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कहानी
तोरण
अभिजात्य वर्ग की संपन्नता के घमंड की इंतिहा दर्शाती एक कहानी
Digital Team
,
May 14, 2020
भाग - 1
गोयनकाजी की लड़की की शादी है. बरात को होटल राजहंस में ठहराया गया है. बींद यानी दूल्हे को घोड़ी पर बैठा कर व सभी बरातियों को रोशनियों के घेरे में नगर का परिभ्रमण कराते हुए ‘तोरण’ के लिए गोयनकाजी की कोठी पर ले जाया जाएगा.
भाग - 2
पाखी की हसरतभरी नजरें भी बींद की ओर उठ जाती हैं. आह, प्रकृति ने कैसा लाललाल भराभरा चेहरा दिया सेठ लोगों को. दिमाग में एक चुहल कौंधती है. अगर इस दूल्हे के संयोग से उसे बच्चा हो जाए तो कैसा होगा उस का रूपरंग और नाकनक्श? उन के आदिवासियों में तो अधिकांश लोग स
भाग - 3
पाखी की गोद से चिंटू को झपट कर उस का पिता पागलों की तरह चूमने लगता है. पाखी चिंटू के पिता को देखती है तो हड़क जाती है, ‘अरे, यह तो वही मरदूद है जो अश्लील फिकरे कसने में सब से आगे था.’ पाखी से नजरें मिलते ही युवक का चेहरा भी सफेद पड़ जाता है.
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