कामवाली बाई चंदा से गैस्टरूम की सफाई कराते समय जैसे ही नीरा ने डस्टबिन खोला, उस में पड़ी बीयर की बोतलों से आ रही शराब की बदबू उस के नथुनों में जा घुसी. इस से उस का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. वह तमतमाती हुई कमरे से बाहर निकली और जोर से चिल्लाई, ‘‘रोहन...रोहन, जल्दी नीचे आओ. मुझे अभी तुम से बात करनी है.’’ उस का तमतमाया चेहरा देख कर चंदा डर के कारण एक कोने में खड़ी हो गई. रोहन के साथसाथ दोनों बेटियां 9 वर्षीया इरा और 12 वर्षीया इला भी हड़बड़ाती सी कमरे से बाहर आ गईं. ‘‘ये बीयर की बोतलें घर में कहां से आईं रोहन?’’ नीरा ने क्रोध से पूछा.

‘‘आशीष लाया था, पर तुम इतने गुस्से में क्यों हो? आखिर हुआ क्या?’’ हमेशा शांत और खुश रहने वाली नीरा को इतना आक्रोशित देख कर रोहन ने हैरान होते हुए पूछा. ‘‘ये बीयर की बोतलें मेरे घर में क्यों आईं और किस ने डिं्रक की?’’ नीरा ने फिर गुस्से से चीखते हुए पूछा.

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‘‘अरे, कल तुम मम्मी के यहां गई थीं न, तब मेरे कुछ दोस्त यहां आ गए. उन में से एक का जन्मदिन था. तो खापी कर चले गए. पर इस में इतना आसमान सिर पर उठाने की क्या बात है?’’ रोहन ने तनिक झुंझलाते हुए कहा. ‘‘रोहन, तुम्हें पता है कि मुझे ये सब बिलकुल भी पसंद नहीं है. और मेरे ही घर में, मेरा ही पति.’’ नीरा चीखती हुई बोली और जोरजोर से रोने लगी. नीरा का रौद्र रूप देख कर सभी हैरान थे. थोड़ी देर बाद इरा और इला चुपचाप तैयार हो कर अपने स्कूल चली गईं. नाश्ता कर के रोहन औफिस जाने से पहले नीरा से बोला, ‘‘चंदा के जाने के बाद तुम थोड़ा आराम कर लेना, तुम्हारी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही.’’

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