कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

भाभी सोफे की ओर बैठने का संकेत कर के अंदर चली गईं. शायद आवाज सुन कर सुमित बाहर निकल आया और उस के साथ में भाभी भी. हाथ में टे्र पकड़ रखी थी. उन्होंने नमकीन की प्लेट मेरी ओर बढ़ा दी.

‘‘भाभी, आप जानती हैं...’’

मैं अभी इतना ही बोल पाया था कि  हाथ की प्लेट मेरी ओर सरका कर वह फिर अंदर चली गईं और जब वापस आईं तो उन के पीछेपीछे बबलू भी था. वह वीडियो गेम खेल रहा था. मैं अपनी जगह से उठ कर उस की ओर जा ही रहा था कि द्वार पर मेरी पत्नी दिखी. उस के हाथ में चाय की टे्र थी.

‘‘चलिए, आप दोनों जल्दी से हाथमुंह धो लीजिए. चाय ठंडी हो रही है.  फिर बैठ कर बातें करते हैं,’’ भाभी ने हुक्म दिया.

मैं और सुमित आज्ञाकारी बच्चों की तरह चुपचाप हाथमुंह धो कर फटाफट आ गए. चाय पीतेपीते ज्यादा बातें दोनों महिलाएं ही कर रही थीं, बच्चों और टीवी का शोर अलग चल रहा था. 9 बज रहे थे.

‘‘अच्छा, अब चलते हैं,’’ मैं ने उठने का उपक्रम करते हुए कहा.

‘‘कहां जाते हैं? बैठिए भी. लगता है भाई साहब को भूख लगी है.’’

वह उठीं और अंदर चली गईं. उन के पीछेपीछे मेरी पत्नी भी. मुझे कुछ सम?ा में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. अंदर से भाभी की आवाज आई तो सुमित अंदर चला गया.

सुमित कमरे से बाहर आते हुए बोला, ‘‘चल यार.’’

उस ने केवल इतना कहा और मैं उस के पीछेपीछे बाहर निकल आया और गहरी सांस ली.

‘‘सुमित, बात क्या है? मुझे तो डर लग रहा है.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...