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लेखकडॉ॰ स्वतन्त्र रिछारिया  

बहुत दिनों से एक बात कहना चाह रहा था, अर्जुन ने फिल्मी अंदाज में वैदेही का हाथ अपने हाथ में लिए कहा. अर्जुन कुछ और आगे कह पाता इससे पहले ही वैदेही ने मज़ाकिया लहजे में कहा, अगर एक स्मार्ट लड़की को कुछ कहना हो, तो लड़के के लिए सबसे जरूरी बात आई लूव यू ही होती है. और वह तो तुम तीन साल पहले ही बड़े अच्छे से कह चुके हो. अर्जुन बालों में हाथ घुमाते और गाल एक हाथ से खीचते हुए वैदेही आगे कहती हैं, आई लव यू ही क्या तुम उससे भी ज्यादा कह चुके हो.

वैदेही के बातों को मानो अनसुना सा करते हुये अर्जुन अपने में ही कुछ खो सा जाता है, मानों वह अपने सवालों का खुद ही जबाब तलाश कर रहा हो. अर्जुन के फिल्मी हीरो वाले सीरियस पोज को देखते हुए वैदेही कहती है, ऐसा क्या हुआ तुम तो चुप्पी ही साध गए. चलो बताओ क्या कहना चाहते हो?

अब वैदेही को सीरियस होते देख अर्जुन ने तुरंत ही बात को बदलते हुये कहता है चलो रहने दो फिर बाद में बताउगा, इतनी भी सीरियस होने की बात नहीं है. अर्जुन कुछ और कहता इससे पहले ही वैदेही बोलती है, इट इज नोट गुड, तुम हमेशा ऐसे ही करते हो. जब कुछ बताना नहीं होता तो कोई बात चालू ही क्यों करते हो.

अब वैदेही के मूड को बदलते हुये देखकर अर्जुन कहता है बिना सुने तो तुम इतनी नाराज हो रही हो सुनकर न जाने क्या करोगी?

तुरंत जबाब देते हुये वैदेही कहती है, यदि अच्छी बात होगी तो प्यार भी मिल सकता है और कुछ बकबास हुयी तो एक चाटा भी. वैदेही के मूड को कुछ नॉर्मल देख अर्जुन कहता है, सच में कहूँ जो मैं कहना चाहता हूँ.

वैदेही – हाँ कहो ना, क्या बात है.

अर्जुन – लेकिन एक शर्त है, अगर मंजूर हो तो बात शुरू करूँ.

वैदेही – अगर फालतू की कोई शर्त है तो बिलकुल नहीं मंजूर.

अर्जुन – यार हद है, एकदम छोटी सी शर्त है.

वैदेही – चलो मंजूर, बोलो अब.

वैदेही की शर्त बाली बात को मानने के बाद अर्जुन मन ही मन अब यह सोच रहा था कि वैदेही को यह बात कैसे कहूँ, जिससे वह मेरे मन में जो है वह समझ सके. क्योंकि शब्दों की कुछ सीमाएं तो हमेशा ही होती हैं, शब्द हमेशा आपकी भावनाओं को पूर्णता में अभिव्यक्त नहीं कर पाते. व्यक्ति चाहे जितना सोच ले, पहले से तैयारी कर ले, लेकिन जो वह सोचता है उसको शब्दों के जरिए नहीं बता सकता.

अर्जुन की कुछ पल की चुप्पी को देख वैदेही के मन में भी सैकड़ों बातों आने-जाने लगी, जैसे कोई रीमोट से चैनल बदल रहा हो. इस बात को कहते हुये अर्जुन भी कुछ सहज महसूस नहीं कर रहा था, इतना नर्वस तो वह उस समय भी नहीं था जब उसने वैदेही को प्रपोज किया था. एक छोटी खामोशी को तोड़ते अर्जुन वैदेही के हाथ को पकड़ते हुये कहता है, शर्त के अनुसार तुम आज इस बात पर कोई रिएक्ट नहीं करोगी, आज रात के बाद कल हम इस पर बात करेंगे.

वैदेही – ओके, अब आगे भी तो कुछ बोलो.

हाथ में हाथ लिए आसमान को देखते हुये अर्जुन कहता है मैंने पिछले कुछ महीनों से महसूस किया है कि हम मिलने पर बहुत बाते करने लगे हैं, और कभी-कभी तो ये बाते हमारी तुम्हारी न होकर किसी और की ही होती हैं. मिलने पर इतनी बाते तो हम पहले कभी नहीं करते थे. और पहले जो बाते होती भी थी वह मेरी और तुम्हारी ही थी. मुझे तो लगता है वैदेही हमारे अंदर कुछ बदल सा गया है. अब तो कभी-कभी हमारा झगड़ा भी होने लगा है, भले अभी यह ज्यादा लंबा नहीं होता.

वैदेही के चेहरे के हावभाव कुछ बदलते हुये देखकर भी अर्जुन अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये कहता है, अगर हम अपने इस प्यार को यूं ही आगे इसी सिद्दत से जारी रखना चाहते हैं.  तो हमें प्यार के इस मोड पर कुछ समय के लिए दूर हो जाना चाहिए. लड़ने झगड़ने के बाद तो सभी अलग होते हैं… ब्रेकअप करते हैं. हम दोनों कुछ एकदम नया करते हैं. तुम जानती हो रूटीन लाइफ से में कुछ बोर सा हो जाता हूँ, इसलिए हम कुछ एक्साइटिंग कुछ हटके करते हैं.

वैदेही – यू मीन ब्रेक-अप, मतलब तुम मुझसे अलग होने कि बात कह रहे हो, और वो भी ब्रेकअप विदाउट रीज़न.

अर्जुन – यार मैंने कहा था, कि आज रिएक्ट नहीं करोगी, प्लीज कल बात करेंगे ना.

वैदेही – लेकिन तुम्हें पता है तुम क्या कह रहे हो?

इतना कहते की वैदेही की पलके आंसुओं से भारी होने लगी, उसे समझ ही नहीं आ रहा था. वह क्या कहे, और ऐसा अचानक क्या हो गया जो अर्जुन ऐसा कह रहा है.

अर्जुन – हाँ बिलकुल मैं सोचकर यह बात तुमसे कह रहा हूँ, और वैदेही प्यार में प्रपोज, एक्सेप्ट, रोमांस, ब्रेक-अप के अलाबा भी बहुत कुछ होता है. हाँ एक बात और मैं तुमसे कह दूँ तुम ये जो ब्रेक-अप जैसी फालतू बात कर रही हो मेरा मतलब बो बिलकुल भी नहीं है.

अब समझ में आने की जगह अर्जुन कि बाते और अबूझ पहेली की तरह हो रही थी, वैदेही मन ही मन सोचे जा रही थी, अगर ब्रेक-अप नहीं तो क्यों यह दूर जाने की बात कह रहा है. वैदेही के कंधे पर हाथ रखते हुए अर्जुन कहता है, पता नहीं तुम अभी मेरी बात समझी या नहीं, पर अब जो मैं कह रहा हूँ, उस पर तुम कल ध्यान से खूब सोचकर विचार कर आना.

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