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वाशिंग मशीन की ओर लपका. पानी ड्रेन आउट होने पर जो देखा, खाना बनाते वक्त लाउड म्यूजिक के शौक ने मार डाला था, कपड़ों पर नजर पड़ी तो सारा मूड खराब हो गया. उस की नई गुलाबी शर्ट इतरा कर कई कपड़ों पे अपना रंग जमा चुकी थी. उस ने सिर पकड़ लिया. साफ पानी में 2 बार निकाला पर रंग न गया. उस के चेहरे का रंग अलबत्ता उड़ गया. मौली तो बेहद गुस्सा करेगी, बर्थडे पर उस की दी पैंटशर्ट दोनों ही खराब हो गईं. सारे कपड़े जल्दीजल्दी तार पर फैला डाले. इन में से तो कोई कल पहन के जाने लायक नहीं होंगी. कोई पहले की शर्टपैंट ही उस ने छांट कर प्रैस करवा ली. पर इस काम में पूरी अलमारी, पूरे कमरे की ऐसीतैसी हो गई थी. पर वह खुश था, चलो काम तो बन गया. उस ने पास बिखरे कपड़ों में से थोड़ेबहुत उठा कर अलमारी में ठूंस दिए.

शाम को दोस्तों का फिर जमघट लगना था. फिर नाइटशो, किसी इंग्लिश मूवी का प्रोग्राम था. लेकिन उस से पहले उन्हें, वादे अनुसार, अपने हाथों की बनी स्पैशल चिकनबिरयानी खिलानी थी. उस ने सोचा, शान में हांक दिया कि बड़ी अच्छी बनाता हूं. अब फंस गया बेटा समीर. तैयारी कर ले, वरना हो नहीं पाएगा.

लगभग 2 घंटे बाद सारा घर ही उस की भीषण तैयारी से बन रही बिरयानी की गवाही दे रहा था. हौल में प्याजलहसुन के छिलके पौलिथीन में पड़े थे. अदरक के छिलके चेस की गोटियां बने टेबल पर चिपके पड़े थे. मौली के संजोए सारे मसाले कैबिनेट से बाहर आ कर गैसस्टोव के अगलबगल पूरे प्लेटफौर्म पर जैसे मार्चपास्ट करने निकले थे.

फ्रिज तो ऐसे मुंहबाए खड़ा था मानो डकैती पड़ गई हो, उस में इक्कादुक्का सामान ही नजर आ रहा था. कई प्रकार के बरतन और टूल्स, यूटेंसिल्स, गजेट इस्तेमाल करने में कोई कोताही नहीं बरती गई थी, जो उन की बेकाबू भीड़ बता रही थी.

समीर ने गूंधे आटे का सांप बना बिरयानी के पतीले का मुंह बंद किया तो उस ने कार्य पूरा कर लेने की खुशी में गर्व से चौड़ी मुसकान चेहरे पर फैला ली. घड़ी में 7 बज रहे थे. वह बिरयानी दम पर कर नहाने के लिए बाथरूम में जा घुसा. शावर के नीचे 2 मिनट ही हुए होंगे, दरवाजे की घंटी बजी थी.

तौलिया लपेट कर उस ने दरवाजा खोला था.

‘‘बन गई तेरी बिरयानी? सामान तो खूब फैला रखा है,’’ दोस्तों ने कहा.

‘‘क्यों, लाजवाब खुशबू आ नहीं रही,’’ एक ने चुटकी ली तो सब हंस पड़े.

‘‘बस यार, आने ही वाली है खुशबू. थोड़ा सब्र करो. यार, तुम सब कोल्डडिं्रक निकालो. मैं बस अपने बदन की खुशबू का इंतजाम कर अभी आया,’’ समीर जोरों से हंसा.

पतीले का आटा मुंह खोल चुका था. बिरयानी की खुशबू आने लगी थी. समीर पतीला उठा कर डाइनिंग टेबल पर ही ले आया, ‘‘है न जोरदार खुशबू,’’ वह मुसकराया.

किसी ने खीरा, किसी ने प्याज, किसी ने गाजर तो किसी ने टमाटर ढूंढ़ कर काटे, सलाद भी बन गया. सब ने अपनी प्लेटों में चाव से परोसा और खाने बैठ गए.

‘‘कैसी लगी?’’ समीर ने कौलर ऊंचा कर पूछा.

‘‘अबे नमक तो डाला ही नहीं, खुद खा कर देख, मिस्टर लाजवाब,’’ सब हंस पड़े.

‘‘ला भई, नमक ले आ,’’ ऊपर से डालडाल कर सब ने किसी तरह बिरयानी खाई और मूवी के लिए भागे.

मूवी से लौट कर समीर ने जूतेमोजे उतारे और वैसे ही कपड़ों में बिस्तर पर पड़े गीले टौवेल के ऊपर ही सो गया. सुबह रामकली आई तो चारों ओर कूड़ा व फैला सामान देख कर उस की किटकिट शुरू हो गई.

‘‘साहब, ऐसे तो मैं काम नहीं कर पाऊंगी, रोजरोज इतना काम, मेमसाहब आ जाएं, तो बुला लेना. मैं जाती हूं.’’

‘‘अरे, कहां जाती है, मैं दे दूंगा न फालतू पैसे. वो दोस्त आ गए तो क्या करूं, जल्दी निबटाओ, मुझे औफिस भी जाना है.’’

‘‘नहीं साहब, मुझे गांव जाना है,

8 बजे की ट्रेन पकड़नी है. मां की तबीयत खराब है, सोचा था काम जल्दी कर के बोल दूंगी. पर न हो पाएगा, साहब.’’ वह केवल सिंक के बरतन धो कर चली गई थी.

‘तू और तेरी मेमसाहब, चलो छुट्टी…’ मन में बुदबुदाते हुए उस ने दरवाजा बंद किया.

कोई सामान अपनी जगह नहीं था. पानी पीने को फ्रिज खोला तो एक बोतल भी नहीं मिली. बड़ी मुश्किल से वह तैयार हुआ. बाहर ही ब्रैकफास्ट कर लूंगा, कोई नहीं. वह औफिस के लिए निकल गया. औफिस में फोन आया था मौली का. मेरी बड़ी बूआ अपनी बेटी रिंकू को परीक्षा दिलाने के लिए रात की गाड़ी से दिल्ली पहुंच रही हैं. 4 दिन घर पर ही रुकेंगी, मैनेज कर लोगे न, बाद में मैं भी पहुंच ही जाऊंगी.’’

‘‘हांहां, डोंट वरी,’’ नईनई शादी है यह नहीं बोलता तो मरता क्या.

‘‘थैंक्यू डियर, तुम्हारी पाककला शौक के बारे में सुन कर तुम से बहुत खुश हैं, बूआ, मैं ने उन्हें बताया था.’’

घर लौट कर उस ने अपनी समझ से घर को काफी दुरुस्त किया और लललाला करते हुए बूआजी को स्टेशन लेने चला गया.

चौथे दिन जब मौली ने घर में प्रवेश किया तो उस की चीख निकलतेनिकलते बची, मुंह खुला रह गया. वह फटीफटी आंखों से अपने प्यारे घर को पहचानने की कोशिश कर रही थी. क्या हौल, क्या किचेन, क्या बैडरूम, बाथरूम, देखे नहीं जा रहे थे उस से. अजीब सी गंध से जल्दी ही उस का मुंह क्या, नाक भी सिकुड़ चुकी थी. सुना ही था लोगों से आज देख भी लिया, बिन सजनी घर.

‘बाप रे, कैसे सफाईपसंद बूआ और रिंकू ने यहां 3 दिन गुजारे होंगे. यह क्या किया समीर ने.’

‘‘समीर, दिस इज टू मच, यार,’’ उस ने घर का बिगड़ा नक्शा दिखा कर पूछना चाहा था.

‘‘क्या करता, बदमाश मेड तुम ने रखी थी, छुट्टी ले कर चली गई. मैं क्या करता?’’ खैर, ये सब छोड़ो, बूआजी और रिंकू मार्केट से आती होंगी. तुम फ्रैश हो कर जल्दी आओ और खाना लगाओ, आज तुम्हारी पसंद का सब बाहर से ले आया हूं,’’ वह मुसकराया. मौली के आ जाने से आज वह बेहद खुश, बहुत चैन की सांस ले रहा था. ललललाला करते हुए उस ने लाउड म्यूजिक लगा दिया.

फ्रैश…ऐसे कबाड़ में? फ्रैश होने से पहले तो दसियों काम करने को दिख रहे हैं, समीर.’’ पर समीर को लाउड म्यूजिक में कुछ न सुनाई दिया.

मौली ने सैंडल एक ओर कर चुन्नी कमर में बांधी और सब से पहले मेड का नंबर मिला दिया…

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