‘जमालपुर जाने वाली 2746 डाउन रेलगाड़ी प्लेटफार्म नंबर 1 के बजाय प्लेटफार्म नंबर 3 पर आएगी.’ लाउडस्पीकर से जब यह आवाज आई, तो प्लेटफार्म नंबर 1 पर रेलगाड़ी का इंतजार कर रहे मुसाफिरों में अफरातफरी मच गई. सब पुल की सीढि़यां चढ़ कर प्लेटफार्म नंबर 3 पर पहुंचे.

अवतार शरण भी अपना ब्रीफकेस थामे हांफतेहांफते सीढि़यां चढ़ रहे थे. उन की उम्र 50 साल थी. शरीर थोड़ा सा भारी था. किसी नौजवान के समान सीढि़यां चढ़नाउतरना उन की उम्र के माफिक नहीं था, मगर मजबूरी थी. सफर के दौरान ऐसी बातें होना आम है.अवतार शरण का मोटर के कलपुरजों और स्पेयर पार्ट्स का थोक का कारोबार था. हफ्ते के आखिर में और्डर लेने और पिछली उगाही के लिए वे आसपास के कसबों और शहरों के लिए निकलते थे. घर लौटते समय कभी शाम हो जाती, कभी आधी रात भी. जब से मोबाइल फोन का चलन हुआ था, एक फायदा यह हुआ था कि वे घर पर देर से लौटने की खबर कर देते थे.

‘खेद से सूचित किया जाता है कि जमालपुर वाली रेललाइन की फिश प्लटें निकल गई हैं, इसलिए आज जमालपुर वाली 2746 डाउन रेलगाड़ी रद्द की जाती है,’ लाउडस्पीकर पर यह सुन कर सब के चेहरे लटक गए.

अब क्या करें? रेलगाड़ी रद्द हो गई थी. बस से जाने का समय भी नहीं था. यह कसबा छोटा सा था. रेलवे स्टेशन का वेटिंग रूम ठीकठाक था, मगर कोई इंतजार नहीं कर सकता था.

‘‘चौक से शायद मैक्सी कैब मिल जाएगी,’’ एक मुसाफिर ने कहा. सब फिर से पुल की सीढि़यां चढ़ कर रेलवे स्टेशन के मेन गेट की ओर लपके.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...