मुझे याद हैं बचपन के, स्कूल के वे दिन, उसे मत देख रे. नहीं तो तेरी भी आंख आ जाएगी. एकाएक मैं जैसे खिल उठी. बिना चाहे ही एक मुसकान मेरे होंठों पर फैल गई.