सुविधा, मेरी पत्नी, मेरी मनोदशा भांप कर धीरे से मेरा हाथ दबाती है. शब्द मेरे मुंह से निकलते हैं प्रत्यक्ष रूप में, ‘‘आप लोग लाश को उठवा कर निगम बोध घाट ले चलिए.