मुंबई से गोवा की रात 10 बजे की फ्लाइट बुक करवाते हुए ही मुझे अंदाजा तो हो ही गया था कि आज तो सोने की छुट्टी. पर, दिनभर औफिस की जरूरी मीटिंग्स थीं तो इस से पहले की फ्लाइट बुक करवाने में भी समझदारी नहीं थी.

अब फ्लाइट एक घंटे लेट होने की जैसे ही घोषणा हुई, दिमाग घूम गया. अभी तक तो फोन में टाइम पास कर लिया था, अब क्या करूं. सामने की चेयर्स पर बैठे लोगों पर नजर डाली, एक जोड़ा सुंदर आंखें मुझे निहार रही थीं, सीरियसली? यह सलोनी सी सूरत मुझे देख रही है और मैं फोन में चिपका हूं.

मैं ने फौरन अपनी टीशर्ट और जींस पर उड़ती सी नजर डाली, हां, मम्मी कहती हैं कि मैं इस ब्लू टीशर्ट में अच्छा लगता हूं. मैं ने उस के आसपास की दो और आंटी टाइप महिलाओं पर नजर डाली, हां, ये इस के साथ ही हैं.

लड़की ने अब मेरी तरफ देखना बंद कर दिया था, समझ गई थी कि मैं ने उस की चोरी पकड़ ली है. इतने में वो लड़की यों ही उठ कर थोड़ा इधरउधर टहलने लगी, तो मैं ने उसे भरपूर नजरों से देखा. उस ने घुटनों तक की एक ड्रैस पहनी हुई थी, बाल खुले, लंबे थे, स्टाइलिश से शूज थे. अच्छी लग रही थी वह. इतने में उस की साथी महिला ने कहा, “कहां जा रही है, शन्नो?”

उस के नाम से मुझे निराशा हुई, शन्नो... सीरियसली? इस लड़की का नाम शन्नो क्यों है? जरूर नाम बिगाड़ा जा रहा है. मुझे गाना याद आ गया, 'मेले में लड़की, लड़की अकेली, शन्नो, नाम उस का'.

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