‘‘हाय, हैलो, सुन रहे हो न,’’

रघुनाथ प्रसाद दुबे ने फोन उठाया, ‘‘बोलोबोलो, मैं तुम्हारा 65 वर्षीय औनैस्ट रघु बोल रहा हूं.’’

‘‘हां... हां,’’ हंसती रागिनी की आवाज आ रही थी, ‘‘मैं कह रही थी, आज रविवार है, उस लक्ष्मी से डोसा बनवा लो.’’

‘‘अरे, कहां डोसा...? लक्ष्मी सुबह जल्दी आई, पोहा और जलेबी ले कर आई. पसीना बह रहा था, बोली, मेरे ये 10 साल बाद अचानक आ गए हैं. अब मुझे रिस्क नहीं लेना, तुरंत जाना है. और भागती हुई चली गई.’’

रघुनाथ प्रसाद की पत्नी रागिनी उन की मौसी की लड़की थी. दोनों की शादी के कारण उन की आलोचना होती रही. दोनों भयभीत रहते हैं. दोनों में प्रेम आज भी गाढ़ा बना हुआ है. पुत्री सुषमा और पुत्र अनिरुद्ध दोनों की शादी हो गई थी. दोनों विदेश में रह रहे थे.

अनिरुद्ध लंदन में भारतीय दूतावास में कार्यरत था. वहां उस की शादी होने के 5 साल बाद लड़का हुआ. यहां रघुनाथ प्रसाद और रागिनी चिंता में रहे. वहीं, पुत्री अमेरिका में रह रही सुषमा, इंजीनियर रवि त्रिपाठी की पत्नी ने शादी के बाद समय पर खुशखबरी दे दी.

पुत्री के आग्रह या कहें हठ के कारण रागिनी अमेरिका के न्यूयौर्क शहर गई थी. नवंबर माह की डेट दी थी डाक्टर ने. रागिनी वहां से अकसर रोज ही फोन करती रहती.

रविवार का दिन था. रघुनाथ प्रसाद अपने मित्र लक्ष्मण प्रसाद की सलाह पर काली मिट्टी से दांत साफ कर रहे थे. मुंह धोने में काफी देर लगी. नल बंद किया तो फोन की घंटी की आवाज सुनाई दी.

फोन उठाया तो डांट पड़ी, ‘‘कहां थे...? कब से मोबाइल उठाए हूं.’’

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