वान्या फोन रखते ही एक अजीब सी घुटन से भर गई थी. क्या करे वह इस रिश्ते का? क्यों ऐसा कोई कानून
नहीं है कि बच्चे अपने मातापिता को भी तलाक दे सकें… वह जिंदगी में जितना आगे बढ़ना चाहती थी उतना ही उस के पापा अनिकेत उसे कीचड़ में घसीट लेते थे.

बहुत देर तक वह यों ही गुमसुम सी बैठी रही. तभी उस की मम्मी मनीषा ने आ कर कमरे की लाइट जलाई और बोली,”क्या हुआ वानु, इतनी परेशान क्यों हो?”

वान्या आंखों में आंसू भरते हुए बोली,”आज फिर आप के पति के कारण मैं मुसीबत में पड़ गई हूं।”

मनीषा हंसते हुए बोली,”मेरे पति या तुम्हारे पापा…”

वान्या गुस्से में बोली,”आप तो बड़े मजे से उन से अलग हो गई हैं मगर क्या कोई अदालत है जहां पर मैं उन से तलाक ले सकूं?”

मनीषा बोली,”आखिर क्या किया है अनिकेत ने?”

वान्या बोली,”मेरे ओहदे के नाम पर कहीं पर दलाली कर रहे हैं। कहते फिर रहे है कि मैं वान्या मैडम का पापा हूं और इसलिए उन्हें पता है कि कौन सी कंपनी को टैंडर मिलेगा…”

मनीषा कुछ सोचते हुए बोली,”यह तो अनिकेत की पुरानी आदत है। उस ने हमेशा रिश्तों को अपने फायदे के लिए ही इस्तेमाल किया है। 56 साल की उम्र में भी उस की आदत में सुधार नहीं हुआ है।”

वान्या बालों का जुड़ा लपेटते हुए बोली,”जब भी फोन करते हैं हमेशा ऐसा दिखाते हैं जैसे मैं ने उन के साथ कुछ गलत किया हो।”

मनीषा बोली,”दिल पर क्यों लेती हो बेटा?”

वान्या बोली,”मैं दिल पर कैसे न लूं मम्मी। वे कभी भी मेरे लिए नहीं थे मगर जब मैं अपने पैरों पर खड़ी हो गई हूं तो अपने पिता होने का फर्ज मुझे क्यों याद करवा रहे हैं…”

वान्या 27 वर्ष की खूबसूरत लड़की थी. जब वान्या 12 साल की थी तब से उस के मम्मीपापा अलग रहते हैं. कारण था वान्या के पापा अनिकेत का न तो किसी नौकरी पर टिक पाना और अपनी पत्नी मनीषा के पैसों पर ही महिलाओं के साथ ऐयाशी करना.

वान्या को जब कुछकुछ समझ आई थी तब से उस ने अपनी मम्मी मनीषा को अनिकेत की हरकतों के कारण
परेशान ही देखा था. मनीषा को लगता था कि वान्या को मांबाप दोनों की प्यार की जरूरत है इसलिए वह
रिश्ते में बंधी रही थी.

वान्या की पैरेंटटीचर मीटिंग हो या उस की कोई परीक्षा, अनिकेत कहीं भी नहीं था. एक दिन तो हद ही हो
गई थी जब अनिकेत ने वान्या की फीस ही नहीं भरी थी जिस के कारण वान्या को वार्षिक परीक्षा में नहीं
बैठने दे रहे थे.

वान्या को आज भी याद है उस की मम्मी मनीषा ने कैसेकैसे इंतजाम कर के उस की फीस भर दी थी. अनिकेत ने पूछने पर फिर से एक सफेद झूठ बोल दिया था कि वह पैसे उस ने अपने दोस्त के इलाज में लगा दिए थे.

वान्या ने ही उस घटना के बाद अपनी मम्मी को कहा था कि मुझे पापा के साथ नही रहना है। मगर मनीषा न जाने फिर भी क्यों उस शादी को तोड़ नहीं पा रही थी. मगर जब अनिकेत धोखाधड़ी के कारण जेल चला गया और यह भी पता चला कि वह किसी और औरत के साथ रह रहा था तो मनीषा ने हिम्मत जुटा कर अलग होने का फैसला कर लिया था.

जिंदगी में अचानक आए इस मोड़ पर जहां मनीषा ने अपनेआप को संभाल लिया था वहीं वान्या को कड़वाहट से भर दिया था. वान्या को न पहनने का शौक था और न ही ओढ़ने का, सारा दिन जोगिन सा वेश धरे वान्या घूमती रहती थी. मगर वान्या की आंखों में गजब का आकर्षण था और वह बेहद खूबसूरत भी थी।

वहीं मनीषा ने अपनी जिंदगी को जीना नहीं छोड़ा। अपने बालों से ले कर त्वचा तक की संचित राशि को वह बहुत संभाल कर रखती थी. इसलिए देखने वालों को वान्या और मनीषा मांबेटी कम बहनें अधिक लगती थीं. वान्या जहां इतनी छोटी सी उम्र में गंभीरता का आवरण ओढ़े रखती थी, वहीं मनीषा ने खिलखिलाना नहीं छोड़ा था.

वान्या अगले दिन जब औफिस पहुंची तो ऐसा लगा जैसे पूरा स्टाफ उसे देख कर मन ही मन हंस रहे हों. जैसे ही वान्या ने अपना पर्स रख कर अपना सिस्टम औन किया, तभी बाहर से चपरासी आ कर बोला,”मैडम साहबजी आए हैं…”

वान्या इस से पहले कुछ कहती, खींसे निपोरता हुआ अनिकेत अंदर आ गया और आते ही बोला,”वानु, अफसर बिटिया से मिलने के लिए तो अपौइंटमैंट लेना होता है। सुबह से चाय भी नसीब नहीं हुई मगर इस से किसी को को क्या फर्क पड़ता है। वह तो तेरा नसीब अच्छा है जो तुझे सरकारी नौकरी में इतना अच्छा ओहदा मिल गया है।”

वान्या रूखे स्वर में बोली,”पापा, इस में नसीब का नहीं मेरी और मम्मी की मेहनत का नतीजा है।”

अनिकेत बेशर्मी से बोला,”और मेरा योगदान…वह तो तेरी मम्मी ने मेरी एक छोटी सी गलती पर मुझे अपनी जिंदगी से बाहर कर दिया था। तुझे क्या पता कितना मुश्किल है अपने बच्चे के बिना रहना।”

वान्या खुद को संभालते हुए बोली,”पापा, आप मेरा नाम ले कर अपनी प्रौपर्टी का बिजनैस मत कीजिए। एक आदमी मेरे नाम का इस्तेमाल कर के लोगों को उल्लू बना रहा है।”

अनिकेत बोला,”तुम ने विश्वास कर लिया…बस इतना ही जानती है तू मुझे?”

वान्या बोली,”अच्छे से जानती हूं मैं आप को इसलिए बोल रही हूं।”

अनिकेत बिना कुछ बोले बाहर निकल गया. वान्या को अच्छे से पता था कि अनिकेत हर जगह सहानुभूति
बटोरता फिरता है. उसे रहरह कर अपनी मां के कमजोर वजूद पर गुस्सा आ रहा था कि क्यों नहीं वह कानूनी रूप से अलग हो जाती हैं. क्यों आज भी वे इस रिश्ते की लाश को ढो रही थीं?

जब रात को वान्या घर पहुंची तो मम्मी इंतजार ही कर रही थी. खुश होते हुए बोली,”तुम्हारी बुआ ने तेरे लिए बहुत अच्छा रिश्ता भेजा है।”

वान्या बोली,”एक रिश्ते का हश्र देख चुकी हूं, दोबारा हिम्मत नही है यह सब झेलने की…”

मनीषा बोली,”अरे… सब मर्द एक जैसे नहीं होते और फिर तेरी बुआ बोल रही हैं कि वे सब संभाल लेंगी।
किसी को पता नहीं लगने देंगी कि तेरे पापा हमारे साथ नहीं रहते हैं।”

वान्या बोली,”मम्मी, इस में गलत क्या है, बल्कि मुझे तो आप पर गुस्सा है कि आप ने अब तक उन से तलाक
क्यों नही लिया है…”

मनीषा वान्या की चिरौरी करते हुए बोली,”वानु, तू कुछ नहीं समझती, लड़का भी तेरी तरह क्लासवन औफिसर है और बहुत अच्छे परिवार का है। आज लोग रिश्ते भी बता रहे हैं और सब से बड़ी बात उन्हें कोई दहेज नहीं चाहिए।”

वान्या को अच्छे से पता था कि यह पहला रिश्ता है जिन्हें दहेज नहीं चाहिए और वह बनती हुई बात बिगाड़ना नही चाहती थी. रविवार को आरव और उस के परिवार का आना तय था. वान्या ने पहली बार अपनी मम्मी को इतना खुश देखा था. मनीषा बारबार कह रही थी कि वान्या अगर तेरी खुशी के लिए, तेरे अच्छे भविष्य के लिए मुझे थोड़ा समझौता भी करना पड़ेगा तो कोई बात नहीं। इस से पहले वान्या कुछ कहती या समझती, अनिकेत अपनी अटैची लिए पिंकी बुआ के साथ दरवाजे पर
खडा था. पिंकी बुआ वान्या को गले लगाते हुए बोली,”देख तेरी शादी के साथसाथ मेरे भाई का वनवास भी समाप्त हो जाएगा।”

वान्या बिना कुछ बोले दफ्तर चली गई थी. वहां जा कर उस ने अपनी मम्मी को फोन लगाया,”यह क्या ड्रामा है मम्मी, आप ने कैसे पापा को घर के अंदर घुसा लिया है?”

मनीषा बोली,”बेटा यह सब तेरी भलाई के लिए है। आज भी लोग टूटे हुए घर से रिश्ता नहीं करना चाहते हैं।” वान्या ने बिना कुछ कहे फोन रख दिया था. मन ही मन वह सोच रही थी कि झूठ की नींव पर वह कैसे एक प्यारभरे रिश्ते की शुरुआत कर सकती है.

रविवार की सुबह से ही घर में गहमागहमी का माहौल था. मनीषा और पिंकी ने मिल कर पूरे घर की काया पलट कर दी थी. घर के हर कोने को देख कर ऐसा लग रहा था मानो अनिकेत इसी घर में रचाबसा हुआ हो. पिंकी बुआ अपनी समझदारी की दाद देते हुए बोलीं,”मैं ने उन्हें कानोंकान खबर नहीं होने दी कि लडकी के मम्मीपापा अलग रहते हैं।”

शाम को आरव और उस का परिवार नियत समय पर आ गया था. अनिकेत ने आरव के परिवार के सामने ऐसी कमान संभाली कि ऐसा लग रहा था मानो वान्या की कामयाबी में सब से बड़ा हाथ अनिकेत का ही हो.

आरव के मम्मीपापा बोले,”हमें ऐसे ही संस्कारी परिवार और पढ़ीलिखी लड़की की जरूरत थी। आरव को भी वान्या पसंद थी मगर वान्या क्या वह वास्तव में यह चाहती थी? जब वान्या और आरव बाहर गए तो आरव बोला,”वान्या, तुम्हारे पापा तो सुपर हीरो हैं।”

वान्या कुछ नहीं बोली और उस ने बात बदल दी थी. वान्या और आरव जब वापस आए तो दोनों के चेहरे
खुशी से चमक रहे थे. उसी दिन अंगूठी की तारीख निश्चित हो गई थी.

अनिकेत ने बड़े आराम से घर पर कब्जा जमा लिया था. वान्या चाह कर भी कुछ नही कर पा रही थी क्योंकि
बारबार उस की मम्मी उसे रोक देती थी. रिंग सिरेमनी भी हो गई थी. वान्या का ससुराल वाले बहुत खुश थे, अनिकेत ने दिल खोल कर खर्च किया था.

मनीषा जबतब वान्या को बोलती, “देखा, अगर पापा न होते तो मैं कहां से यह सब कर पाती।”

मगर एक दिन सुबहसुबह कुछ लोग अनिकेत को ढूंढ़ते हुए आ गए थे. पता चला कि वान्या की अंगूठी की सारी टीमटाम के लिए अनिकेत ने उधारी पर पैसे लिए थे. वे लेनदार ढूंढ़ते हुए वहां धमक गए थे.

मनीषा ने हर बार की तरह आंसू बहाने शुरू कर दिए थे. वान्या ने बेरुखी से मनीषा की तरफ देखा, उन लोगों का बकाया पैसा चुकाया और अनिकेत से कहा,”पापा, कब तक आप ऐसे ही मुझे शर्मिंदा करते रहोगे?”

अनिकेत बेशर्मी से बोला,”बेटी की शादी में तो राजा लोग भी उधार लेते हैं और फिर मैं तो एक आम आदमी
हूं।”

वान्या ने गुस्से में अपने पापा की तरफ देखा और बिना कुछ कहे तीर की तरह निकल गई. मनीषा पीछे पीछे नाश्ते की प्लेट ले कर दौड़ी मगर तब तक वान्या की गाड़ी आंखों से ओझल हो गई थी.

अनिकेत बोला,”ऐसे कैसे इस राजरानी का निबाह ससुराल में होगा… तुम्हारे बस का कुछ नही है. औरतों के अंदर सहनशीलता भी होनी चाहिए.”

मनीषा सिसकते हुए बोली,”क्यों किया तुम ने ऐसे… इतनी मुश्किल से मैं ने वान्या को शादी के लिए तैयार किया था.”

अनिकेत गुस्से में बोला,”अरे तो मैं बात कर तो रहा था मगर उसे किस ने कह दिया था झांसी की रानी बनने
को। मैं ने उसे थोड़े ही कहा था कि मेरे पैसे चुकाए।”

वान्या का औफिस जा कर भी सिर चकरा रहा था. बारबार उसे लग रहा था कि वह आरव के साथ गलत कर रही है.

दोपहर को लंचटाइम में वह आधी दिन की छुट्टी ले कर आरव से मिलने चली गई. आरव किसी मीटिंग में व्यस्त था, उस ने वान्या को कहा,”तुम सीधे घर पहुंचो, एकसाथ दोपहर का खाना खाएंगे। वान्या को बिना किसी पूर्व सूचना के आरव के घर जाने में थोड़ी झिझक महसूस हो रही थी. मगर आरव बोला,”मम्मी को बता दिया है मैं ने।”

जब वान्या आरव के घर पहुंची तो आरव की मम्मी रसोई में भिंडी की सब्जी काट रही थी. महाराज ने राजमा और कोफ्ते पहले ही बना रखे थे.

वान्या सीधे रसोई में ही आ गई थी और बोली,”आंटी लाइए, सब्जी मैं काट देती हूं,” आरव की मम्मी इस से पहले कुछ बोलती वान्या ने फुरती से सब्जी काट दी थी. वान्या जिस फुरती से काम कर रही थी, उसी फुरती से अपने जीवन की कहानी सुना रही थी.
जब सलाद भी कट गया था तो आरव की मम्मी धीरे से बोली,”बेटा, लेकिन तुम्हारा कन्यादान कौन करेगा, अगर तुम अपने पापा को शादी में सम्मिलित नहीं करना चाहती हो?”

वान्या ने बालों को जुड़े में लपेटते हुए कहा,”आंटी, मैं झूठ की नींव पर नए रिश्ते की शुरुआत नहीं कर सकती
हूं। मेरे पापा के बारे में जो कुछ मैं ने बताया सब सच है। मेरी जिंदगी में उन का रोल बस एक स्पर्म डोनर का ही है। वे इस शादी के बहाने दोबारा मेरी मम्मी की जिंदगी में सेंध लगा रहे हैं।मुझे मालूम है कि मेरी शादी के कारण
ही मम्मी उन्हें सह रही हैं। अगर आप को सब सही लगे तो आप बता दीजिए, नहीं तो कोई नहीं…” जैसे ही वान्या पीछे मुड़ी, आरव रसोई के दरवाजे पर ही खङा था.

आरव बोला,”अरे खाना तो खा लो…”

वान्या बोली,”पहले आंटी से सारी बात समझ लेना फिर खाऊंगी कभी…”

आरव की मम्मी मन ही मन सोच रही थी कि क्या यह घर इतनी तेजस्वी लड़की को स्वीकार कर पाएगा?
क्या यह परिवार स्पर्म डोनर की बेटी को अपनी बहू स्वीकार कर पाएगा?

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