जब से मीनाजी ने कंप्यूटर सीखा उन की दिनचर्या ही बदल गई है. अब तो सारा दिन वे कंप्यूटर के सामने ही बैठी रहती हैं. पहले सुबहशाम सैर पर जाती थीं. घंटा, आधा घंटा घर पर ही व्यायाम करती थीं. अब छत पर ही 15 मिनट टहल लेती हैं. व्यायाम तो मानो भूल ही गई हैं. 70 वर्षीया मीनाजी या तो ‘फेसबुक’ पर रहती हैं या ‘फूड गाइड’ पर. ‘चेन्नई फूड गाइड’ की तो वे मैंबर बन गई हैं. वे बहुत अच्छी कुक हैं और अब उन्होंने अपनी रैसिपीज इंटरनैट पर डालनी शुरू कर दी है. उन के हाथ में एक बहुत अच्छा मोबाइल आ गया, उस से अपनी बनाई सब रेसिपीज की वे फोटो खींचतीं और नैट पर डाल देतीं. आधे घंटे के अंदर ही 20-30 ‘लाइक’ पर टिक हो जाता और 2-4 कमैंट भी आ जाते. उन की ‘फ्रैंड रिक्वैस्ट’ की लिस्ट लंबी होती जा रही थी. उन के नैट फ्रैंड हजारों में हो गए.
मीनाजी की पोती नीता पढ़ने के लिए अमेरिका गई हुई थी. जब वह चेन्नई में थी तो दादीपोती की खूब जमती थी.
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नीता जो बात मां को न बता पाती, वह बात बड़ी आसानी से दादी से शेयर करती थी. उस के अमेरिका जाने के बाद फोन पर ही बात होती थी.
बहू सीता कभीकभी स्काइप पर नीता को दिखा भी देती और बात भी करवा देती थी. इधर, 2 महीने में जब से वे ‘कंप्यूटर सेवी’ बनी हैं, नीता उन की फ्रैंड लिस्ट में शामिल हो चुकी है. अपनी फेसबुक पर अब वे दोनों हर बात शेयर करती हैं. किसी भी नई रेसिपी की फोटो को देखते ही नीता का कमैंट आता, ‘‘दादीमां, गे्रट, आप तो दुनिया की सब से बढि़या कुक और फोटोग्राफर बन गई हैं. जब मैं वापस आऊंगी तो मुझे सब खाना बना कर खिलाना होगा.’’