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गरमी की छुट्टियां थीं. रमला ने पेंटिंग क्लासेज जौइन कर ली थीं. एक रोज उस ने रूपेश को भी वहां देखा. दोनों का मेलजोल बढ़ा. दोनों को एकदूसरे की दोस्ती भा गई. पेंटिंग रूपेश का पैशन था. उस का मन करता रमला पास बैठी रहे और वह पेंटिंग करता रहे, पर उस के हिस्से में कुछ और ही लिखा था.

पिता को अचानक हौस्पिटल ले जाना पड़ा तो पेंटिंग क्लासेज छूट गईं. पर पैशन बरकरार रहा. एक दिन रमला उसे हौस्पिटल में मिली. मिहिर के पिता को कैंसर है जान कर बड़ा दुख हुआ.

कैसे थे वे दिन. तब रमला उसे मिली और फिर पता ही न चला कहां चली गई.

आज अचानक यहां देख कर बड़ी खुशी हुई. वैसे उस ने कभी सोचा भी न था कि रमला से यों मुलाकात होगी.

इधर रमला सोच रही है कि कितना अच्छा इंसान था रूपेश? जो कुछ उस के पति ने उस के बारे में बताया उस से मिल कर उस पर विश्वास नहीं होता. घर में कड़ा अनुशासन था. दोनों छिपछिप कर मिलते थे. रूपेश आदर्श और सचाई की मूर्ति था. लड़कियों की तरफ तो कभी आंख उठा कर भी नहीं देखता था. मैं उसे किताबी कीड़ा कह कर चिढ़ाती थी तो वह कहता था देखना ये किताबें ही मुझे जीवन में कुछ बनाएंगी.

‘‘और पेंटिंग…?’’ मैं पूछती.

‘‘वह तो मेरी जान है… घर आओ किसी दिन. मेरा कमरा पेंटिंग्स से भरा पड़ा है. रमला जीवन में सबकुछ छोड़ दूंगा पर चित्रकारी कभी नहीं.’’

तब रमला को उस की हर बात में सचाई लगती थी.

‘‘अरे सर,’’ मौल तो पीछे रह गया. हम काफी आगे आ गए हैं.

रमला की तंद्रा टूटी थी. सोच को अचानक ब्रेक लगा.

‘‘ओह, मिहिर हम यहीं उतरते हैं. तुम गाड़ी को पार्क कर के आओ तब तक हम मौल तक पहुंचते हैं,’’ रूपेश ने गाड़ी रोकी और चाबी मिहिर को दे कर रमला के साथ मौल की ओर चल पड़ा.

पता नहीं औफिस में आए गैस्ट पहुंच गए होंगे या नहीं, रूपेश सोच रहा था.

तभी रूपेश का मोबाइल बजा. बात खत्म कर के रमला से बोला, ‘‘हमारे गैस्ट शौपिंग के लिए नहीं आ रहे हैं… चलो सामने बैंच पर बैठते हैं.’’

बैंच पर बैठ कर पता नहीं क्यों उस का मन बेचैन था.

‘‘रमला आज मैं तुम्हें अपने जीवन का सच बताना चाहता हूं.’’

‘‘सच? कैसा सच…? मेरे पति आने वाले हैं,’’ वह घबरा गई थी कि रूपेश पता नहीं क्या कहने जा रहा है.

‘‘अभी मिहिर का फोन आया है कि उसे कुछ काम है. तब तक हम लोग शौपिंग करते हैं… मैं जानता हूं इस दुनिया में तुम से ज्यादा मुझे कोई नहीं जानता. इसीलिए जीवन का सच तुम्हारे सामने रख रहा हूं. शायद फिर कभी मौका न मिले… घबराना नहीं.

‘‘दरअसल, मैं ने 8 वर्ष पहले शादी की थी. लड़की का नाम भावना था. वह बेहद खूबसूरत और आकर्षक थी. इस से पहले मैं ने इतनी खूबसूरत लड़की न देखी थी. सच तो यह था कि भावना को दीवानों जैसा प्यार करता था.

‘‘वह अकेली थी. मांबाप नहीं थे. उस ने बताया था कि मांबाप बचपन में मर गए थे. ट्यूशन कर के खुद पढ़ी और अब भाईबहनों को पढ़ा रही हूं. अभी कुछ दिन पहले यह नौकरी मिली है. रूपेश, आई लव यू फ्रौम कोर औफ माई हार्ट. यदि हम दोनों एक हो जाएं तो मेरा जीवन सुधर जाएगा. काम कर के मैं थक गई हूं. तब मैं ने झट से शादी के लिए हां कर दी. फिर हम ने शादी कर ली.

‘‘लोगों, मित्रों और जानकारों ने मुझे बहुत समझाया कि इस से शादी कर के पछताओगे पर मैं तो उस के प्यार में पागल था. सो झटपट शादी कर ली. बहुत खुश था. जल्द ही असलियत खुल गई. वह सारीसारी रात यारदोस्तों के साथ घूमती. मैं ने उसे बहुत बार प्यार से समझाया पर उस ने यही कहा कि यह मेरी पर्सनल लाइफ

है. मुझे आदमियों के साथ शराब पीना और डांस करना अच्छा लगता है. शराब पी कर आधी रात घर आती. मैं चिढ़ता तो मुझ से मारपीट करती.

‘‘उस की उपेक्षा और दुर्व्यवहार से मैं टूटने लगा था. शादी को 6 महीने बीते थे. एक दिन बोली कि रूपेश मुझे तलाक चाहिए. क्यों? मेरे पूछने पर बोली कि मेरे देर से आने पर तुम्हें एतराज है. मैं आजाद पंछी हूं. यहां मेरा दम घुटता है. मुझे छोड़ दो.

‘‘मैं फिर भी उस के प्यार में डूबा रहा. उसे छोड़ना नहीं चाहता था. मेरे मित्रों ने कहा कि इस ने कइयों के साथ ऐसा ही किया है. तुम्हारे साथ इस की तीसरी शादी

है. इस ने सभी को ऐसे ही अपने जाल में फंसाया. सभी से शादी

तोड़ कर पैसा ऐंठा है. हमारा तलाक हो गया. पैसा तो देना

पड़ा. वह पैसा पा कर खुश थी

और मैं दुनिया का सब से दुखी पति था.

‘‘मैं ने अपनेआप को शराब में डुबो दिया. सारा दिन घर में

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