26 January 2025 : 965 की लड़ाई चल रही थी. यूनिट को मोरचाबंदी करने के लिए बहुत कम समय दिया गया था. पूरा डिव 5 सितंबर को सांबा से आगे बैजपुरा इलाके में फैल गया था.
मुझे याद है 7 सितंबर को रात में 11 बजे हमारे तोपखाने ने अपनी तापों के मुंह खोल दिए थे. पूरा पश्चिम लाल हो गया था. सभी जवान और अधिकारी बाहर आ गए थे. उसी समय आदेश आया कि एडवांस वर्कशौप डिटैचमेंट जाएगी. उस के लिए पहले से 2 गाड़ियां तैयार की गई थीं. एक में जनरल स्टोर, वैपन स्टोर और इलैक्ट्रौनिक स्टोर था जिस का इंचार्ज मैं था. दूसरी गाड़ी में गाड़ियों और टैंकों के स्पेयरपार्ट्स थे जिस का इंचार्ज एक बंगाली स्टोरकीपर अमल कुमार दत्ता था. मैं पंजाब का और दत्ता बंगाल का, दोनों ही निडर थे. मेरी गाड़ी का ड्राइवर एक मद्रासी लड़का सिपाही राजू था. दूसरी गाड़ी का ड्राइवर सिपाही सुरिंदर पंजाब से था. बंगाल और पंजाब का संगम था. सब निडर थे.

जब हम ने और गाड़ियों के साथ मूव किया तो रात को एक बज चुका था. बिना लाइट के चलना था. लड़ाई में लाइट जला कर नहीं चला जाता. लाइट जले, तो गोला वहीं आता है. यह अच्छा हुआ था कि चांदनी रात थी. हालांकि पाकिस्तान चौकी ज्यादा दूर नहीं थी लेकिन पाकिस्तान में घुसने में सुबह के 5 बज गए. डोगरा रैजिमैंट के जवान हमें गाइड कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘गाड़ियों को तुरंत डिस्पर्स करें. एयरअटैक होने वाला है. ऐसे समय वृक्षों के नीचे जहां भी जगह मिलती है, गाड़ियां पार्क की जाती हैं. वहीं लेट जाना होता है.

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