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‘‘अच्छी बात है, बेटा.’’

‘‘मम्मा, वे दिल के भी बहुत अच्छे हैं, कई गरीबों का मुफ्त इलाज करते हैं.’’

‘‘करना ही चाहिए, आखिर समाज के प्रति भी हमारे कुछ कर्तव्य हैं कि नहीं.’’

‘‘हां मम्मा, उन का स्वभाव आप से बहुत मेल खाता है. जिस तरह आप दूसरों की सहायता करने के लिए तैयार रहती हैं, वे भी.’’ कुछ पल रुक कर वह फिर बोली, ‘‘मम्मा, वे हैं भी बहुत स्मार्ट. उन को देख कर नहीं लगता कि उन की इतनी बड़ीबड़ी बेटियां होंगी, जैसे आप को देख कर कोई नहीं समझ सकता कि मेरे उम्र की आप की बेटी है मम्मा, आप...’’ इतने में सोमू का फोन बज उठा. वह उस में व्यस्त हो गई.

इस इतवार, सोमू ने अपनी फ्रैंड कीर्ति के घर चलने का प्रोग्राम बनाते हुए कहा, ‘‘मम्मा, कीर्ति का बर्थडे है, उस ने घर पर ही छोटी सी पार्टी रखी है. आप को भी बुलाया है. अच्छा है कि इतवार है. आप चलेंगी न?’’

‘‘बेटा, मैं तुम बच्चियों के बीच क्या करूंगी. तुम ही चली जाना. बस, रात में समय से लौट आना. मेरे रहने से तुम लोग खुल कर मस्ती भी नहीं कर सकोगी,’’ मैं ने हंसते हुए कहा.

‘‘ओह, मम्मा, वह मुझे कच्चा खा जाएगी. उस ने बहुत कहा है कि आंटी को जरूर लाना. मम्मा, वह आप से मिलने का बहाना ढूंढ़ती रहती है. प्लीज, चलिएगा मम्मा, उस का दिल टूट जाएगा.’’

‘‘ठीक है, चलूंगी. उसे उपहार क्या देना है. मैं सोचती हूं, वह चांदी और अमेरिकन डायमंड वाला सैट दे देते हैं.’’

‘‘ठीक है मम्मा, उस की मिल्की व्हाइट रंगत पर जंचेगा भी बहुत.’’

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