मां सिर्फ हाड़मांस का बना हुआ शरीर ही तो नहीं है...मां भावनाओं का असीम समंदर भी है...एक महीन सा अदृश्य धागा मां से संतान का कहां और कैसे बंधा रहता है, कोई नहीं समझ सकता.