वाणी और श्लोक की पहली मुलाकात कालेज में हुई थी। वाणी दिल्ली से ही थी, वहीं श्लोक मध्य प्रदेश से यहां पढ़ने आया था। उन दोनों को वाणी की दोस्त नेहा ने मिलवाया था। पहली बार मिलने पर भी ऐसा लग रहा था जैसे वे सालों से एकदूसरे को जानते हों। जल्द ही उन में दोस्ती हुई और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई। सारा दिन दोनों एकदूसरे के साथ ही गुजारते, एकदूसरे की पढ़ाई में मदद करते। कालेज में सब उन की मिसाल देते थे।

देखते ही देखते कालेज के 3 साल कब बीत गए पता ही नहीं चला। बीसीए की डिग्री हासिल करने के बाद दोनों ने सोचा कि क्यों न अब एमसीए भी कर लें। इस के लिए दोनों ने मुंबई में एक ही कालेज में दाखिला लिया। वहां एकदूसरे का साथ होने से उन्हें बहुत मदद मिली। एमसीए के बाद दोनों को बहुत अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई पर अब परेशानी यह हुई की वाणी को जौब बंगलुरू ब्रांच में मिली जबकि श्लोक को मुंबई ब्रांच में। वाणी का मन न होते हुए भी श्लोक के जोर देने पर वह बंगलुरू जाने के लिए तैयार हो गई।

1 साल तो जैसेतैसे बीत गए पर दोनों का मन एकदूसरे के बिना न लगता।दिनभर में जब भी वक्त मिलता एकदूसरे को कौल, मैसेज या वीडियो कौल करते रहते। दोनों एक दिन यों ही वीडियो कौल पर बात कर रहे थे, तब श्लोक ने कहा,"वाणी, क्यों न अब शादी कर के एकसाथ रहें।"

वाणी ने कहा,"यह अचानक से तुम्हें क्या हुआ?"

"बस, अब तुम्हारे बिना और नहीं रहना चाहता।"

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