मौशमी ने अगले ही क्षण कबीर को उस की मां के पास घर पहुंच कर उन्हें अस्पताल पहुंचाने के लिए कहा, और स्वयं शाम की फ़्लाइट पकड़ रात तक घर पहुंच गई.