“चलोचलो, नकुल, बहुत रात हो गई है. अब सो जाओ. इस बात पर कल सोचेंगे,” मन्नो ने नकुल को अपने पास खींचते हुए कहा.
अगले दिन सुबह से मौसम खराब था. रहरह कर बारिश हो रही थी. शाम से जो मूसलाधार बारिश हुई, देर रात तक चालू रही.
रात का एक बजने को आया था. नकुल का कहीं अतापता नहीं था. उस का मोबाइल भी बंद आ रहा था.
मन्नो हैरानपरेशान बिस्तर पर करवटें बदल रही थी कि तभी बरसात में बुरी तरह से भीगा हुआ नकुल घर में घुसा. उस ने हाथ में पकड़ा एक पैकेट उस की ओर बढ़ाया और मुदित मन तनिक हंसते हुए उस से कहा, “देख, इस में क्या है?”
‘ओह नकुल, जल्दी से कपड़े बदलो, नहीं तो बीमार पड़ जाओगे,” बोलते हुए जो मन्नो ने पैकेट खोला, वह उत्तेजित हो खुशी से चिल्ला उठी, “अरे वाह, मेरी पसंद के नर्गिसी कोफ्ते और दाल मखानी लाए हो. आज कौन सी लौटरी लग गई तुम्हारी कि इन सब का जुगाड़ कर लिया?”
कपड़े बदल कर छींकते हुए नकुल ने बिस्तर पर बैठते हुए 800 के तनिक भीगे हुए नोट उसे दिखाए और फिर प्रसन्न मन उस से बोला,
“दुनिया में अच्छे लोग भी हैं यार. आज एक क्लाइंट के यहां घनघोर अंधड़बरसात में टाइम पर एकसाथ 10,000 रुपए के पिज्जा की डिलीवरी दी, तो उस ने खुश हो कर मुझे 1,000 रुपयों की टिप दी. उन के बच्चे की बर्थडे पार्टी थी. मुझे बढ़िया खाना भी खिलाया. सो, मैं तेरे लिए तेरा मनपसंद खाना ले आया.”
“ओह, नकुल, तुम बहुत अच्छे हो. मेरा कितना खयाल रखते हो.”
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