प्रीता जैन

सुकृति व गौरव शादी के बाद गुरुग्राम में रहने लगे. दोनों का औफिस वहीं है. वैसे, लौकडाउन की वजह से आजकल वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. सो, दोनों का अधिकतर समय घर पर बीत रहा है. सुकृति दिल्ली की है तो उस का अपने परिवारजन से मिलनाजुलना हो जाता है. किंतु गौरव का घर आगरा में होने से उस का घरवालों से मिलना कम हो पाता है.

आज लंच करते हुए मम्मी का फोन आया तो गौरव बारबार यही कह रहा था, “आते हैं, जल्द ही मिलेंगे. कुछ दिनों में आ कर मिलते हैं.”

बात ख़त्म होते ही सुकृति कहने लगी, “क्यों न हम आगरा चलें, अगला वीकैंड वहीं मनाते हैं. सब से मिलना हो जाएगा और 2 दिन संग रह भी लेंगे.”

“आइडिया तुम्हारा अच्छा है. मन तो मेरा भी जाने का है.”

“तो फिर चलते हैं. तुम कल फोन कर मम्मी को आने का बता देना.”

सुकृति आगरा जाने के प्रोग्राम से खुश थी. उसे अपनी सासुमां बीना जी से मिल कर अच्छा लगता है. घर में सासससुर के अलावा जेठ, जेठानी शिल्पी और उन की 3 साल की बिटिया गिन्नी भी है. खैर, नियत समय वे आगरा के लिए निकल लिए और समय से पहुच गए. सब से मिल अच्छा लग रहा था. गौरव तो पहुंचते ही गिन्नी संग खेलने में लग गया.

दोनों की पसंद का खाना बीना जी ने बनाया. खापी कर देररात तक गपों का दौर चला. अगले दिन थोड़ी देर से नींद खुली. फटाफट ब्रेकफास्ट तैयार किया गया. फिर लंच की तैयारी में लग गए.

आज लंच पर गौरव के चाचाचाची व उन के बच्चे आने वाले हैं. बीना जी का स्वभाव ही इतना मिलनसार है कि सारे परिवार को एकसूत्र में बांधा हुआ है. किसी न किसी को अपने यहां खानेपीने, मिलनेमिलाने के लिए बुलाती रहती हैं. सुकृति और उस की जेठानी ने बीना जी के साथ सभी की पसंद का लज़ीज़ खाना तैयार कर दिया. सब ने एकसाथ बैठ खाने का आनंद लेते हुए सुकूनभरा दिन बिताया.

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