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नया परिवेश, नए लोग, नए मौसम के बीच तालमेल बैठाने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई थी. एक दिन प्राचार्य ने स्कूल के बाद मिलने के लिए कहा. अतीत के नुकीले पत्थर पर पड़ कर फिर से कहीं पैर लहुलूहान न हो जाए, अटकलों, ऊहापोहों ने इंटरवल के बाद के 4 पीरियड में पेट में हौल पैदा कर दी. समय की काली छाया मेरा पीछा करते इस नितांत अनजान टापू में तो नहीं घुस आई. ‘यह किसी अब्दुल मुकीम का लैटर मेरे नाम आया है. आप के कैरेक्टर के बारे में बड़ी एब्यूज लैंग्वेज और बैड इन्फौर्मेशन लिखी है. डू यू नो हिम?’

‘यस सर, ही इज माई हसबैंड,’ मैं ने सिर  झुका लिया.

‘ओह, आय सी. तभी तो आप को 2 छोटेछोटे बच्चों के साथ मीलों का सफर अकेले तय कर के नए माहौल में आने की वजह ढूंढ़ता रहा मैं.’

दुखती नस पर किसी ने हाथ रख दिया. दर्द से बिलबिला गई. आंखों में सावन की  झड़ी लग गई.

‘डोंट वरी, आई विल टैकल दिस मैटर. यू जस्ट कन्सैन्ट्रेट अपौन योर ड्यूटी ऐंड योर चिल्ड्रन.’

‘सर, प्लीज स्टाफ में किसी से...’ मेरे होंठ थरथराए.

‘नो मैडम, कीप फेथ औन मी. आई विल सेव योर रिस्पैक्ट ऐंड औनर.’

घसीटते कदमों ने घर तो पहुंचा दिया मगर कमरे की निस्तब्धता ने कस कर बाहों में बांध लिया. तेज रुलाई फूटी. देर तक निढाल फर्श पर बैठी रही.

पतझड़ सावन में, सावन बंसत में तबदील होते रहे. गरमी की छुट्टियों में बच्चों के साथ कभी समुद्री जहाज से, कभी फ्लाईट से अब्बूअम्मी के पास आती रही. केसों की हियरिंग पर अपनी बरबादी की, मूकदर्शक बनी सड़कों की खाक छानना मेरी मजबूरी बन गई. सहेलियों, रिश्तेदारों से मुकीम की नईनई खबरें मिलती रहीं. मेरे घर से निकलने के 6 महीने बाद ही उस की मां मर गईं. शराब की लत और शक्की स्वभाव ने कोर्ट में मिली औरत को जल्द ही उकता दिया और वह एक रात उस की पूरी तनख्वाह ले कर घर से भाग गई.

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