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यों अचानक रुचिता को देख कनिका बुरी तरह चौंक गई, वह कुछ बोलने को ही थी कि चित्र उस के सामने रख दिए. उन्हें देख कर तो कनिका जड़ हो गई. अब उस ने कुछ बोलते नहीं बन रहा था. बड़ी मुश्किल से बस इतना बोली कि ये आप के पास कैसे? रुचिता ने जवाब में कहा कि तुम ने मेरे पति को मु झ से छीनने की कोशिश की है, कुछ तो मु झे भी करना ही था सो मैं ने तुम्हारा पूरा कच्चा चिट्ठा निकलवा लिया, यही नहीं तुम्हारे घर का पता भी. सोच रही हूं ये सभी तसवीरें तुम्हारे मातापिता को भेज दूं. आखिर उन्हें भी तो पता चले शहर में उन की लड़की कितनी मेहनत कर रही है. कितनी मेहनत से राघव को फंसा कर उन के पैसे से अपने महंगेमहंगे शौक पूरे कर रही है.

अब तो कनिका की हालत खराब हो गई. उस ने लड़खड़ाती जबान से कहा, ‘‘नहीं, ऐसा मत कीजिएगा मेरे मांबाप शर्र्म से मर जाएंगे. मैं यह नौकरी छोड़ दूंगी और आप लोगों को कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगी. मैं आप के पति से बिलकुल प्यार नहीं करती. वह तो मेरे महंगे शौक पूरे कर रहा था इसलिए...’’

इस से ज्यादा राघव सुन नहीं सका और उठ कर उन की मेज पर आ कर खड़ा हो गया. उस की निगाह उन तसवीरों पर पड़ी तो उस की आंखों में गुस्सा और पश्चात्ताप दोनों साथ दिखाई दिए. उस ने देखा रेस्तरां लोगों से भरा हुआ है तो उस ने कनिका को सिर्फ वहां से चले जाने का इशारा किया- लेकिन रुचिता ने हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया और उस से कहा कि मेरी एक और चीज तुम्हारे पास है, अब रुचिता की निगाह उस के हाथ के कंगन पर थी. कनिका ने जल्दी से वो कंगन उसे वापस किया और वहां से निकल गई.

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