मैं औफिस में काफी रंगीनतबीयत माना जाता था और खुशमिजाज भी. हर रोज किसी को सुनाने के लिए मेरे पास नया व मौलिक लतीफा तैयार रहता था. मैं हाजिरजवाब भी गजब का था. कोई गंदा सा जोक अपने साथियों को सुना कर मैं इतनी बेशर्मी से आंख मारता और सारी बात इतनी गंभीरता से कहता कि हर कोई सच में मेरी बात मान लेता था.