लखीमपुरखीरी, उत्तर प्रदेश के गांव डिहुआकलां में जश्न का माहौल था. बेरोजगारों के चेहरे खिले हुए थे. बूढे़ मांबाप की आंखों में आशा के दीए जगमगा उठे थे. दरअसल, 2 दिन पहले भारत सरकार के ग्राम विकास मंत्रालय की तरफ से प्रधानजी को एक पत्र मिला था. उसे पढ़ते ही पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गईर् थी. पत्र में लिखा था,
‘प्रिय प्रधानजी,
‘जयहिंद.
‘आप को यह जान कर प्रसन्नता होगी कि भारत सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे ग्रामवासियों को मिल सके, इसलिए सरकार ने ग्राम विकास प्राधिकरण का गठन किया है. यह प्राधिकरण ग्रामवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करेगा. प्राधिकरण का कार्य संचालित करने के लिए प्रत्येक ग्रामसभा में एक ग्राम विकास केंद्र की स्थापना की जाएगी. प्रत्येक केंद्र में 2 स्वास्थ्य सेवक, 2 स्वास्थ्य सेविकाएं, 2 स्वच्छता मित्र, 2 किसान मित्र और 2 जल संरक्षण सेवकों की तैनाती की जाएगी. इन में सभी पदों पर नियुक्तियां उसी ग्रामसभा के योग्य उम्मीदवारों की की जाएंगी. इन पदों पर चयन के लिए 3 सदस्यीय साक्षातकार समिति का गठन किया जाएगा, जिस में भारत सरकार के 2 अधिकारियों के साथसाथ संबंधित ग्रामप्रधान भी नामित किए जाएंगे.
‘इस पत्र के साथ संलग्न फौर्म भर कर इच्छुक उम्मीदवारों के प्रार्थनापत्र 15 दिन के भीतर रजिस्टर्ड डाक से प्राधिकरण के कार्यालय में भिजवाने की कृपा करें. सभी उम्मीदवारों को 500 रुपए का परीक्षा शुल्क देना होगा जोकि भारतीय स्टेट बैंक के खाता संख्या में जमा कर उस की रसीद प्रार्थनापत्र के साथ भेजनी अनिवार्य है. ‘कृपया इस पत्र का अपनी ग्रामसभा में व्यापक प्रचारप्रसार करें.
‘धन्यवाद.
‘सचिव, ग्राम विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली.’
रमेश, कामता, राकेश, संगीता, सुमन और देवदत्त ने तो दूसरे ही दिन फौर्म भर कर बैंक में पैसे जमा कर दिए थे बाकी लोगों में जल्द से जल्द पैसा जमा करने की होड़ मची हुई थी. अपने ही गांव में केंद्र सरकार की नौकरी मिल जाए, इस से अच्छी बात और कोई हो ही नहीं सकती थी. ऐसा ही पत्र सभी ग्राम प्रधानों को प्राप्त हुआ था, क्योंकि चयन समिति में ग्राम प्रधानों को भी रखा गया था, इसलिए उन सब की इज्जत अचानक ही बढ़ गई थी. उन के दरवाजे पर दिन भर गांव वालों की भीड़ जमा रहती. सभी को उम्मीद थी कि प्रधानजी उन के बच्चों को नौकरी जरूर दिलवा देंगे.
डिहुआकलां के प्रधान मोहनजी का बेटा विकास लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ता था. कालेज में 3 दिन की छुट्टी थी तो वह अचानक गांव पहुंच गया. लोगों की भीड़ उस समय मोहनजी को घेरे हुए थी. ‘‘पिताजी, इतनी भीड़ क्यों जमा है? क्या कोई चुनाव होने वाले हैं?’’ विकास ने प्रधानजी के पैर छूते हुए पूछा.
‘‘ हां, चुनाव तो होने वाले हैं, लेकिन इस बार राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक चुनाव होने वाले हैं,’’ प्रधानजी ने हंसते हुए कहा.
‘‘क्या मतलब?’’
‘‘बेटा, तुम इतना पढ़लिख कर गांव से बाहर कहीं दूर नौकरी करने चले जाओगे, लेकिन सरकार तुम्हारे कई साथियों को गांव में ही नौकरी देने जा रही है. इस से गांव और पूरे समाज का भरपूर विकास होगा,’’ प्रधानजी ने कहा और पूरी बात बताई. विकास को यह सब आश्चर्यजनक लगा. उन ने कहा, ‘‘पिताजी केंद्र सरकार की योजनाएं किसी एक प्रदेश में नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होती हैं. पूरे देश में लाखों ग्रामसभाएं होंगी, अगर हर गांव के लोगों को नौकरी दी गई तो यह प्राधिकरण देश का सब से बड़ा संगठन बन जाएगा.’’
‘‘देश की 70% आबादी गांवों में रहती है. यदि गांव का विकास करना है तो इस के लिए सब से बड़ा संगठन बनाना ही होगा. खुशी की बात है कि पहली बार यह बात सरकार की समझ में आईर् है. ‘‘मैं तो किसी की सिफारिश नहीं सुनूंगा और अपने गांव के सब से योग्य उम्मीदवार को ही नौकरी दूंगा. देखना, उस के बाद गांव का विकास कितनी तेजी से होता है,’’ प्रधानजी ने कहा. ‘‘पिताजी, यह इतना आसान नहीं, जितना आप समझ रहे हैं,’’ विकास ने पिताजी से कहा. ‘‘तुम्हारी तो हर मामले में शक करने की आदत है. यह लो भारत सरकार का पत्र. खुद पढ़ लो,’’ प्रधानजी ने अपनी जेब से ग्राम विकास सचिव का पत्र निकाल कर विकास की ओर बढ़ाया. उन के चेहरे पर खिन्नता के भाव दिखाई दे रहे थे.
विकास ने उस पत्र को कई बार पढा़, लेकिन उस में उसे कोई कमी नजर नहीं आई. पत्र बाकायदा ग्राम विकास मंत्रालय के लैटरहैड पर लिखा गया था और सचिव के हस्ताक्षर के नीचे मुहर भी लगी हुई थी. पत्र पर प्राधिकरण के साउथ ब्लौक, नई दिल्ली का पता भी दिया हुआ था.
विकास को मालूम था कि केंद्र सरकार के ज्यादातर मंत्रालय साउथ ब्लौक में ही हैं. पत्र को देख कर शक की कोई गुंजाइश नहीं थी. फिर भी क्यों उसे किसी गड़बड़ी का आभास हो रहा था. कुछ सोच कर उस ने मोबाइल से लैटरहैड पर दिए गए फोन नंबर पर फोन किया. ‘‘हैलो, ग्राम विकास मंत्रालय प्लीज,’’ उधर से आवाज सुनाई पड़ी. ‘‘सर, क्या आप के मंत्रालय द्वारा किसी ग्राम विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है?’’ विकास ने पूछा.
‘‘जी हां, प्रधानमंत्री की यह एक महत्त्वाकांक्षी योजना है. इस के संचालन के लिए प्रत्येक ग्रामसभा में कर्मचारियों की भरती भी शुरू हो गई है,’’ उधर से महत्त्वाकांक्षी आवाज सुनाई पड़ी. यह सुन कर विकास ने फोन काट दिया. प्रधानजी को भी उन की बातचीत सुनाई पड़ गई थी. उन्होंने विकास के कंधों को थपथपाते हुए कहा, ‘‘बेटा, केवल हमारे गांव में ही नहीं, बल्कि सभी ग्रामसभाओं में भरती हो रही है. बेकार में परेशान मत हो. थक गए होगे, अंदर चल कर नाश्तापानी करो. मुझे थोड़ी देर लग जाएगी.’’ विकास ने पल भर के लिए कुछ सोचा फिर बोला, ‘‘पिताजी, क्या मैं इस पत्र का एक फोटो खींच सकता हूं?’’
‘‘एक नहीं जितने मरजी फोटो खींचो,’’ प्रधानजी हंस पड़े.
विकास ने अपने स्मार्टफोन से उस पत्र का फोटो खींचा और उसे प्रधानजी को वापस कर दिया. वह घर पहुंचा तो मां उसे देखते ही खुशी से भर उठीं. उस का माथा चूम कर उन्होंने उसे जी भर कर आशीर्वाद दिया, फिर उस के लिए नाश्ता लगाने लगीं.
नाश्ता कर विकास अपने दोस्तों से मिलने चल दिया. सभी इन नौकरियों पर ही चर्चा कर रहे थे. वे सब इस के लिए काफी उत्साहित थे. सभी को विकास के पिता की ईमानदारी पर पूर्ण भरोसा था. ‘‘यार, मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है. इस तरह एकसाथ लाखों की संख्या में भरतियां कैसे की जा सकती हैं. इस के अलावा चयन समिति में ग्रामप्रधानों को रखने का क्या औचित्य है. क्या सरकार को मालूम नहीं है कि बहुत से प्रधान तो अशिक्षित हैं. वे साक्षात्कार कैसे ले सकते हैं?’’ विकास ने चिंता प्रकट की. ‘‘इस में भला गड़बड़ी क्या हो सकती है? नौकरी के बदले में कोई घूस तो मांगी नहीं जा रही है,’’ हेमंत बोला, ‘‘सरकार, सीधे गांव वालों से जुड़ना चाहती है, इसलिए वह गांवगांव में भरती करवा रही है.’’
‘‘गांव वालों के बारे में सब से अधिक जानकारी ग्रामप्रधान को ही होती है. इसीलिए सरकार ने चयन समिति में उन्हें रखा है. रही बात उन के अशिक्षित होने की तो सबकुछ प्रधान के हाथ में थोड़े होगा. उन की सहायता के लिए समिति में 20 सरकारी अधिकारी भी तो होंगे,’’ देवीदत्त ने समझाया. विकास के पास उन की बातों का कोई जवाब नहीं था, इसलिए वह चुप हो गया. किंतु उस के चेहरे पर छाई चिंता की रेखाओं को देख कामता ने कहा, ‘‘यार, हम तो कम पढ़ेलिखे लोग हैं, कंप्यूटर और इंटरनैट के बारे में ज्यादा नहीं जानते. मगर सुना है कि इंटरनैट पर सभी सरकारी कार्यालयों के बारे में जानकारी होती है. तुम तो इंजीनियरिंग पढ़ रहे हो, इंटरनैट चला लेते होगे. उस पर जा कर पता क्यों नहीं लगा लेते हो?’’
‘‘अरे, यह बात तो मेरे दिमाग में आई ही नहीं थी,’’ विकास के चेहरे का तनाव तुरंत कम हो गया. उस ने अपने मोबाइल पर गूगल ओपन कर ग्राम विकास प्राधिकरण सर्च किया. अगले ही पल मोबाइल की स्क्रीन पर ‘ग्राम विकास प्राधिकरण’ की साइट खुल गई. उस पर एक तरफ भारत सरकार का लोगो अशोक स्तंभ बना था तो दूसरी तरफ ग्राम विकास मंत्री का फोटो लगा था. साइट पर सभी जरूरी सूचनाओं के साथ ग्रामसभा स्तर पर हो रही भरतियों का भी पूरा विवरण अंकित था.
अब तो शक की कोई गुंजाइश नहीं बची थी. सबकुछ सरकार की तरफ से ही हो रहा था. विकास के दोस्तों ने भी उसे समझाया कि वह बेकार में ज्यादा सोच कर परेशान न हो. दोस्तों के साथ घूमनेफिरने के बाद विकास घर लौट आया. उस रात उसे नींद नहीं आई. उस का मन यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि सरकार अचानक इस तरह इतने बड़े स्तर पर भरती कर सकती है. उसे लग रहा था कि जरूर इस के पीछे कोई बड़ा खेल है. सुबह जब वह उठा तो अचानक उस के दिमाग में एक योजना कौंध उठी और वह औफिस खुलने का इंतजार करने लगा. करीब 11 बजे उस ने एक बार फिर पत्र में लिखे नंबर पर फोन किया.
‘‘हैलो, ग्राम विकास मंत्रालय, प्लीज,’’ उधर से शिष्टता भरी आवाज सुनाई पड़ी.
‘‘सर, आप के मंत्रालय के ‘ग्राम विकास प्राधिकरण’ हेतु जो भरती चल रही हैं, उस के लिए मैं ने आवेदन किया है, लेकिन….’’ विकास ने जानबूझ कर अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया.
‘‘लेकिन क्या?’’ उधर से पूछा गया.
‘‘हमारा ग्राम प्रधान बहुत बेईमान है. अपने आदमियों की भरती करने के लिए 1-1 लाख रुपए वसूल रहा है. हमारे और दोस्तों के घर वालों ने उसे वोट नहीं दिया था इसलिए वह हम लोगों को किसी भी कीमत पर भरती नहीं करेगा,’’ इतना कह कर विकास पल भर के लिए रुका फिर बोला,‘‘सर, हम 10 दोस्त हैं. आप हमारी भरती करवा दीजिए. हम लोग मिल कर 12 लाख रुपए देने के लिए तैयार हैं.’’ यह सुन कर उधर चंद पलों की चुप्पी छाई रही. फिर आवाज आई, ‘‘प्लीज एक मिनट होल्ड करिए. मैं अपने रिक्रूटमैंट अफसर से आप की बात करवा रहा हूं.’’
थोड़ी देर बाद उधर से किसी दूसरे आदमी की आवाज आई, ‘‘हैलो, मैं रिक्रूटमैंट अफसर बोल रहा हूं. बताइए क्या समस्या है?’’ ‘‘सर, पूरे देश में कई रिक्रूटमैंट अफसर बनाए गए होंगे. हमारे गांव की चयन समिति के जो अफसर हैं हमारी उन से बात करवाइए,’’ विकास ने कहा. ‘‘हूं, आप ठीक कह रहे हैं,’’ उधर पल भर की चुप्पी के बाद फिर आवाज आई. आप अपने गांव, तहसील, जिले और प्रदेश का नाम बताइए. मैं कंप्यूटर पर चैक कर के संबंधित अधिकारी से आप की बात करवाता हूं.
‘‘जी, मैं गांव डिहुआकलां, तहसील धौरहराकलां, जिला लखीमपुरखीरी, उत्तर प्रदेश से बोल रहा हूं,’’ विकास ने बताया.
उधर से थोड़ी देर तक कंप्यूटर के कीबोर्ड पर उंगलियां चलने की आवाज आती रही फिर एक मृदु आवाज सुनाई पड़ी, ‘‘हैलो, मैं आपके क्षेत्र का रिक्रूटमैंट अफसर बोल रहा हूं. बताइए मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’ विकास ने उस से बात दोहराई. फिर बोला, ‘‘आप जिस बैंक अकाउंट में कहेंगे हम लोग उस में 25% पैसा एडवांस में जमा करवा देंगे बाकी काम हो जाने के बाद मिल जाएगा. मगर इस बात की गांरटी होनी चाहिए कि प्रधानजी के किसी आदमी की नियुक्ति नहीं होगी. सारी नियुक्तियां हम 10 लोगों की ही होनी चाहिए.’’
‘‘उस की चिंता आप न करें. सारी भरतियां आप लोगों की ही होंगी, लेकिन 25% नहीं एडवांस में 50% देना होगा,’’ पवन कुमार साहब ने कहा.‘‘ओके,’’ विकास ने हामी भरी. ‘‘ तो फिर हमारे बैंक अकाउंट का नंबर नोट करिए. उस में 6 लाख रुपए जमा करने के बाद सभी 10 लोगों के नाम हमें नोट करा देना.’’ ‘‘सर, इतने पैसे जमा करने के लिए हमें 2-3 दिन का समय दे दीजिए.’’ विकास ने अनुरोध किया.
‘‘ठीक है,’’ रमेश साहब ने सहमति दी. फिर बोले, ‘‘लेकिन 3 दिन से ज्यादा का समय नहीं मिलेगा, क्योंकि दूसरे आदमी भी हम से संपर्क कर रहे हैं.’’ विकास ने 3 दिन में रुपए जमा करने की हामी भरने के बाद फोन काट दिया. उस के बाद सीधे अपने पिता के पास पहुंचा. उस ने सारी बातचीत रिकौर्ड कर ली थी. रिकौर्डिंग सुन उन का चेहरा गंभीर हो गया. कुछ सोचने के बाद वे बोले,‘‘ बेटा, तुम ने यह तो साबित कर दिया है कि यह सारा गोरखधंधा फर्जी है, लेकिन इस से किसी को क्या फायदा होने वाला है?’’ ‘‘पिताजी, पूरे देश में लाखों बेरोजगार फौर्म भरने के लिए 5-5 सौ रुपए जमा करेंगे, इस से ही करोड़ोअरबों रुपए आ जाएंगे. इस के अलावा बहुत से अयोग्य लोग नौकरी पाने के लिए लाखों रुपए की रिश्वत देने के लिए भी तैयार हो जाएंगे, उस से जो कमाई होगी वह अलग. इस सब के पीछे कोई बहुत बड़ा गैंग काम कर रहा है, जिस ने इंटरनैट पर प्राधिकरण की फर्जी साइट तक बना रखी है. इन का जल्द से जल्द भंडाफोड़ करना जरूरी है वरना ये लोग लाखों बेरोजगारों को ठग लेंगे,’’ विकास ने कहा.
‘‘तुम सही कह रहे हो. यह किसी बहुत बड़े गिरोह का काम लगता है. जिलाधिकारी महोदय से हमारी जानपहचान है. हम सीधे उन के पास चलते हैं. वही कुछ करेंगे,’’ प्रधानजी ने कहा. दोनों मोटरसाइकिल से जिलाधीश से मिलने चल दिए. जिलाधीश ने रिकौर्डिंग सुनने के बाद विकास की पीठ थपथपाई, फिर बोले, ‘‘बेटा, तुम ने देश के बेरोजगारों को बहुत बड़ी धोखाधड़ी से बचा लिया है. मुझे तुम पर गर्व है. मैं सरकार से तुम्हें पुरस्कार देने की सिफारिश करूंगा.’’ इतना कह कर उन्होंने तुरंत दिल्ली फोन कर ग्राम विकास मंत्रालय और गृहमंत्रालय के अधिकारियों से बात की. वहां से भी स्पष्ट हो गया कि यह वैबसाइट पूरी तरह फर्जी है. गृहमंत्रालय के निर्देश पर बैंक ने उस अकाउंट में जमा रकम को जब्त कर लिया. जिन लोगों ने वह अकाउंट खुलवाया था उन के पते पर छापा मार कर पुलिस ने देर रात तक पूरे गिरोह को गिरफ्तार कर लिया. वे लोग पहले भी अलगअलग प्रदेशों में भरती के विज्ञापन निकाल कर बेरोजगारों को ठग चुके थे. इस बार उन्होंने पूरे देश में एकसाथ लाखों लोगों को ठगने की योजना बनाई थी, लेकिन विकास की बुद्घिमानी से वे पकड़े गए.