Romantic Story : सर्जिकल वार्ड में शाम का राउंड लगाने के बाद डा. प्रशांत और सिस्टर अंजलि ड्यूटी रूम में आ बैठे. एक जूनियर सिस्टर उन दोनों के सामने चाय का कप रख गई.

‘‘आज का डिनर मेरे साथ करोगी?’’ प्रशांत ने रोमांटिक अंदाज में अंजलि की आंखों में झांका.

‘‘मेरे साथ डिनर करने के बाद घर देर से पहुंचोगे तो रीना मैडम को क्या सफाई दोगे?’’ अंजलि की आंखों में शरारत भरी चमक उभरी.

‘‘कह दूंगा कि एक इमरजेंसी आपरेशन कर के आ रहा हूं.’’

‘‘पत्नी से झूठ बोलोगे?’’

‘‘झूठ क्यों बोलूंगा?’’ प्रशांत मेज के नीचे अपने दाएं पैर के पंजे से अंजलि की पिंडली सहलाते हुए बोला, ‘‘डिनर के बाद तुम्हारे रूम पर चल कर ‘इमरजेंसी’ आपरेशन करूंगा न मैं.’’

‘‘बीमारी डाक्टर को हो और आपरेशन कोई और कराए, ऐसा इलाज मेरी समझ में नहीं आता,’’ और अपने इस मजाक पर अंजलि खिलखिला कर हंसी तो उस के व्यक्तित्व का आकर्षण प्रशांत की नजरों में और बढ़ गया.

अविवाहित अंजलि करीब 30 साल की थी. रंगरूप व नैननक्श खूबसूरत होने के साथसाथ उस में गजब की सेक्स अपील थी. उस के चाहने वालों की सूची में बडे़छोटे डाक्टरों के नाम आएदिन जुड़ते रहते थे. अपनी जिम्मे- दारियों को निभाते समय उस की कुशलता भी देखते बनती थी.

प्रशांत के मोबाइल की घंटी बजने से उन के बीच चल रहा हंसीमजाक थम गया. उस ने कौल करने वाले का नंबर देख कर बुरा सा मुंह बनाया और अंजलि से बोला, ‘‘कबाब में हड्डी बनाने वाली छठी इंद्री कुदरत ने सब पत्नियों को क्यों दी हुई है?’’

‘‘पत्नी के साथ बेईमानी करते हो और ऊपर से उसे ही भलाबुरा कह रहे हो. यह गलत बात है जनाब, चलो, प्यारीप्यारी बातें कर के रीना मैडम को खुश करो,’’ अंजलि बिलकुल सामान्य व सहज बनी रही.

‘‘तुम मेरी गर्लफ्रैंड हो कर मेरी पत्नी से ईर्ष्याभाव नहीं रखती हो क्या?’’

‘‘जिस पर हंसने की उस के पति ने ही ठान रखी हो, उस से क्या जलना?’’ यह जवाब दे कर अंजलि एक बार और खिलखिला कर हंसी और फिर अपने काम में जुट गई.

अपनी पत्नी रीना से प्रशांत ने 5-7 मिनट बातें कीं, फिर अपना मोबाइल चार्जर पर लगाने के बाद वह अंजलि से गपशप करने लग गया.

‘‘सोचती हूं तुम्हारे साथ डिनर पर चली ही चलूं,’’ अंजलि शरारत भरे अंदाज में मुसकराई, ‘‘बोलो, कहां ले चलोगे?’’

‘‘जहन्नुम में,’’ प्रशांत भन्ना उठा, ‘‘तुम ने सुन लिया न कि रीना ने रात वाले शो के टिकट ले कर आने की बात अभीअभी फोन पर मुझ से की है. मुझे किलसाने को तुम अब डिनर पर चलने की बात नहीं करोगी तो कब करोगी?’’

‘‘यों क्यों गुस्सा हो रहे हो जानेमन,’’ अंजलि ने प्रशांत की आवाज की बढि़या नकल उतारी, ‘‘आज रात बीवी को खुश करो और कल प्रेमिका का नंबर लगाना. कितने लकी हो तुम. पांचों उंगलियां घी में हैं तुम्हारी.’’

‘‘हां, ठीक कह रही हो,’’ प्रशांत बोला, ‘‘जिस दिन रीना को इस चक्कर का पता लगेगा, उसी दिन मेरा सिर कड़ाही में भी होगा.’’

‘‘देखो रोमियो, तुम क्या समझते हो कि मैडम को इस बारे में पता नहीं है. अरे, ऐसे चक्करों की खबर दुनिया वाले फटाफट पत्नी तक पहुंचा देते हैं. मैडम जिस तरह से मुझे मुलाकात होने पर पहली बार देखती हैं, उन नजरों में समाए कठोरता और चिढ़ के क्षणिक भावों को मैं खूब पहचानती हूं.’’

‘‘पर मैं ने तो तुम दोनों को सदा आपस में खूब हंसहंस कर बातें करते ही देखा है.’’

‘‘वह हंसना झूठा है, जानेमन.’’

‘‘किसी दिन वह तुम से लड़ पड़ी तो क्या होगा?’’

‘‘वैसा कुछ नहीं होगा क्योंकि जिंदगी के प्रति मेरा जो नजरिया है… जो मेरी फिलौसफी है वह मैं ने उन्हें कई बार समझाई है.’’

‘‘मुझे भी बताओ न जो तुम ने रीना से कहा है.’’

‘‘फिलहाल मेरी उस फिलौसफी को तुम नहीं समझोगे…और न ही उसे तुम्हें समझाने का सही समय अभी आया है,’’ रहस्यमयी अंदाज में अंजलि मुसकराई और फिर दोनों का ध्यान एक मरीज के तीमारदार की तरफ चला गया जो उन से कुछ कहना चाहता था.

प्रशांत को उस व्यक्ति के साथ एक मरीज को देखने जाना पड़ा. उस की गैरमौजूदगी में उस के मोबाइल की घंटी बज उठी और जो नंबर उस में नजर आ रहा था उसे अंजलि ने पहचाना. उस की आंखों में पहले सोचविचार के भाव उभरे और फिर उस की मुखमुद्रा कठोर होती चली गई.

प्रशांत के लौटने तक उस ने खुद को पूरी तरह सहज बना लिया था. उस ने आ कर ‘मिस्ड’ कौल का नंबर पढ़ा और फिर बाहर कोरिडोर में चला गया.

वहां उस ने 10 मिनट किसी से फोन पर बातें कीं. अंजलि को वह इधर से उधर घूमता ड्यूटी रूम से साफ नजर आ रहा था.

‘यू बास्टर्ड,’ अंजलि होंठों ही होंठों में हिंसक लहजे में बुदबुदाई, ‘‘अगर मेरे साथ ज्यादा चालाकी दिखाने की कोशिश की तो वह सबक सिखाऊंगी कि जिंदगी भर याद रखोगे.’

प्रशांत के वापस लौटने तक अंजलि  ने अपनी भावनाओं पर पूरी तरह नियंत्रण कर के उस से मुसकराते हुए पूछा, ‘‘किस से यों हंसहंस कर बातें कर रहे थे?’’

‘‘एक पुराने दोस्त के साथ,’’ प्रशांत ने टालने वाले अंदाज में जवाब दिया.

‘‘रीना मैडम से मेरे सामने बात करते हो तो इस पुराने दोस्त से बातें करने बाहर क्यों गए?’’

‘‘यों ही कुछ व्यक्तिगत बातें करनी थीं,’’ प्रशांत हड़बड़ाया सा नजर आने लगा.

‘‘सौरी, जानेमन.’’

‘‘सौरी क्यों कह रही हो? तुम सोचती हो कि मैं किसी दोस्त से नहीं बल्कि किसी सुंदर लड़की से बातें कर रहा था? उस पर लाइन मार रहा था?’’ प्रशांत अचानक ही चिढ़ा सा नजर आने लगा.

‘‘अरे, मैं ऐसा कुछ नहीं सोच रही हूं क्योंकि मुझ जैसी सुंदर प्रेमिका के होते हुए तुम किसी दूसरी लड़की पर लाइन मारने की बेवकूफी भला क्यों करोगे?’’ अपना चेहरा उस के चेहरे के काफी पास ला कर अंजलि ने कहा और फिर रात वाली सिस्टर को चार्ज देने के काम में व्यस्त हो गई.

कुछ देर बाद ड्यूटी समाप्त कर के प्रशांत चला गया. अंजलि जानती थी कि उसे घर पहुंचने में आधे घंटे से कम  समय लगेगा.

आधे घंटे के बाद उस ने प्रशांत के घर फोन किया. उस की पत्नी रीना ने उखड़े मूड़ में उसे खबर दी कि प्रशांत घर पर नहीं है. इमरजेंसी आपरेशन आ जाने के कारण वह देर तक आपरेशन थिएटर में रुकेगा.

यह खबर सुनते ही अंजलि की आंखों में गुस्से और नाराजगी के भाव एकदम से बढ़ गए. वह अस्पताल से बाहर आई और रिकशा कर के शास्त्री नगर पहुंची.

उस का शक सही निकला था.

डा. प्रशांत की लाल मारुति कार सिस्टर सीमा के घर के सामने खड़ी थी. उस के मोबाइल पर उस ने सीमा के घर के फोन का नंबर शाम को पढ़ लिया था.

उस ने रिकशे वाले को अपने घर की तरफ चलने की हिदायत दी. सारे रास्ते वह क्रोध व ईर्ष्या की आग में सुलगती रही.

सीमा और वह कभी अच्छी सहेलियां हुआ करती थीं. दोनों बेइंतहा खूबसूरत थीं. उन की जोड़ी को साथ चलते देख कर लोग अपनी राह से भटक जाते थे.

सीमा का बौयफ्रैंड उन दिनों रवि होता था और उस के साथ जरा खुल कर हंसनेबोलने के कारण सीमा को शक हो गया और वह अंजलि से एक दिन बुरी तरह से लड़ी थी.

तब से उन के बीच कभी सीधे मुंह बातें नहीं हुईं. दोनों डाक्टरों के बीच बराबर की लोक प्रियता रखती थीं. यह भी सच था कि जो व्यक्ति एक के करीब होता वह दूसरी को फूटी आंख न भाता.

‘‘कमीनी, जान- बूझ कर मेरा दिल दुखाने के लिए प्रशांत पर जाल फेंक रही है. इस बेवकूफ डाक्टर को जल्दी ही मैं ने तगड़ा सबक नहीं सिखाया तो मेरा नाम अंजलि नहीं.’’

घर पहुंचने तक अंजलि का पारा सातवें आसमान तक पहुंच गया था.

अगली सुबह अपने असली मनोभावों को छिपा कर उस ने प्रशांत से मुसकराते हुए पूछा, ‘‘कैसी थी कल की फिल्म?’’

पहले प्रशांत उलझन का शिकार बना और फिर जल्दी से बोला, ‘‘कोई खास नहीं… बस, ठीक ही थी.’’

‘‘गुड,’’ अंजलि दवाओं की अलमारी की तरफ चल पड़ी.

‘‘सुनो, आज शाम डिनर पर चल रही हो?’’

‘‘सोचूंगी,’’ लापरवाह अंदाज में जवाब दे कर वह अपने काम में व्यस्त हो गई.

उस दिन उस ने डा. प्रशांत से सिर्फ काम की बातें बड़ी औपचारिक सी मुसकान होंठों पर सजा कर कीं. शाम तक वह समझ गया कि उस की प्रेमिका उस से नाराज है.

प्रशांत के कई बार पूछने पर भी अंजलि ने अपने खराब मूड का कारण उसे नहीं बताया. ड्यूटी समाप्त करने के समय तक प्रशांत का मूड भी पूरी तरह से बिगड़ चुका था.

अगले दिन भी जब अंजलि ने अजीब सी दूरी उस से बनाए रखी तब प्रशांत गुस्सा हो उठा.

‘‘तुम्हारी प्राबलम क्या है? क्यों मुंह फुला रखा है तुम ने कल से?’’ और अंजलि का हाथ पकड़ कर प्रशांत ने उसे अपने सामने खड़ा कर लिया.

‘‘मेरे व्यवहार से तुम्हें तकलीफ हो रही है, मेरे हीरो?’’ भौंहें ऊपर चढ़ा कर  अंजलि ने नाटकीय स्वर में पूछा.

‘‘बिलकुल हो रही है.’’

‘‘और तुम्हें मेरे बदले व्यवहार का कारण भी समझ में नहीं आ रहा है?’’

‘‘कतई समझ में नहीं आ रहा है,’’ प्रशांत कुछ बेचैन हो उठा.

‘‘इस बारे में रात को बात करें?’’

‘‘इस का मतलब तुम डिनर पर चल रही हो मेरे साथ,’’ प्रशांत खुश हो गया.

‘‘डिनर मेरे फ्लैट में हो तो चलेगा?’’

‘‘चलेगा नहीं दौड़ेगा,’’ प्रशांत ने उस का हाथ जोशीले अंदाज में दबा कर छोड़ दिया.

ड्यूटी समाप्त करने के बाद दोनों साथसाथ प्रशांत की कार में अंजलि के फ्लैट में पहुंचे.

अंदर प्रवेश करते ही प्रशांत ने उसे अपनी बांहों के घेरे में ले कर चूमना शुरू किया. अंजलि के खूबसूरत जिस्म से उठने वाली मादक महक उस के अंगअंग में उत्तेजना भर रही थी.

अंजलि ने उसे जबरदस्ती अपने से अलग किया और संजीदा लहजे में बोली, ‘‘मैं तुम्हें अपने बारे में कुछ बताने के लिए आज यहां लाई हूं. शांति से बैठ कर पहले मेरी बात सुनो, रोमियो.’’

‘‘बातें क्या हम बाद में नहीं कर सकते हैं?’’

‘‘बाद में तुम कुछ सुनने की स्थिति में कभी रहते हो?’’

‘‘देखो, मैं ज्यादा देर बातें कहनेसुनने के मूड में नहीं हूं, इस का ध्यान रखना,’’ प्रशांत पैर फैला कर सोफे पर बैठ गया.

कुछ पलों तक अंजलि ने प्रशांत के चेहरे को ध्यान से देखा और फिर बोली, ‘‘तुम्हें 3 महीने पुरानी वह रात याद है जब मैं अपनेआप बिना किसी काम के तुम से मिलने डाक्टरों के आराम करने वाले कमरे में पहुंची थी?’’

‘‘जिस दिन किसी इनसान की लाटरी खुले उस दिन को वह भला कैसे भूल सकता है?’’

‘‘अपने प्रेमी के रूप में तुम्हें चुनने के बाद उस रात तुम्हारे साथ सोने का फैसला मैं ने अपनी खुशी व इच्छा को ध्यान में रख कर लिया था और अब तक सैकड़ों पुरुषों ने मुझ से शादी करने की इच्छा जाहिर की है पर

कभी शादी न करने का चुनाव भी मेरा अपना है.’’

‘‘ऐसा कठिन फैसला क्यों किया है तुम ने?’’

‘‘अपने स्वभाव को ध्यान में रख कर. मैं उन औरतों में से नहीं हूं जो किसी एक पुरुष की हो कर सारा जीवन गुजार दें. मेरी जिंदगी में प्रेमी सदा रहेगा. पति कभी नहीं.’’

‘‘तुम्हारी विशेष ढंग की सोच ही शायद तुम्हें और औरतों से अलग कर तुम्हारी खास पहचान बनाती है, जानेमन. मैं तुम्हारी जैसी आकर्षक स्त्री के संपर्क में पहले कभी नहीं आया हूं. प्रशांत की आंखों में उस के लिए प्रशंसा के भाव उभरे.’’

‘‘शायद कभी आओगे भी नहीं,’’ अंजलि उठ कर उस के पास आ बैठी, ‘‘क्योंकि अपने व्यक्तित्व को पुरुषों की नजरों में गजब का आकर्षक बनाने के लिए मैं ने खासी मेहनत की है. अपने प्रेमी के शरीर, दिल और दिमाग तीनों को सुख देने की कला मुझे आती है न?’’

अंजलि ने झुक कर प्रशांत का कान हलके से काटा तो उस के पूरे बदन में करंट सा दौड़ गया. अंजलि ने उसे अपने होंठों का भरपूर चुंबन लेने दिया. प्रशांत की सांसें फिर से उखड़ गईं.

प्रशांत के आवारा हाथों को अपनी गिरफ्त में ले कर अंजलि ने आगे कहा, ‘‘अपने प्रेमी मैं बदलती आई हूं और बदलती रहूंगी, फिर भी मैं खुद को बदचलन नहीं समझती हूं क्योंकि एक वक्त में मेरा सिर्फ एक प्रेमी होता है जिस के प्रति मैं पूरी तरह से वफादार रहती हूं. और ऐसी ही आशा मुझे अपने प्रेमी से भी रहती है.’’

‘‘तब यह बताओ कि मेरे जैसे शादीशुदा प्रेमी की पत्नी से तुम्हें चिढ़ नहीं होती है, ऐसा क्यों, अंजलि? तुम्हें उस पत्नी की अपने प्रेमी के जीवन में मौजूदगी क्यों स्वीकार है? वफादारी महत्त्वपूर्ण है तो तुम अविवाहित पुरुषों को ही अपना प्रेमी क्यों नहीं चुनती

हो?’’ अंजलि के मनोभावों को समझने की उत्सुकता प्रशांत के मन में बढ़ गई.

‘‘प्रेमी चुनते हुए मैं विवाहित- अविवाहित के झंझट में न पड़ कर सिर्फ अपने मन की पसंद को ध्यान में रखती

हूं. जनाब, जो विवाहित पुरुष मेरा होने को तैयार है वह अपनी पत्नी के प्रति बेवफा या उस से ऊबा हुआ तो साबित हो ही गया. जो पत्नी अपने पति को अपने आकर्षण में बांध कर रखने में अक्षम है, उस से मुझे भला

क्यों ईर्ष्या होगी. लेकिन…’’

‘‘लेकिन क्या?’’ प्रशांत ने साफ देखा कि अंजलि की आंखों में कठोरता के भाव पैदा हो गए थे.

‘‘लेकिन मैं अपने वर्तमान प्रेमी के प्रति सदा वफादार रहती हूं, इसलिए उस का पत्नी के अलावा कहीं इधरउधर मुंह मारना भी मुझे पसंद नहीं. मैं ने आज तक किसी पुरुष के सामने उस के प्रेम को पाने के लिए हाथ नहीं फैलाए हैं. अपने प्रेम संबंधों को शुरू भी मैं करती हूं और उन का अंत भी.

‘‘अपनी जीवनशैली मैं ने खुद चुनी है. पापपुण्य, सहीगलत व नैतिकअनैतिक को नहीं बल्कि अपनी खुशियों को मैं ने अपने जीवन का आधार बनाया है और अपने जीवन से मैं पूरी तरह से संतुष्ट व सुखी हूं,’’ आवेश भरे अंदाज में बोलते हुए अंजलि का मुंह लाल हो उठा.

‘‘यों तनावग्रस्त हो कर तुम यह सब बातें मुझे क्यों सुना रही हो?’’ प्रशांत ने माथे पर बल डाल कर पूछा.

‘‘तुम्हें यह एहसास कराने के लिए कि तुम कितने खुशकिस्मत हो,’’ अंजलि की आवाज और सख्त हो गई, ‘‘मैं तुम्हें खुश रखने में एक्सपर्ट हूं, डाक्टर प्रशांत. मेरा रूप और जिस्म अनूठा है. तुम्हारे मन को समझ कर उसे सुखी रखने की कला मुझे बखूबी आती है. लोग तुम से इस कारण ईर्ष्या करते हैं कि मैं तुम्हारी प्रेमिका हूं…चाहे मुंह से वह मुझे चरित्रहीन कहें पर दिल से वे भी मुझ पर लट्टू हुए रहते हैं. इतना सबकुछ पा कर भी तुम ने सिस्टर सीमा के प्रेमजाल में फंसने की मूर्खतापूर्ण इच्छा को अपने मन में क्यों पनपने दिया?’’

‘‘तुम्हें जबरदस्त गलतफहमी…’’

‘‘डा. प्रशांत, अगर तुम इस वक्त झूठ बोलोगे, तो तुम्हारी मुझ से जुडे़ रहने की सारी संभावना समाप्त हो जाएगी,’’ अंजलि ने साफ शब्दों में उसे धमकी दी.

‘‘सीमा के साथ थोड़ाबहुत हंसी- मजाक करने का यों बुरा मत मानो जानेमन. तुम चाहोगी तो मैं उस से बिलकुल बात करना छोड़ दूंगा,’’ अंजलि  का गुस्सा कम करने के लिए प्रशांत ने फौरन सुलह का प्रयास शुरू किया.

कुछ देर गंभीरता से उस का चेहरा निहारने के बाद अंजलि ने उसे चेतावनी दी, ‘‘आज पहली और आखिरी वार्निंग मैं तुम्हें दे रही हूं. मुझे ‘डबलक्रौस’ करने की कोशिश कभी की तो फिर मुझे सदा के लिए भूल जाना. अपनी पत्नी से जितनी खुशियां पा सकते हो पा लेना लेकिन किसी सीमा जैसी की तरफ आंख उठा कर देखा तो पछताओगे.’’

‘‘मैं तुम्हारी बात समझ गया और अब तुम ये किस्सा समाप्त भी करो,’’ प्रशांत ने पास आ कर उसे अपनी बांहों में भर लिया.

अंजलि का मूड फौरन बदला. उस ने गर्मजोशी के साथ प्रशांत की इस पहल का स्वागत किया.

चंद मिनटों का आनंद देने के बाद अंजलि ने उसे कठिनाई से अलग कर के हलकेहलके अंदाज में कहा, ‘‘टे्रलर यहीं खत्म होता है जानेमन. पूरी फिल्म कल रात पर छोड़ो.’’

‘‘क्या मतलब?’’ प्रशांत चौंका.

‘‘मतलब यह कि अब तुम रीना मैडम के पास अपने घर चले जाओ.’’

‘‘पर क्यों?’’

‘‘क्योंकि मैं तुम्हें सोचने का समय दे रही हूं. अगर कल मेरे आगोश में लौटने की इच्छा तुम्हारे मन में हो तो मेरी शर्तों को ध्यान रखना नहीं तो गुडबाय.’’

अंजलि की बात सुन कर एक बार तो प्रशांत की आंखों में तेज गुस्सा झलका लेकिन जब अपने दिल को टटोला तो पाया कि जादूगरनी अंजलि से दूर वह नहीं रह सकता.

‘‘कम से कम एक कप चाय तो पिला कर विदा करो,’’ प्रशांत की बेमन वाली मुसकान में उस की हार छिपी थी और अपनी जीत पर अंजलि दिल खोल कर हंसने लगी.

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