Hindi Best Story : रोहित एक वतनपरस्त सैन्य अफसर था. अपने ऊपर गद्दार होने का कलंक कैसे सह सकता था. हालात में फंसा रोहित क्या खुद को बेगुनाह साबित कर पाया?

कर्नल शंकर को अचानक आते देख कर मेजर रोहित चकित हो गया और सोच में पड़ गया- न कोई खबर, न वायरलैस, न संदेश. जरूर ही दुश्मन की तरफ से कोई गतिविधि देखी गई होगी, उस पर आवश्यक चर्चा करनी होगी या मंत्रालय से कोई आदेश होगा जो कर्नल साहब को एडवांस पोस्ट तक खुद आना पड़ा.

‘‘जयहिंद, सर,’’ मेजर रोहित ने जल्दी से एडि़यां जोड़ कर सैल्यूट किया, ‘‘सौरी सर, मु?ो आप के आने की इत्तला नहीं थी वरना मैं आप से बेस पर मिल लेता.’’

कर्नल शंकर ने सिर हिला कर मानो रोहित की बात को कोई तवज्जुह नहीं दी, ‘‘एक जरूरी काम है, मेजर रोहित. मिनिस्ट्री की सिफारिश पर टीवी चैनल के 2 संवाददाता फौरवर्ड पोस्ट पर एक स्टोरी बनाने के लिए आ रहे हैं. आप उन्हें साथ ले जा कर अपने औपरेशन और मुस्तैदी के बारे में शूट करने देना और साथ ही, उन को पूरी सुरक्षा देना.’’

मेजर रोहित की निराशा उस के चेहरे के भावों तक आ गई, ‘‘हम यहां अपना काम करते हैं, सर. देश की रक्षा करते हैं, कोई जलसा या प्रदर्शनी आयोजित नहीं करते कि लोग हमें देखने आएं और हम पर स्टोरी बनाएं.’’

‘‘आप ठीक कह रहे हैं, मेजर साहब. मगर देश जानना चाहता है कि हम काम क्या करते हैं, कैसे करते हैं, हमारी तकलीफें क्या हैं, दिक्कतें क्या हैं, कैसीकैसी परिस्थितियों में हम दुश्मनों से जू?ाते हैं आदि, तो इस में बुराई क्या है?’’

‘‘दूसरे शब्दों में, वे हमारी निष्ठा का सुबूत चाहते हैं, हमारे कामों पर सच्चाई की मोहर लगा कर उस पर अपना सर्टिफिकेट जारी करना चाहते हैं ताकि उन लोगों का मुंह बंद हो जाए जो ऐसे सवाल उठाते हैं. याद नहीं है सर, इन संवाददाताओं ने अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए मुंबई धमाकों में हमारे एकएक कदम का लाइव टैलीकास्ट कर के दुश्मनों तक हमारी सारी योजनाएं पहुंचा दी थीं जिस का खमियाजा कमांडो दल ने और नतीजा देश ने भुगता.’’

‘‘अब जो भी हो, मेजर रोहित, और्डर का पालन तो करना ही है. वैसे, आप ने पूछा नहीं कि ये संवाददाता कौन हैं, इन के नाम क्या हैं.’’

‘‘फायदा क्या है सर, नाम पूछ कर.’’

‘‘उन के टीम लीडर को आप चौबीसों घंटे अपने पास रख सकते हैं अगर चाहें तो, उन्हें इन वादियों की सैर करवा सकते हैं.’’

कर्नल शंकर के चौबीसों शब्द पर जोर दे कर मेजर रोहित ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘चौबीसों, मैं कुछ सम?ा नहीं, सर?’’

‘‘देखो उधर, जीप से कौन उतर रहा है,’’ कर्नल साहब ने इशारा करते हुए कहा. मेजर रोहित अचंभित हो गया, ‘‘रितु और यहां!’’ रोहित अविश्वास से उस ओर ताकते जा रहा था जिधर से

2 महिलाएं पहाड़ों की चढ़ाई चढ़ कर उन तक पहुंचने का प्रयास कर रही थीं.

‘‘क्या बात है बरखुरदार, अपनी पत्नी को पहचानने में इतना वक्त लगा रहे हो, जाओ, अरे भाग कर उसे रिसीव करो, कितनी दूर से आई है बेचारी.’’

‘‘यस सर,’’ मेजर रोहित को कुछ सम?ा नहीं आ रहा था. रितु जब मेजर रोहित और कर्नल शंकर तक पहुंची तो बुरी तरह थक चुकी थी. ‘‘यों अचानक यहां और वह भी टीवी चैनल के जरिए, मैं कुछ सम?ा नहीं, कब जौइन किया इस चैनल को? तुम तो अच्छीभली समाचारपत्र के पेज काले करती थीं.’’

‘‘बस यों सम?ा कि कल ही जौइन किया और आज ही अपने पहले मिशन पर निकली हूं. तुम्हें बताने तक का समय नहीं मिला,’’ रितु ने गहरी सांस ले कर सहज होते हुए कहा, ‘‘मेरे साथ में है वर्षा, मेरी कैमरापर्सन, जानीमानी एंकर और संपादक.’’

वर्षा ने आगे बढ़ कर हाथ मिलाया और शरारतभरे अंदाज से कहा, ‘‘अब यहीं सारी बातें कर लेंगे या कुछ खिलाएंगेपिलाएंगे भी, आप के मेहमान हैं हम?’’

रोहित इस बात पर ?ोंप गया और उस ने आवाज दे कर हवलदार सुमेर सिंह को बुलाया. ‘‘सुमेर सिंह, ये हमारे मेहमान हैं, दिल्ली से आई हैं, ये दोनों ही देश के एक नामचीन टैलीविजन चैनल के लिए काम करती हैं.’’

‘‘मैं सम?ा गया कि ये हमारी मैडम है,’’ सुमेर सिंह ने रितु की तरफ इशारा करते हुए कहा.

‘‘सही सम?ो, और सुमेर सिंह, अब तुम इन के लिए…’’ रोहित कुछ कहना चाह रहा था कि सुमेर सिंह ने उस की बात को काटते हुए कहा, ‘‘सरजी, मेरा भी परिचय दे दो.’’

‘‘हांहां, क्यों नहीं,’’ रोहित ने कहा, ‘‘ये सुमेर सिंह हैं, बहुत ही बहादुर, जांबाज और बांके सिपाही हैं. इन की बहादुरी की जितनी भी चर्चा की जाए, कम है. ये न तो दुश्मनों की गोलियों से डरते हैं न ही टैंक या तोपों के गोलों से.’’

‘‘सरजी, आप ने वो वाली बात तो बताई नहीं, सर, मेरी कुड़माई वाली बात.’’

‘‘हांहां, मैं तो भूल ही गया,’’ रोहित ने सुमेर सिंह के कंधे पर हाथ रख कर कहा, ‘‘सुमेर सिंहजी की सगाई की बात लगभग तय हो चुकी है और इन की होने वाली धर्मपत्नी स्कूल में शिक्षिका हैं.’’

‘‘सरजी, वह स्कूल में हैडमिस्ट्रेस है. एक और बात, वह बहुत सुंदर है,’’ सुमेर सिंह ने थोड़ा शरमाते हुए कहा.

‘‘हां, जरूर होंगी, आप भी तो कम स्मार्ट नहीं हैं. वैसे, मुलाकात तो होती रहती होगी कभीकभी अपनी होने वाली पत्नी से?’’ रितु ने मुसकराते हुए पूछा.

‘‘मैं मिला नहीं हूं लेकिन मैं ने सुना है की वह मिस फगवाड़ा रह चुकी है. इस बार छूट्टियों में जाऊंगा तो सगाई की रस्म पूरी करूंगा लेकिन कोई टैंशन नहीं है, जबान दे चुके हैं और ले चुके हैं. बात अडिग है.’’

रितु सुमेर सिंह के भोलेपन और मासूमियत से हतप्रभ थी. आश्चर्यचकित हो कर वह कभी सुमेर सिंह तो कभी रोहित को देख रही थी कि रोहित ने विषय बदलते हुए कहा, ‘‘चलिए सुमेर सिंहजी, इन की कुछ आवभगत की जाए. क्या खयाल है आप का?’’

‘‘यस सर, मैं अभी इंतजाम करता हूं,’’ सुमेर सिंह ने सैल्यूट करते हुए कहा.

अगले 2-3 दिन मेजर रोहित अपने दोनों मेहमानों को सीमा के करीब की पोस्ट और सीमावर्ती गांव की सैर करवाते रहे. टीवी चैनल के दोनों महिला आगंतुकों के लिए वहां घूमना और मनोरम दृश्यों को कैमरे में कैद करना एक सुखद अनुभव था. देश के रणबांकुरे कितनी विषम स्थितियों में देश की रक्षा करते हैं, इस की अच्छीखासी रिपोर्ट तैयार हो रही थी. रितु अपनी इस उपलब्धि पर प्रसन्न थी और साथ ही, रोहित का साथ उस की खुशियों को दोगुना कर रहा था. उसे मानो मनमांगी मुराद मिल गई थी और तोहफे में मिले एकएक पल को वह जीभर कर जीना चाह रही थी.

उस शाम जब वे तीनों सीमारेखा से सटे एक गांव की तरफ जा रहे थे तो अचानक दुश्मन की ओर से गोलाबारी शुरू हो गई. सैनिक सचेत थे और अफसर मुस्तैद. फायरिंग का जवाब दिया जाने लगा और देखते ही देखते सारा इलाका आग, धुएं और धूल के गुबार से पट गया. रोहित ने एक सिपाही को दोनों महिलाओं को वहां से दूर किसी सुरक्षित जगह में ले जा कर पनाह लेने के लिए कहा लेकिन उन दोनों ने ही उस जगह को छोड़ने से इनकार कर दिया. बारीबारी से कैमरे को कंधे पर लाद कर वे उन दृश्यों को कैद करती रहीं और बीचबीच में डायरी निकाल कर नोट्स भी बनाती रहीं. रोहित के लिए एकएक पल मुश्किल से भरा हुआ था- एक ओर दुश्मन की अंधाधुंध गोलाबारी का जवाब देने के लिए सिपाहियों को और्डर देना और दूसरी ओर अपने सिपाहियों के साथ दोनों लड़कियों की भी हिफाजत करना. ‘विषमता भी परीक्षा लेती है’ रोहित को ट्रेनिंग के दौरान मिले इस पाठ की सच्चाई का उस शाम एहसास हो रहा था. लगभग 2 घंटे बाद दोनों ओर की बंदूकें शांत हुईं और वातावरण में थोड़ी नीरवता छाई.

‘‘आप सब लोग ठीक हैं?’’ रोहित ने ऊंची आवाज में पूछा तो एकसाथ ‘यस सर’ जवाब आया, ‘‘नो कैजुअल्टी, नो इंजुरी, सर,’’ सूबेदार की आवाज सुन कर मेजर रोहित की जान में जान आई.

‘‘आप दोनों ठीक हैं?’’ रोहित ने रितु और वर्षा से पूछा.

दोनों सहमी हुई थीं और धीमी आवाज में बोलीं, ‘‘हम ठीक हैं.’’

अगले दिन सुबह मानो रोहित ने हुक्म सुना दिया, ‘‘आप लोग वापस अपने घर चली जाइए, बहुत मसाला मिल गया आप के चैनल को.’’

रितु की जाने की इच्छा नहीं थी. कुछ दिन और रुक जाते तो हमारा काम पूरा हो जाता, वर्षा ने कहना चाहा.

‘‘मु?ो नहीं मालूम कि आप का उद्देश्य और मिशन क्या है, मगर मेरा खयाल है कि अब बहुत हो गया. आप ने बहुतकुछ जान लिया, अपने ज्ञान में बढ़ोतरी कर ली. अब जा कर ऊंची आवाज में अपने दर्शकों तक सारे पकवान परोस देना. आप के चैनल की टीआरपी जरूर बढ़ेगी.’’

मेजर रोहित ने कर्नल शंकर से बात कर दोनों मेहमानों की वापसी के लिए हैलिकौप्टर भेजने का आग्रह किया. दूसरी ओर से हामी होते ही रोहित ने उन्हें सामान पैक करने का आदेश दे दिया. पहाड़ों के मौसम और खासतौर पर इतनी ऊंचाई पर मौसम पलपल बदलता है, ऐसा ही कुछ वहां भी हुआ. देखते ही देखते मौसम ने करवट बदली और चारों ओर बर्फ पड़नी शुरू हो गई. कुछ ही पल में चारों ओर बर्फ का साम्राज्य अपनी हर हद को पार कर चुका था. तभी मेजर रोहित के वायरलैस की घंटी बजी. रोहित ने लपक कर फोन उठाया तो दूसरी ओर कर्नल साहब थे, ‘‘मौसम बहुत खराब हो रहा है, मेजर. तूफान का अंदेशा है. ऐसे में हैलिकौप्टर भेज पाना मुमकिन न होगा.’’

‘‘कोई बात नहीं, सर. हम कोई और तरीका ढूंढ़ते हैं,’’ मेजर रोहित ने जवाब दिया.

कर्नल शंकर दो पल के लिए रुके और फिर उन्होंने आदेश दिया, ‘‘मेजर, तुम अपनी टीम के साथ डोडा की पहाडि़यों के पीछे एक गांव की तरफ फौरन रवाना हो जाओ. यह एक खतरनाक मिशन है और टौप सीक्रेट भी. सही लोकेशन मैं तुम्हें थोड़ी देर में भेज रहा हूं. याद रहे, टारगेट है असलम.’’

‘‘असलम,’’ मेजर रोहित कुछ सोच में पड़ गया.

‘‘तुम ठीक सोच रहे हो, मेजर रोहित. यह वही असलम हैजिस ने पिछले

3 सालों में कई हिंदुस्तानी ठिकानों को अपना निशाना बनाया है. पाकिस्तान के टुकड़ों पर पलने वाला असलम जेल से भागा हुआ एक खतरनाक मुजरिम है. इस पर कई केस अलगअलग पुलिस स्टेशनों में भी दर्ज हैं. तुम्हें इसे जिंदा  पकड़ना है ताकि कई जानकारियां उस से मिल सकें जो हमारे लिए बहुत ही काम की साबित हो सकती हैं.’’

‘‘यस सर,’’ मेजर रोहित ने जवाब दिया, ‘‘मैं अभी फौरन मिशन पर निकलता हूं. मगर सर, टीवी चैनल के दोनों नुमाइंदों को न मैं यहां छोड़ सकता हूं और न ही औपरेशन में साथ ले जा सकता हूं. इन दोनों महिलाओं के लिए मु?ो क्या आदेश है?’’

कर्नल शंकर कुछ पल रुके, फिर कुछ सोच कर कहा, ‘‘इन्हें आप अपने साथ ले जाइए और नूर घाटी के पास किसी गांव में महफूज जगह पर छोड़ दीजिएगा. आप अपनी जीप भी वहीं छोड़ कर आगे का रास्ता पैदल ही तय कीजिएगा. वापसी में इन्हें अपने साथ ले आइएगा.’’

मेजर रोहित ने हामी भरी और अपने सिपाहियों को कूच करने का आदेश दिया. ऊंचेनीचे रास्ते पर जीप चलाते हुए रोहित तिरछी निगाह से रितु को भी देख लेता जो कभीकभी उस का हाथ थाम लेती.

‘‘मैडमजी,’’ यह सुमेर सिंह की आवाज थी जो पीछे सीट पर बैठा था, ‘‘आप कभी फगवाड़ा गई हैं?’’

‘‘नहीं. वहां जाना नहीं हुआ, सुमेर.’’

‘‘जाओ, तो किसी से भी पूछ लेना चंद्रवती का नाम. हैडमास्टर कह देना, कोई भी ले जाएगा. फिर भी न सम?ा में आए तो कहना मिस फगवाड़ा से मिलना है. कोई भी आप को ले जाएगा. और, वह तो दूर से ही अलग से दिख जाएगी.’’

रितु बड़ी मुश्किल से अपनी मुसकान छिपा पाई, ‘‘मु?ा से भी ज्यादा सुंदर है क्या आप की चंद्रवती?’’

जवाब में सुमेर ?ोंप गया, बोला, ‘‘आप ही देख लेना, मैडम. मु?ा से पहले आप ही देखना और मु?ो बता देना कौन ज्यादा सुंदर है.’’

लगभग 2 घंटे की ड्राइव के बाद काफिला नूर घाटी के पास पहुंच गया. जीप से उतर, थोड़ा सुस्ता कर सभी सिपाही एक कतार में खड़े हो गए.

‘‘जयहिंद सर,’’ सूबेदार अजीब सिंह ने रिपोर्ट दी, ‘‘हैड काउंट में एक कम है, सरजी.’’

मेजर रोहित अचंभे में था कि रितु घबरा कर बोल पड़ी, ‘‘वर्षा?’’

रोहित ने सूबेदार को पीछे जा कर देखने का हुक्म दिया कि वर्षा नजर आ गई, ‘‘कहां रह गई थीं आप?’’

‘‘सौरी मेजर, मैं यहीं थी, बस, अपने बेटे से बात कर रही थी.’’

रोहित को तनिक आश्चर्य हुआ, ‘‘आप के फोन में सिग्नल आ रहे हैं, कमाल है. मगर इस तरह बिना बताए जीप से उतरते ही आप नदारद हो गईं, आप किसी पार्क में नहीं घूम रही हैं.’’

‘‘इस के बेटे की तबीयत खराब है, रोहित. यह चिंतित रहती है, आइंदा इस तरह गायब नहीं होगी,’’ रितु ने स्थिति संभालते हुए कहा.

अपने वाहन वहीं छोड़ कर लगभग 2 किलोमीटर चलने के बाद उन्हें बाईं ओर एक गांव नजर आया. मेजर रोहित ने दोनों लड़कियों को वहीं छोड़ने का फैसला किया. मगर उन के आश्चर्य की सीमा न रही जब देखा कि गांव में एक अजीब सी शांति थी. न कोई चहलपहल थी न ही सामान्य सा शोर. चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था. उन्हें सम?ाने में देर नहीं लगी कि गांव वाले उस रोज खराब मौसम की वजह से कम ऊंचाई वाले स्थान पर जा चुके थे.

मेजर रोहित पसोपेश में पड़ गया. उसे सम?ा नहीं आ रहा था कि वह उन दोनों का क्या करे. तभी कर्नल साहब का एक वायरलैस मैसेज आना शुरू हुआ. उन्होंने असलम के ठिकाने के बारे में बताया और यह भी कहा कि इस लोकेशन के बारे में किसी और से जिक्र न करें. इसी बीच मेजर रोहित ने कर्नल साहब को बताया कि गांव वाले पलायन कर चुके हैं और उन दोनों महिलाओं को गांव में छोड़ने का विकल्प अब खुला नहीं है. मामले की नाजुकता देख कर दोनों इसी नतीजे पर पहुंचे कि इन दोनों महिलाओं को भी अपने साथ ही रखना होगा और यह खतरा उन्हें हर हाल में उठाना ही होगा.

मेजर रोहित ने अपनी बुलेटप्रूफ जैकेट निकाली और वर्षा को सौंप दी और कहा, ‘‘हम सब के पास अपनी जैकेट हैं मगर मेहमानों के लिए फिलहाल नहीं हैं, इसलिए इसे आप पहन लीजिए. आगे खतरा होगा.’’

मेजर रोहित को अपनी बुलेटप्रूफ जैकेट वर्षा को सौंपते हुए देख कर हवलदार सुमेर सिंह ने भी अपनी जैकेट निकाली और रितु को सौंप दी, ‘‘हमें कोई खतरा नहीं है, मैडम. लेकिन आप को सुरक्षित वापस पहुंचाना हमारा पहला कर्तव्य है. और फिर, यह लुकाछिपी का खेल तो हमारे लिए रोज का तमाशा है.’’

रितु सुमेर सिंह की इस दिलेरी और त्याग से हतप्रभ रह गई. उसे सम?ा ही नहीं आ रहा था कि वह सुमेर सिंह को इनकार करे, धन्यवाद दे या उस की सलामती की इच्छा जाहिर करे. एक चोटी पर पहुंचते ही रोहित ने अपनी दूरबीन निकाली और देखा तो उसे एक खंडित मंदिर से सटा वह घर नजर आया जैसा कर्नल साहब ने बताया था. रोहित ने इधरउधर नजर दौड़ाई तो एक भेड़ों की टोली नजर आई. रोहित सम?ा गया कि साथ में गड़ेरिया जरूर होगा. उस ने सूबेदार महतो को बुलाया और कहा, ‘‘आप इन की भाषा थोड़ीबहुत सम?ाते हैं, गड़ेरिए को बुलाइए और उसे यहां रुकने को कहें. जब तक हम औपरेशन से वापस न आएं.

थोड़ी ही देर में गड़ेरिया सामने था. ‘‘सब लोग चले गए. ऐसे मौसम में यह यहां क्या कर रहा है?’’ जवाब में सूबेदार महतो ने बताया कि वह रास्ता भूल गया था और अब अपने गांव जा रहा है. रोहित ने रितु और वर्षा को वहीं गड़ेरिए के पास रुकने को कहा और एक सिपाही को वहां छोड़ कर आगे मिशन पर निकल पड़ा. 3 अलगअलग टोलियां 3 अलगअलग दिशाओं से दबेपांव उस घर की ओर चल पड़ीं. सब से सामने की टोली का नेतृत्व खुद मेजर रोहित कर रहा था और कुछ ही पलों में उन्होंने वहां खड़े 2 गार्डों को शांतिपूर्ण मौत दे दी और अहाते में प्रवेश करने ही वाले थे कि तभी अचानक वायरलैस पर कर्नल साहब ने संपर्क साधा और पूछा, ‘‘लोकेशन?’’

‘‘टारगेट के पास, सर.’’

‘‘मिशन लीक हो गया है, मेजर. तुम जल्दी से बाहर निकलो. उन की सहायता के लिए उन की फोर्स आ रही है. औपरेशन अबैन्डन कर दो.’’

‘‘सर, हम लोग टारगेट के बिलकुल पास हैं. बस, कुछ ही मिनटों की बात है.’’

‘‘औफिसर, सम?ाने की कोशिश करो. तुम लोग सिर्फ 20 हो, साथ में 2 प्रैस रिपोर्टर भी हैं जिन की हिफाजत का जिम्मा हमारा है. आतंकवादियों की रीइन्फोर्समैंट सैकड़ों की तादाद में आ रही है. तुम लोग सहीसलामत वापस नहीं आ पाओगे.’’

‘‘लेकिन सर.’’

‘‘इट्स एन और्डर, मेजर.’’

‘‘सौरी सर, टारगेट मेरी नजरों में है. बस, एक कदम बढ़ने दीजिए और टारगेट मेरी मुट्ठी में होगा. मैं लौट नहीं सकता.’’

‘‘मेजर, तुम इनसबौर्डिनेशन कर रहे हो. जानते हो इस की सजा क्या है?’’

‘‘कोर्ट मार्शल, सर. मैं कोर्ट मार्शल के लिए तैयार हूं मगर हाथ आए दुश्मन को छोड़ने को नहीं.’’

रोहित ने हवलदार सुमेर सिंह को टीम के साथ बाहर रुकने को कहा और खुद 2 साथियों के साथ दबेपांव अहाते के अंदर पहुंच गया.

सामने असलम खान जमीन पर तख्ता लगा कर बड़ी सी थाली में जानवरों की तरह मांस खा रहा था.

‘जमील, जरा गोश्त का पतीला पकड़ाना,’ असलम ने आवाज दी.

रोहित ने खानसामे के हाथ से पतीला लिया. हिंदुस्तानी सिपाही को देख कर खानसामे का मुंह सूख गया.

रोहित ने उसे खामोश रहने को कहा. उस के हाथ से गोश्त का पतीला लिया और असलम के सामने खड़ा हो गया, ‘‘लीजिए जनाब, नोश फरमाइए.’’

आवाज सुन कर असलम ने हाथ आगे बढ़ा दिया और साथ ही, चौंक कर गरदन उठाई. असलम की नजर जब रोहित से मिली तो उस के होश फाख्ता हो गए, ‘‘कौन हो तुम?’’ असलम अपनी बंदूक टटोलने लगा.

‘‘कोई फायदा नहीं, असलम मियां. हम हिंदुस्तानी खाना खाते हुए इंसान पर वार नहीं करते. गोश्त खत्म कीजिए और हमारे साथ चलिए. क्या जाने आप को ऐसा खाना दोबारा न मिल पाए.’’

असलम को काटो तो खून नहीं. कुछ ही पलों में उसे सारा माजरा सम?ा आ गया. ‘‘बिरयानी तो आप भी खिलाएंगे हमें मेजर साहब अगर पकड़ पाए तो.‘‘

‘‘बिरयानी वाले दिन कब के लद गए, मियां असलम. लगता है अनपढ़ हो, अखबार वगैरह पढ़ते नहीं हो?’’

तभी असलम के रेडियो सैट से आती आवाज से मेजर रोहित और अन्य सिपाही चौंक गए, ‘असलम साहब, आप की मदद के लिए एक बड़ी टोली आप तक पहुंचने वाली है, तब तक अगर कोई काफिर आता है तो उसे उल?ा कर रखिए.’

‘‘उन से कहिए कि हजूरे आला ने आतेआते बड़ी देर कर दी, परिंदे अब कभी उड़ नहीं पाएंगे,’’ यह कह कर मेजर ने असलम की आंखों पर पट्टी बांधी और उसे घसीटते हुए बाहर ले गया. बाहर सामने से आतंकवादियों की टोली ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी जिस का मुकाबला सुमेर सिंह कर रहा था. तभी एक गोली हवलदार सुमेर सिंह को लगी और वह वहीं गिर पड़ा. दोनों ओर से बंदूकें आग उगल रही थीं. रोहित की टीम ऊंचे टीले पर होने का भरपूर फायदा उठा रही थी. इसी बीच, असलम ने अपनी गिरफ्त ढीली की और चौकड़ी मार कूद कर भागने में कामयाब हो गया.

रोहित ने भागते हुए असलम को ऊंची आवाज में रुकने को कहा. मगर असलम नहीं रुका. कोई और चारा न पा कर रोहित ने भागते हुए असलम पर एक के बाद एक कई गोलियां दाग दीं. असलम ढेर हो गया और लुढ़कता हुआ नीचे एक पेड़ के तने के पास जा कर रुक गया. रोहित ने वायरलैस थामे आतंकवादी की ओर बंदूक दाग दी, ‘‘जीना चाहते हो तो अपने आकाओं को मैसेज दो कि हिंदुस्तानी जा चुके हैं और फोर्स वापस लौट जाए. अब उन की जरूरत नहीं है.’’ वायरलैस वाले ने अक्षरश: सारी बात दोहरा दी और दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘हम जा रहे हैं, असलम भाई को आदाब कहना और कहना, जब भी जरूरत हो, हमें इत्तला कर दें.’’

रोहित और उस की टुकड़ी जब वापस बेस पर पहुंची तो उन का पूरे जोश के साथ स्वागत हुआ. पहुंचते ही फौरन हवलदार सुमेर का इलाज शुरू हुआ और उसे श्रीनगर के सैन्य अस्पताल में भेज दिया गया, साथ ही, टैलीविजन चैनल के दोनों नुमाइंदों को भी वापस भेजने की तैयारी शुरू हो गई. ‘‘क्या मैं कुछ दिन और रुक नहीं सकती?’’ रितु ने प्रश्न किया.

‘‘क्यों रुकना चाहती हो, क्या मेरे कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया अपने चैनल पर लाइव दिखा कर टीआरपी में इजाफा करना चाहती हो?’’

रितु को कोई जवाब नहीं सू?ा, उस ने स्फुटित स्वर में सिर्फ इतना कहा, ‘‘क्या तुम्हारी इस स्थिति के लिए मैं जिम्मेदार हूं?’’

‘‘हां, क्योंकि कर्नल शंकर के मुताबिक मेरा इनसबौर्डिनेशन नजरअंदाज किया जा सकता है मगर जो मिशन के बारे में खबर लीक हुई उस को फौज गंभीरता से लेती है और यह खबर सिर्फ तुम्हारे जरिए ही बाहर निकली है और उस के लिए मैं न तुम्हें माफ कर सकता हूं न अपनेआप को.’’

कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू हुई और अभियुक्त मेजर रोहित को आरोप और आक्षेपों की लिस्ट पकड़ा दी गई और अपने बचाव में साक्ष्य या गवाह प्रस्तुत करने को कहा गया.

मेजर रोहित ने अपने बचाव में कुछ नहीं कहा और खबर बाहर जाने की बात को अपनी कमी माना. सैन्य अदालत ने रोहित को दोषी माना लेकिन उस के पिछले रिकौर्ड, बहादुरी व दिलेरी और कर्तव्यपरायणता को देखते हुए उसे महज पदावनति की सजा सुनाई. इस डिमोशन के तहत उसे अपनी ही बटालियन में और उसी लोकेशन पर मेजर की जगह कप्तान बन कर अपनी ड्यूटी पर लौटना था. यह डिमोशन रोहित की साख और इज्जत पर एक गहरा दाग था.

इस सजा ने उसे न सिर्फ अपनी यूनिट के सिपाहियों की नजरों में गिरा दिया बल्कि वह अपने स्वयं की नजरों में भी गिर गया. साथियों ने उसे सजा के खिलाफ ऊंची सैन्य अदालत में अपील करने को कहा लेकिन रोहित नहीं माना और सजा सुनते ही छुट्टी का आवेदन किया व दिल्ली लौट आया.

रोहित को देख कर रितु आश्चर्यचकित थी, ‘‘तुम, अचानक, कोई फोन या मैसेज नहीं?’’

‘‘क्यों, क्या सरप्राइज देने का जिम्मा तुम टीवी वालों ने ही ले रखा है?’’

‘‘नहीं, ऐसा नहीं.’’ रितु कुछ कहना चाह रही थी मगर रोहित ने इशारे से रोक दिया, ‘‘मेजर रोहित चंद महीने पहले यहां से गया था और कप्तान रोहित बन कर लौटा है.’’

‘‘क्या?’’ रितु यह सुन कर अवाक रह गई. ‘‘तुम मेजर नहीं रहे,’’ रितु ने एक नजर उस की वरदी पर डालते

हुए कहा.

‘‘हां, यह सजा मु?ो मिली है उस जुर्म की जो मैं ने किया ही नहीं और इस की जिम्मेदार तुम हो. पूरे मिशन की जानकारी तुम्हारे जरिए ही दुश्मन तक पहुंची है.’’

‘‘तुम मु?ा पर अपने देश से गद्दारी करने का आरोप लगा रहे हो, यह सरासर गलत है. मत भूलो कि मैं भी अपने देश से उतना ही प्यार करती हूं जितना तुम या कोई और सैनिक करता है.’’

रितु कुछ और कहना चाह रही थी कि रोहित के फोन की घंटी बज उठी. दूसरी ओर सुमेर सिंह था जो अपनी सगाई के मौके पर उन दोनों को आमंत्रित कर रहा था. रोहित ने लाख टालने की कोशिश की मगर सुमेर नहीं माना और अगले दिन रोहित और रितु को सुमेर के पास पहुंचना पड़ा.

‘‘मैं तुम्हारा गुनाहगार हूं, सुमेर. मेरी ही पत्नी के जरिए शायद यह खबर दुश्मनों तक पहुंची और तुम्हारा यह हाल हुआ.’’

‘‘क्या बात कर रहे हो, साहबजी, मैडम ऐसी हो ही नहीं सकतीं. मु?ो उन पर पूरा यकीन है. वतनपरस्ती और ईमानदारी उन के चेहरे पर नूर बन कर छलकती है लेकिन आप उन्हें ले कर नहीं आए?’’

रोहित स्तब्ध रह गया. ‘‘सुमेर, रितु मेरे पास खड़ी है और तुम कह रहे हो कि…’’

सुमेर सिंह ने चश्मा उतार कर रख दिया, ‘‘मैं देख नहीं सकता, सरजी. उस छर्रे ने आंखों को भेद दिया था. कमबख्त कुछ दिन रुक जाता तो मैं अपनी चंद्रवती को तो देख लेता.’’

रितु और रोहित दोनों खामोश हो गए, धीरे से बोले, ‘‘मेरे दुष्कर्म की सजा तुम्हें मिली, सुमेर. मु?ो माफ कर देना.’’

‘‘नहीं साहबजी, ऐसी कोई बात नहीं है. मेम साहब से एक अपील है अगर मान सकें तो.’’

‘‘कहो सुमेर सिंह, मैं तुम्हारे क्या काम आ सकती हूं?’’

‘‘याद है मैडम, एक बार मैं ने कहा था कि मु?ा से पहले आप मेरी चंद्रवती को  देखेंगी और मु?ो बताएंगी कि वह कितनी सुंदर है. हंसीमजाक में कही बात सच हो गई, मैडमजी. देख कर सचसच कहिएगा कि चंद्रवती आप से ज्यादा सुंदर है या कम.’’

रितु चुप हो गई. आंखों से 2 बूंदें आंसुओं की बह निकलीं और उस ने पास खड़ी चंद्रवती का चेहरा अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘इतनी सुंदर है तुम्हारी   चंद्रवती कि चंदा भी शरमा जाए. मु?ा से कहीं ज्यादा सुंदर है तुम्हारी चंद्रवती और जितना इस का चेहरा सुंदर है उस से कहीं ज्यादा इस का दिल सुंदर है.’’

‘‘वह तो है, मैडमजी. वरना मु?ा अंधे का साथ देने की इस की कोई मजबूरी नहीं थी.’’

‘‘अपनेआप को अंधा न कहोजी,’’ चंद्रवती ने हलके स्वर में कहा, ‘‘मेरे होते हुए आप बिना आंखों के नहीं हैं. और फिर, मैं तो खुशनसीब हूं कि एक देशभक्त सिपाही की पत्नी बनने जा रही हूं.’’ यह कहने के साथ चंद्रवती रो पड़ी.

वापसी में सारे रास्ते दोनों खामोश रहे. रितु के मन में भी द्वंद्व चल रहा था और रोहित के मस्तिष्क में भी खयाल आ रहे थे जा रहे थे. सारी घटना का जिम्मेदार वह रितु को सम?ा रहा था और उस ने मानो रितु को तलाक देने का फैसला कर लिया था.

उधर, रितु सोच रही थी कि कैसे वह खुद को बेगुनाह साबित करे और अपने पति का खोया हुआ आत्मसम्मान उसे दिलवा सके, विचार आ रहे थे जा रहे थे. जब औपरेशन के बारे में उस ने कोई सूचना भेजी ही नहीं तो बात कहां से बाहर गई, कौन जरिया बना इस खबर को दुश्मनों तक पहुंचाने का. अचानक उस के होंठों से एक स्वर फूटा, ‘‘वर्षा.’’

वर्षा का नाम सुन कर रोहित चौंक गया. ‘‘हां रोहित, मु?ो अपनी और तुम्हारी बेगुनाही साबित करने का एक मौका और अपना साथ दो.’’

‘‘लेकिन वर्षा तो तुम्हारे चैनल की एक बहुत पुरानी एंकर है. उस की दर्शकों में लोकप्रियता है, फैनफौलोइंग है, उस पर शक करना…’’

‘‘और कौन हो सकता है, रोहित. तुम नहीं, मैं नहीं. अपनी पलटन के हरेक सिपाही पर तुम्हें अपनेआप से ज्यादा भरोसा है. तो फिर, कौन बचा? अगर वर्षा गुनाहगार है तो उसे पकड़ने में ज्यादा वक्त और मेहनत नहीं लगेगी क्योंकि वह खुद को ले कर बिलकुल निश्ंिचत और आश्वस्त है. बस, थोड़ी सी कोशिश तुम्हारे चेहरे की कालिख और मेरे मन पर पड़ी काली छाया को मिटा सकती है. मैं आज से ही उस पर नजर रखती हूं. तुम अपने डिपार्टमैंट को आगाह कर दो, प्लीज.’’ रितु ने आग्रह किया तो रोहित टाल नहीं पाया.

‘‘वर्षा, कैसी हो?’’ दफ्तर में प्रवेश करते ही सामने वर्षा नजर आई.

‘‘अच्छी हूं मगर रोहित के बारे में सुन कर बेहद अफसोस हुआ.’’

‘‘कोई बात नहीं, वर्षा. जानती हो, रोहित मु?ो तलाक दे रहा है. सच्चाई स्वीकार करने के बजाय उस ने अपना दिमाग खराब कर लिया है. बस, दिनरात पीता रहता है. ऐसे में एकएक दिन मु?ा पर भारी पड़ रहा है लेकिन फिर डरती हूं कि अनजान शहर, अनजान लोग. न कोई दोस्त, न कोई रिश्तेदार. कैसे तय होगा आगे का सफर?’’

‘‘तुम चिंता न करो, रितु. मैं हूं न. तुम मु?ा पर यकीन कर सकती हो.’’

‘‘तुम्हारा बहुतबहुत धन्यवाद लेकिन यकीन, दोस्ती, आपस का प्रेम मेरे घर का किराया नहीं दे सकता. मु?ो शानदार जिंदगी नहीं दे सकता जिस की मैं हकदार हूं.’’

‘‘कुछ न कुछ जरूर होगा, रितु. दोस्ती और भरोसे में बहुत ताकत होती है.’’

रितु ने दफ्तर से वर्षा के बारे में खोजखबर ली, उस का पता लिया और उस की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया. उस की मित्रता प्रगाढ़ होती गई. वर्षा उसे रोज नएनए होटलों में ले जाती, घुमातीफिराती.’’

‘‘इतना पैसा कहां से आता है वर्षा तुम्हारे पास?’’

‘‘पता चल जाएगा, रितु डियर. उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है. कभी किसी बड़े बिजनेसमैन को गिरफ्त में ले कर उसे टीवी चैनल तक घसीट कर ले जाने की धमकी तो कभी अपने पास आई खबर को किसी को पहुंचा कर.’’

‘‘क्या मु?ो भी ऐसा मिलेगा, वर्षा? क्या मैं भी हजारोंलाखों में खेलूंगी कभी?’’

‘‘क्यों नहीं, रितु. फिलहाल तुम अपने डिवोर्स पर ध्यान दो. रोहित के खिलाफ इलजामों की लिस्ट बनाओ और मेरे बताए वकील अमर कुमार के संपर्क में रहो.’’

‘‘तुम ठीक कह रही हो, वर्षा. लेकिन रहरह कर फिक्र सताए जाती है कि रोहित के बिना कैसे कटेगी आगे की जिंदगी. यहां की तनख्वाह से तो घरखर्च चलाना मुश्किल है,’’ रितु ने चिंतित मुद्रा में कहा.

‘‘चिंता मत करो, रितु. मैं ने कहा न, एक रास्ता बंद होता है तो दस खुल जाते हैं. मेरे साथ रहो और मेरा साथ दो तो कमाई के कई बड़ेबड़े जरिए खुद ही खुलते चले जाएंगे. वह दिन जल्द ही आएगा जब मैं अपने जीवन और डायरी का हरेक पेज तुम्हें पढ़ाऊंगी और तुम्हारी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी.’’

रितु और रोहित ने वर्षा के बताए वकील अमर से संपर्क किया और उस को सारी वस्तुस्थिति से अवगत करवाया और उस से राष्ट्रहित में सहयोग देने की प्रार्थना की. अमर को सिर्फ यही कहना था कि रितु के तलाक की प्रक्रिया जोरशोर से चल रही है.

अमर एक सुल?ा हुआ इंसान और देशभक्त वकील था. वह फौरन तैयार हो गया और समयसमय पर वर्षा को केस की प्रगति के बारे में बताने की हामी भर दी. एक ऐसा केस जो वास्तविकता में था ही नहीं. अमर के फोन से वर्षा रितु के प्रति और भी आश्वस्त हो गई और अपने घर व दिल के दरवाजे रितु के लिए खोल दिए.

एक शाम रितु वर्षा के बताए पते पर बिना इत्तला पहुंची तो पता चला कि वर्षा के घर में कोई बच्चा नहीं था. उस की शादी भी नहीं हुई थी और उस के घर में लटका ताला बता रहा था कि उस के घर में और कोई सदस्य नहीं था. आसपास के लोगों से उस की बोलचाल भी नहीं थी और कोई उसे या उस के बारे में ठीक तरह से जानता भी नहीं था. रितु ने वहीं से वर्षा को फोन मिलाया और बताया, ‘‘मैं तुम्हारे घर के पास एक मौल में आई हुई हूं, सोचा, तुम से भी मिल लूं.’’

वर्षा ने रितु को कुछ समय रुकने के लिए कहा. थोड़ी देर में वर्षा घर पहुंची और बड़ी ही आत्मीयता से रितु को अपने घर में ले गई और सोफे पर बैठने का आग्रह किया. उस ने गाड़ी की चाबी और अपनी डायरी टेबल पर रखी और अंदर चाय बनाने चली गई. मौका देख कर रितु ने घर की तसवीरें अपने मोबाइल में कैद कीं और डायरी उठा कर अपने बैग में डाल ली तथा चाय की औपचारिकताएं शीघ्रता से समाप्त कर के लंबेलंबे डग भरते हुए लौट गई. उसे यकीन हो गया था कि वर्षा का संबंध बाहरी लोगों से था और जो उस की कमाई का साधन भी था.

बिना समय गंवाए रितु और रोहित सेना इंटैलीजैंस और पुलिस की स्पैशल सैल से संपर्क किया और उन के सामने पूरा घटनाक्रम व डायरी रख दी, जिस में कई नाम और अन्य विवरण लिखे थे. सेना पुलिस और स्पैशल सैल दोनों ने ही  लोकल पुलिस से संपर्क साधा और मामले की नाजुकता के बारे में विस्तार से बात की.

‘‘बाकी का काम आप हम पर छोड़ दीजिए. हमें पहले से ही एक गिरोह पर शक था जिस में वर्षा एक सक्रिय सदस्य है. पुलिस की पूछताछ सच्चाई उगलवा लेगी.’’ उसी रात पुलिस की एक टीम ने वर्षा के घर पर रेड डाली और उसे उठा कर थाने ले आई. ‘‘इस का रोजनामचा सुबह बनाना क्योंकि मैडम जानती है कि रात को किसी महिला को उठाना कानूनी अपराध है तब तक इस की इतनी खातिर करो कि यह सुबह होने का इंतजार करे और बयान देने की जल्दी हम से ज्यादा इसे हो.’’

रोहित ने कर्नल शंकर को फोन कर सारी बात बताई. रोहित ने उच्च सेना कोर्ट में अपील की और नए साक्ष्यों के आधार पर सुनवाई आरंभ हुई. अदालत ने गौर किया कि वर्षा और रितु को बौर्डर एरिया तक भेजने में रोहित का कोई रोल नहीं था बल्कि उस ने तो इस बात का विरोध भी किया था. अदालत ने लंबी जिरह के बाद रोहित की दलील और साक्ष्यों को माना और उसे हर आरोप से बरी कर दिया तथा सैन्य अदालत के फैसले को पलटते हुए उसे सजामुक्त कर दिया.

मेजर रोहित को सेना ने वह सम्मान दिया जिस का वह सही मानो में हकदार था और उसे पदोन्नति दे कर लैफ्टिनैंट कर्नल बना दिया. खोई हुई प्रतिष्ठा, मान और सम्मान वापस प्राप्त होने से जहां उसे प्रसन्नता थी वहीं ट्रांसफर और्डर देख कर उदासी का एक ?ांका उसे छू कर आगे चला गया. यूनिट के तमाम सिपाहियों और अफसरों ने भरे गले और भावुक हृदय से अपने चहेते मेजर रोहित को विदाई दी जिस की छाती पर लैफ्टिनैंट कर्नल बनने के बाद फीते बढ़ चुके थे और मैडल और भी अधिक चमक रहे थे. Hindi Best Story

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