जयपुर के एक सरकारी कर्मचारी शिवनारायण जोशी, जिन्होंने अपने बेटे की बीमारी के नाम पर अपने विभाग से हजार या लाख रुपए नहीं बल्कि ढाई करोड़ रुपए से अधिक की रकम निकलवाई और हजम कर गए, बदले में उन्हें क्या मिला? बेटे सहित वे जेल गए, नौकरी से निलंबित कर दिए गए और इज्जत गई सो अलग.

राजस्थान के जयपुर के सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) में शिवनारायण जोशी सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत थे. बीते लगभग डेढ़ साल से उन का बेटा अमित जोशी बीमार चल रहा था और उस का इलाज दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में चल रहा था. इलाज के दौरान ही अमित जोशी का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ था. उस समय शिवनारायण जोशी जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) में कार्यरत थे. उन्होंने आपरेशन और दवा के बिल के बदले में 25 से 30 लाख रुपए विभाग से वसूले थे जबकि दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट का कुल खर्च करीब 17 लाख रुपए आया था जो जेडीए से सीधे अस्पताल के खाते में ट्रांसफर हो गया था.

डाक्टरों का कहना है कि सर गंगाराम में लिवर ट्रांसप्लांट के बाद कई माह तक दवाएं चलती हैं और इस में हर माह लगभग 50 हजार रुपए का खर्च आता है, लेकिन 21 दिसंबर, 2008 से ले कर 1 अक्तूबर, 2009 तक शिवनारायण ने इलाज के नाम पर लगभग ढाई करोड़ रुपए निकाल लिए. इस भारीभरकम मैडिकल बिल भुगतान पर जब विभाग को शक हुआ तो नवंबर में मामले की जांच के लिए मुख्य अभियंता ने 3 सदस्यों की एक जांच कमेटी बनाई. कमेटी ने जब दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में जा कर पूछताछ की तो उन्हें पता चला कि लिवर प्रत्यारोपण में करीब 16 से 18 लाख रुपए खर्च होते हैं और उन्होंने अपने यहां से 2 करोड़ 66 लाख के बिल बनाए जाने से भी इनकार कर दिया. जांच कमेटी द्वारा जांच में दोषी पाए जाने पर विभाग ने 22 दिसंबर को जोशी को निलंबित कर दिया.

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