फिर अंजन बोला, ‘‘पर कोई बात नहीं. सारी परिस्थितियों को देखते हुए अंकल और आप को इतना दोषी भी नहीं ठहराया जा सकता है. हां, गलती आप की सिर्फ इतनी है कि आप ने यह बात इतने दिनों तक पापा से छिपा कर उन का विश्वास तोड़ा है, जो वे आप और अंकल पर करते थे. आप को यह बात उसी समय पापा को बता देनी चाहिए थी.’’
अमिता बोली, ‘‘भैया, तुम भी कैसी बात करते हो. क्या पापा आज जिस बात को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं उसे उस समय सहजता से सुन लेते?’’
अंजन बोला, ‘‘सुन लेते, इस समय उन्हें ज्यादा धक्का इस बात का लगा है कि मम्मी ने यह सच उन से इतने दिनों तक छिपाया.’’
‘‘तुम गलत कह रहे हो. अगर मम्मी न छिपातीं तो यकीनन दोनों परिवारों का विघटन हो जाता. पापा और आंटी दोनों ही इस बात को सहजता से न ले पाते.’’
अंजन बोला, ‘‘शायद तुम ठीक कह रही हो, मम्मी ने ठीक ही किया. चलो, हम लोग पापा को समझाते हैं और संकर्षण को भी.’’
‘‘मम्मी, आप संकर्षण के पास हौस्पिटल जाओ हम लोग थोड़ी देर में आते हैं.’’
मेरे हौस्पिटल जाने के बाद अंजन आशीष के पास जा कर बोला, ‘‘मम्मी ने हम लोगों को सारी बात बता दी है. अब आप यह बताइए कि आप को मम्मी की किस बात पर अधिक गुस्सा है, मम्मी और अंकल के बीच जो कुछ हुआ उस पर अथवा उन्होंने यह बात आप से छिपाई उस पर?’’
‘‘दोनों पर.’’
‘‘अधिक किस बात पर गुस्सा है?’’
‘‘बात छिपाने पर.’’
‘‘अगर वे उस समय सच बता देतीं तो क्या आप मम्मी और अंकल को माफ कर देते?’’