Emotional Drama : जव्वाद शाह के खानदान में किसी लड़की का निकाह बिरादरी से बाहर करने की सख्त मनाही थी. इस की कई वजहें थीं लेकिन मूल यह थी कि इसे वे अपनी शान के खिलाफ मानते थे. नयनतारा इसे अच्छे से भुगत चुकी थी. अब बारी गेतीआरा की थी. क्या नयनतारा की तरह ही गेतीआरा की इच्छाओं की बलि चढ़ा दी गई? जागीरदार जव्वाद शाह की हवेली में आज खूब चहलपहल थी. करीबी रिश्तेदर, दोस्त सभी जमा थे. उन का बेटा फव्वाद शाह पढ़ने के लिए इंग्लैंड जा रहा था. शानदार दावत रखी थी. जव्वाद शाह सिंध के पुश्तैनी रईस थे, कई एकड़ जमीनों के मालिक और समद शाह के इकलौते बेटे. उन की 2 बहनें थीं.

बड़ी बहन की शादी मामू के बेटे से कर दी गई थी और उसे उस का शरई हिस्सा दे दिया गया था. छोटी बहन नयनतारा उन्हीं के साथ रहती थी. बाकी की सारी जायदाद जव्वाद शाह के नाम थी. बड़ी बहन मामू के यहां इसलिए ब्याही गई थी कि जमीन खानदान में ही जाएगी. जागीरदार लोग जमीनजायदाद, खानदान से बाहर जाना कतई पसंद नहीं करते. इस के लिए खूनखराबा तक हो जाता है.

जव्वाद शाह के 3 बच्चे थे. 2 बेटियां गेतीआरा और गुलआरा और बेटा फव्वाद शाह जिस ने इस साल ग्रेजुएशन किया था और कानून पढ़ने के लिए लंदन जा रहा था. दोनों बड़ी बहनें कीमती कपड़े पहने बड़ी हसीन लग रही थीं.

घर में खूब रौनक लगी थी. मुंशी करीम अली ने सारा कामकाज संभाल रखा था. फंक्शन का इंतजाम उन के बेटे अजमत अली ने संभाल रखा था, जोकि एमबीबीएस कर के कसबे के अस्पताल में ही डाक्टर था. जव्वाद शाह के घर के बहुत से बाहरी काम उस के जिम्मे लगे हुए थे.

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