लेखक-कंवल भारती
पौश कालोनी का एक इलाका. उस में मिसेज खुशबू की एक दोमंजिला आलीशान कोठी. उस में नीचे वह स्वयं रहती हैं और ऊपर के पोर्शन को अपनी सामाजिक गतिविधियों और मेहमानों के लिए खाली रखती हैं. उन की एक ‘महिला सत्संग’ नाम की संस्था है. उसी के तहत वह महिलाओं की किटी पार्टी करती हैं. अगर यह कहा जाए कि ‘महिला सत्संग’ का मतलब किटी पार्टी ही है, तो गलत न होगा.
किटी पार्टी में शामिल होने वाली महिलाएं हालांकि आती तो संभ्रांत परिवारों से हैं, पर असल में वे बैठीठाली महिलाएं हैं, जिन के पति या तो हैं नहीं या फिर वे बाहर रहते हैं और अकसर वे महिलाएं अकेली रहती हैं.
मिसेज खुशबू भी अकेली रहती हैं. लेकिन उन के बारे में चर्चा यह है कि उन के पति का देहांत हो चुका है, और वह इस शहर में एक प्रतिष्ठित मिशन स्कूल में टीचर रह चुकी हैं. नौकरी से मुक्त होने के बाद वह अपने मूल शहर वापस नहीं गईं, और इसी शहर में अपनी कोठी बना कर बस गईं.
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शाम के 6 बजे थे. मिसेज खुशबू ने चाय के लिए अपनी मेड को आवाज दी. उसी समय दरवाजे की बेल बजी. मिसेज खुशबू ने बाहर का गेट खोला, देखा, एक खूबसूरत स्त्री हाथ में बेग लिए खड़ी है. उन्होंने नीचे से ऊपर तक इस स्त्री पर नजर डाली, टौप और नीली जींस में, आंखों पर काला चश्मा लगाए एक गौर वर्ण की खूबसूरत युवती खड़ी है. मिसेज खुशबू ने मुसकरा कर हेलो किया, फिर पूछा, ‘जी, बताइए?’