कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

उस के पापा ने कहा ‘‘प्रेमा, हमें तुम से पूरी सहानुभूति है पर जैसा कि डाक्टर ने बताया है अब आजीवन तुम्हें व्हीलचेयर पर रहना होगा. और तुम्हारी चोटों के चलते मूत्र पर से तुम्हारा नियंत्रण जाता रहा है. आजीवन पेशाब का थैला तुम्हारे साथ चलेगा... तुम अब मां बनने योग्य भी नहीं रही.’’

प्रेमा के पिता भी वहीं थे. अभी तक श्री ने खुद कुछ भी नहीं कहा था. प्रेमा और उस के पिता उन के कहने का आशय समझ चुके थे. प्रेमा के पिता ने कहा, ‘‘ये सारी बातें मुझे और प्रेमा को पता हैं. यह मेरी संतान है. चाहे जैसी भी हो, जिस रूप में हो मेरी प्यारी बनी रहेगी. वैसे भी प्रेमा बहादुर बेटी है. अब आप बेझिझक अपनी बात कह सकते हैं.’’

श्री के पिता ने कहा, ‘‘आई एम सौरी. यकीनन आप को दुख तो होगा, पर हमें यह सगाई तोड़नी ही होगी. श्री मेरा इकलौता बेटा है.’’

यह सुन कर प्रेमा को बहुत दुख हुआ. पर उसे उन की बात अप्रत्याशित नहीं लगी थी. खुद को संभालते हुए उस ने कहा, ‘‘अंकल, आप ने तो मेरे मुंह की बात छीन ली है. मैं स्वयं श्री को आजाद कर देना चाहती थी. मुझे खुशी होगी श्री को अच्छा जीवनसाथी मिले और दोनों सदा खुश रहें.’’

कुछ देर चुप रहने के बाद श्री की तरफ देख कर बोली, ‘‘मुबारक श्री. बैस्ट औफ लक.’’

श्री ने खुद तो कुछ नहीं कहा पर उस के पिता ने थैंक्स कह कर श्री से कहा, ‘‘अब चलो श्रीराम.’’

वे लोग चले गए. प्रेमा ने पिता की आंखों में आंसू देख कर कहा, ‘‘पापा, आप ने सदा मेरा हौसला बढ़ाया है. प्लीज, मुझे कमजोर न करें.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...