जिन पतिपत्नियों के बीच झगड़े नहीं होते, उन पर शंका होती है कि वे पतिपत्नी भी हैं या कोई और जीव. भारतीय लड़कों को पति होना सिखाया जाता है. जब वे अच्छेखासे पति हो जाते हैं, तो पत्नी से लड़ने के होने वाले फायदों के मजे लेते हैं. एक घाघ पति वही होता है, जो पत्नी के हमलों का बेसब्री से इंतजार करे. पत्नियों के इन झगड़ों के महत्त्व को समझ कर अंतरराष्ट्रीय पति आयोग ने इन से होने वाले फायदों से हर एक पति को लाभ लेने हेतु आदेशित किया है.

पति आयोग के अध्यक्ष का कहना है कि दुनिया के सारे पति लोगों को पत्नी केंद्रित लड़ाईझगड़ों का जीवन में लाभ उठाना चाहिए. पत्नी से झगड़ने के आनंददायी फायदे हैं :

चंद लमहे सुख के : झगड़ा होते ही चुपचाप बिस्तर पर पड़ जाना होता है. “सुन रहे हो क्या? लाइट बंद करो. पंखा तेज करो. यह चादर इधर दो. सारे तकिए तुम ने ही ले लिए? इधर मुंह करो. खिड़की क्यों खोल दी? जरा बाम लगा दो. व्हाट्सऐप में ही घुसे रहोगे क्या…” जैसे तीखे बाणों से मुक्ति मिल जाती है.

परम आनंद के क्षण : झगड़े के कारण बातचीत बंद हो जाती है. एकदूसरे पर शस्त्र फेंकने का कार्य रुक जाता है. आंसुओं की नदियां सूख जाती हैं. युद्ध मैदान में इसे विराम अवस्था कहते हैं. यहां कोई तनाव नहीं रहता है. सारी किचकिचाहट खत्म हो जाती है. इस समय पति लोगों के जीवन में परम आनंद के क्षण अठखेलियां खेलने लगते हैं.

मस्ती भरी गतिशीलता : झगड़ा पूर्वकाल में पत्नियां पति लोगों पर बारबार ब्रैक लगा देती हैं. झगड़े के कारण इन ब्रैकों से मुक्ति मिल जाती है. फोन, व्हाट्सऐप आदि पर पत्नी के संदेश आने का कोई खतरा नहीं रहता है.

“क्या कर रहे हो? कहां हो? फोन क्यों नहीं उठाया? मुझ से 2 सैकंड और दूसरों से 3 घंटे तक बातें? मन नहीं लग रहा है. आज गरमी बहुत पड़ रही है. साड़ी फौल लेते आना. फ्रिज में सब्जियां भी नहीं हैं. घर जल्दी आना…” जैसे तीखे खंजरों से मुक्ति मिल जाती है. एक बार झगड़ा हो जाने पर 4-5 दिन तो उत्सव बना रहता है.

इज्जत बढ़ती है : प्रायः देखा गया है कि झगड़े के उत्तरार्धकाल में पति लोगों की इज्जत बढ़ जाती है. पति होने का एहसास पत्नियों को उन के खोने के बाद ही होता है. घुटाघुटाया नयापुराना पति निजी पत्नी के क्षेत्र में अपनी इज्जत दोगुना होने पर ही प्रवेश करता है. पत्नियों को एक अच्छे पालतू नौकर खोने का डर सदैव बना रहता है. इस कालखंड में चंद पत्नियां पति लोगों की चिरौरी भी करती हैं.

आत्मनिर्भर पतिदेव : झगड़ा होने के बाद कई प्रकार के कार्य स्वयं पति लोगों को ही करने पड़ते हैं. नहाने के बाद खुद कपड़े धोना. अपने लिए चाय बनाना. उठ कर पानी पीना. अपने मोजे ढूंढ़ना. कपड़ों को प्रेस करना. आंगन में पड़ा अखबार उठा कर लाना…जैसे कई श्रमसाध्य कठिन कार्य पति लोगों को खुद ही करने पड़ते हैं. इस से पति आत्मनिर्भर देश की ओर तेजी से बढ़ने लगते हैं. सियासत में ऐसे कई पति पार्टी बिखरे पड़े हैं. बेचारी जनता इन्हें ढोती रहती है.

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