकी थी, ‘‘आलोक की पत्नी कैसी है? खूब सेवा करती होगी तुम्हारी?’’ वह प्रश्न कम था,
भाग - 2
हमेशा दूसरों के लिए सुख का संधान करने वाली बहन को अपना घरसंसार बसाने का अधिकार भाई से पहले था. मधुकर कितने बरसों से प्रतीक्षा कर रहा था.
भाग - 3
मधुकर ने उसे अविश्वास से घूरा था. आलोक ने फिर कहा, ‘मुझे तो ऐसा लगता है कि जैसे दीदी मेरी खुशियों की सब से बड़ी दुश्मन हैं. अणिमा को मेरे साथ देख कर ईर्ष्यालु हो उठती हैं.’ ‘यह क्या कह रहे हो?
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