झंडा चौक के पास आ कर बरात ठहर जाती है. बैंड पर इस समय ‘मेरा यार बना है दूल्हा...’ की धुन बज रही है. नीचे घेरे के बीच नाचते युवकों की लोलुप नजरें अनायास ही घरों के कोटरों से निकल कर बरात देखने निकली युवतियों पर आ गिरती हैं. एक युवक सलीम मास्टर के कान के पास जा कर कुछ अबूझा सा संकेत देता है. आननफानन ‘मेरा यार बना है दूल्हा...’ की धुन बीच में तोड़ दी जाती है और ‘सरकाय लो खटिया...’ पूरे धमाके के साथ बैंड पर थिरकने लगती है. गाने की सनसनाती लय पर घेरे के बीच खड़े युवकों का तथाकथित ब्रेक डांस शुरू हो जाता है. बेतरतीब लटकेझटके, हिचकोले खाते अंगप्रत्यंग. लगता है अभी सेठ को पैसा उछालने में देर है. गोबरा मुरगे की तरह गरदन ऊंची कर के सामने के पूरे नजारे का सिंहावलोकन करता है. लाइट ढोती औरतों के ब्लाउज पसीने से पारदर्शी हो उठे हैं. लगातार 2 घंटों से हाथ उठा कर लाइट के बक्सों को थामे रखने की पीड़ा उन के चेहरों पर छलकने लगी है. गोल घेरे के बीच जहां युवक उछलकूद मचाए हुए हैं, फनाफन कपड़े पहने एक बराती प्रकट होता है. शायद बींद का करीबी रिश्तेदार है. 10-10 रुपए के 5 नोट जेब से निकालता है और नाचते युवकों के सिर पर से उतारते हुए सलीम मास्टर को थमा देता है. क्षणांश में अन्य रिश्तेदारों में होड़ मच जाती है और वे भी एकएक कर के घेरे में आआ कर 10 व 20 रुपए के दसियों नोट हवा में लहरालहरा कर सलीम मास्टर को थमाने लगते हैं. इस तरह सलीम मास्टर पर नोट बरसते देख कर सुलेमान चचा का कलेजा मुंह को आने लगता है. अपने बेसुरे ट्रम्पेट को देखते उन की आंखें क्रोध से सुलगने लगती हैं. काश, कुछ रकम बतौर इनाम उन्हें भी मिल जाती.
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