‘दीदी, पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे.' सुबह-सुबह नव्या के मोबाइल पर उस के छोटे भाई प्रतीक का फोन आया. नव्या की आंख से दो आंसू ढुलक कर उस के गालों को भिगो गए. आज नव्या बिलकुल अनाथ हो गई थी. मां को तो इस दुनिया से गए 4 साल हो गए. बस, एक पापा का ही सहारा था. अब वे भी चले गए.

पर दिल के एक कोने में थोड़ी राहत भी मिली. इसी बहाने उन को अपने अकेलेपन से मुक्ति मिली और नव्या को उन की चिंता से. मम्मी के जाने के बाद पापा बिलकुल अकेले हो गए थे. एक सख्त, मजबूत इंसान को कमजोर, असहाय, लाचार, इंसान में बदलते देखा था नव्या ने. कभीकभी तो उसे यकीन नहीं होता था जिन पापा की आंख में बचपन से आज तक आंसू की एक बूंद नहीं देखी, अब फोन पर बात करतेकरते जराजरा सी बात पर रो पड़ते हैं. नव्या कितना समझाती थी उन्हें, पर वे तो एक मासूम बच्चे से बन गए थे. सच में तो उन की ताकत मां थी, उन के जाते ही कितना कमजोर बन गए, नव्या ने महसूस किया था.

नव्या ने अपने 2 जोड़ी कपड़े बैग में डाले और पापा को अंतिम विदा देने चल दी. उस के पति टूर पर गए थे, वे वहीं से पहुंच जाएंगे. नव्या ने उन्हें फ़ोन कर बता दिया था. टैक्सी उन्होंने ही बुक करा दी थी. नव्या गाड़ी में बैठ गई. गाड़ी अपनी गति से दौड़ रही और नव्या पापा की यादों में दौड़ रही. कितनी बार तो नव्या झल्ला भी जाती थी,

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