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छोटे से कस्बे , शाहपुर  की टीचर्स कॉलोनी से थोड़ी थोड़ी दूर बने छोटे छोटे घरों में से एक में सलोनी अपने पति मुकेश के साथ बैठी नाश्ता कर रही थी , दोनों बहुत ही अच्छे मूड में थे , मुकेश ने प्यार भरी नजर सलोनी पर डाल कर कहा , सलोनी , मैं बहुत खुश हूँ कि मेरा विवाह तुमसे हुआ , कहाँ तुम इतनी सुन्दर सलोनी , कहाँ मैं आम सा दिखने वाला ,' कहकर मुकेश मुस्कुराया तो सलोनी ने बड़ी अदा से कहा ,'' अब झूठी तारीफें बंद करो , वैसे लगता ही नहीं कि विवाह के दो साल पूरे हो गए हैं और आज हम इस ख़ुशी में स्वामी गोरखनाथ जी की कुटीर में उनका आशीर्वाद लेने जा रहे हैं.''

''हाँ , लगता तो नहीं कि दो साल हो गए , तुम्हारी सुंदरता तो और बढ़ गयी है.''

''चल , झूठे ,'' कहकर सलोनी नाश्ते की प्लेट्स समेटने लगी. सचमुच फिर दुल्हन की तरह सजी संवरी सलोनी मुकेश के साथ स्वामी जी की कुटिया पर पहुंची , शाहपुर  छोटी जगह ही है , कस्बे के बाहर की तरफ एक बड़ी सी 'स्वामी कुटीर ' में  कई लोग फर्श पर बैठे स्वामीजी से अपनी अपनी समस्याओं का समाधान पूछ रहे थे , स्वामी जी एक एक को अपने पास बुलाते , बिठाते और आँख बंद करके कुछ सोचते , फिर कोई उपाय बता देते , लोग एक तरफ रखे दान पात्र में कुछ डालते और चले जाते , सलोनी पर स्वामी जी की नजर पड़ी , उनकी नजरों में चमक उभर आयी , थोड़ा जल्दी जल्दी सबको निपटाया , फिर उन दोनों को अपने पास बुला  लिया , मुकेश ने उनके पैर छूते हुए कहा ,'' स्वामी जी , आशीर्वाद दें , आज हमारे विवाह को दो साल हो गए हैं. स्वामीजी  ने दोनों के सर पर हाथ रखा , फिर धीरे से अपना हाथ सलोनी की कमर तक ले आये , सलोनी से नजरें मिलीं , सलोनी मुस्कुरा दी , मुकेश ने दो शातिर खिलाडियों की नजरों का यह खेल नहीं देखा , मुकेश ने कहा ,'' बाकी तो सब आपकी कृपा है , बस यही आशीर्वाद दें कि अगली सालगिरह पर हम तीन हो जाएँ , हमारे जीवन में अब एक बच्चे की ही कमी है.'' स्वामी जी ने मुस्कुरा कर कहा ,'' बच्चे तो ईश्वर की देन हैं , जब भी ईश्वर की मर्जी होगी , बच्चा  हो जायेगा , इसमें चिंता कैसी , धैर्य रखो ''

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